उर्दू अदब को बड़ा झटका: मशहूर नक्काद शमीम हनफ़ी Corona से इंतिकाल कर गए
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उर्दू अदब को बड़ा झटका: मशहूर नक्काद शमीम हनफ़ी Corona से इंतिकाल कर गए

प्रोफेसर शमीम हंफी को दी दिन पहले ही कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर दिल्ली के DRDO hospital में दाखिल कराया गया था.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: मशहूर उर्दू नक्काद शमीम हनफ़ी आज दिल्ली के DRDO hospital में कोरोना के सबब 82 साल की उम्र में इंतिकाल कर गए. प्रोफेसर शमीम हंफी को दी दिन पहले ही कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर दिल्ली के DRDO hospital में दाखिल कराया गया था.

हालांकि उन्हें शुरु में वेंटिलेटर नहीं मिल रहा था, उसके बाद उनके परिवार ने सोशल मीडिया पर मदद मांगी, जिसके बाद उन्हें आम आदमी पार्टी के नेता दिलीप पांडे की मदद से DRDO में भर्ती कराया गया और वहीं उन्होंने अपनी खाखिरी सांस ली.

जश्ने अदब से जनरल सेक्रेटरी कुंवर रंजीत चौहान ने फेस बुक पर बताया कि शमीम हनफ़ी साहब आज इंतिकाल कर गए.

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प्रोफेसर शमीम हनफ़ी एक शायर, नाकिद और मुतरजिम थे. हनफ़ी नई दिल्ली में रहते थे और उन्होंने ग़ालिब अकादमी, अंजुमन तारक़ी उर्दू , ग़ालिब इंस्टीट्यूट  और रेख्ता जैसे कई अदबी और समाजी संगठनों के साथ काम किया.

प्रोफेसर शमीम हनफ़ी जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली के उर्दू विभाग में प्रोफेसर की हैसीयत से अपनी खिदमात अंजाम दी. उन्होंने चार नाटक भी लिखे हैं, चार किताबों का अनुवाद किया है और चार बच्चों की किताबें भी लिखी हैं. रेख्ता ने साल 2015 में हनफी का शेरी मजमूआ  'आखिरी पहाड़ की दस्तक' पब्लिश किया था.

शमीम हनफ़ी ने जामिया मिलिया इस्लामिया में अपनी खिदमात शुरु करने से पहले सात साल तक एएमयू में दर्सो तदरीस में मसरूफ रहे. 

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