Poetry on Relation: रिश्ते अच्छे हों तो उनसे खुश्बू आती है. अगर रिश्तों में बिगाड़ पैदा हो जाए तो जिंदगी मुश्किल हो जाती है. आशिक माशूक का रिश्ता कुछ ऐसा ही है. उर्दू के कई मशहूर शायरों ने रिश्तों पर अपनी कलम चलाई है. पढ़ें रिश्तों पर बेहतरीन शेर.
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Poetry on Relation: रिश्ते हमारी जिंदगी को पूरा करते हैं. रिश्तेदार ही हैं जो हमारी मुसीबत में काम आते हैं. रिश्तों को निभाने के लिए, उन्हें टूटने से बचाने के लिए कई बार कुर्बानियां भी देनी पड़ती हैं. कुछ रिश्तों से हद से ज्यादा उम्मीद करो और वह उम्मीदों पर खरे न उतरें तो मायूसी होती हैं. कई शायरों ने रिश्तों को अपनी शायरी का मौजूं बनाया है. हम यहां रिश्तों पर कुछ चुनिंदा शेर पेश कर रहे हैं. पढ़ें...
ये हिजरतों के तमाशे, ये क़र्ज़ रिश्तों के
मैं ख़ुद को जोड़ते रहने में टूट जाता हूँ
-मुईद रशीदी
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हमें पढ़ाओ न रिश्तों की कोई और किताब
पढ़ी है बाप के चेहरे की झुर्रियाँ हम ने
-मेराज फ़ैज़ाबादी
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बंजारे हैं रिश्तों की तिजारत नहीं करते
हम लोग दिखावे की मोहब्बत नहीं करते
-नसीम निकहत
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रिश्तों का ए'तिबार वफ़ाओं का इंतिज़ार
हम भी चराग़ ले के हवाओं में आए हैं
-निदा फ़ाज़ली
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रिश्तों का बोझ ढोना दिल दिल में कुढ़ते रहना
हम एक दूसरे पर एहसान हो गए हैं
-मुसव्विर सब्ज़वारी
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सरहदें रोक न पाएँगी कभी रिश्तों को
ख़ुश्बूओं पर न कभी कोई भी पहरा निकला
-अज्ञात
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आपसी रिश्तों की ख़ुशबू को कोई नाम न दो
इस तक़द्दुस को न काग़ज़ पर उतारा जाए
-महेंद्र प्रताप चाँद
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कैसे रिश्तों को समेटें ये बिखरते हुए लोग
टूट जाते हैं यही फ़ैसला करते हुए लोग
-तारिक़ क़मर
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वक़्त ख़ामोश है टूटे हुए रिश्तों की तरह
वो भला कैसे मिरे दिल की ख़बर पाएगा
-इन्दिरा वर्मा
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लहू रिश्तों का अब जमने लगा है
कोई सैलाब मेरे घर भी आए
-कबीर अजमल
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रिश्तों को जब धूप दिखाई जाती है
सिगरेट से सिगरेट सुलगाई जाती है
-अंकित गौतम
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रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे
हर साज़िश के पीछे अपने निकलेंगे
-शकील जमाली
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कभी ख़याल के रिश्तों को भी टटोल के देख
मैं तुझ से दूर सही तुझ से कुछ जुदा भी नहीं
-आरिफ़ अब्दुल मतीन
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