असाम के गुवाहाटी में 29 दिसंबर से चल रहे बुक फेयर का सोमवार को 9 जनवरी को समापन हो गया. इस दौरान लाखों की संख्या में आए पुस्तक प्रेमियों ने यहां से अपने-अपने पसंद की किताबें खरीदी, जिसमें सबसे ज्यादा आकर्षण के केंद्र बिंदू में असमीज भाषा में लिखी कुरान रही.
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गुवाहाटी / शरीफ उद्दीन अहमद: असम के लोग हिंदी और उर्दू पढ़ना-लिखना कम जानते हैं. इस वजह से वहां की मुस्लिम आबादी भी दीन-धर्म या इस्लाम की मौलिक शिक्षाओं से वंचित रह जाती है. सिर्फ उर्दू या हिंदी पढे-लिखे लोग ही इस्लामी ज्ञान और परंपराओं से रूबरू हो पाते हैं. यहां तक कि एक बड़ी आबादी को कुरान पढ़ना भी नहीं आता है. शायद यही वजह है कि गुवाहाटी के बुक फेयर में सबसे ज्यादा असमी भाषा में लिखी गई कुरान की ब्रिक्री हो रही है. खास बात यह है कि इस कुरान को न सिर्फ मुस्लिम बिल्क हिंदू और ईसाई जैसे दूसरे धर्मों के लोग भी खरीद रहे हैं. असाम बुक फेयर 29 दिसंबर से शुरू हुआ था, जिसका 9 जनवरी को समापन हो गया.
मुफ्त में बांटी गई सैंकड़ों प्रतियां
पुस्तक मेले में सैंकड़ों की संख्या में बुक स्टॉल थे, लेकिन सर्वाधिक भीड़ असमिया इस्लामी साहित्य प्रकाशन के पास देखी गई. यहां कि असमीज भाषा में लिखी कुरान के अलावा हदीस-मसलों की भी किताबें बिक्री के लिए उपलब्ध थी. असमिया इस्लामिक साहित्य प्रकाशन के स्टाफ हुजूर अली के मुताबिक सर्वाधिक ग्राहक असमीज भाषा में तर्जुमा की गई कुरान खरीदने आए हैं. यहां मुस्लिम खरीदारों को जहां 50 रुपये का अंशादान लेकर कुरान दिया गया है, वहीं गैर-मुस्लिम ग्राहकों को सैकड़ों की संख्या में मुफ्त में कुरान की कॉपी दी गई है.
क्या कहते हैं असमीज में कुरान खरीदने वाले ग्राहक
किताब खरीदने आई रेहना ने बताया कि वह हिंदी, उर्दू या अरबी पढ़ना-लिखना नहीं जानती है. इस वजह से कुरान नहीं पढ़ पाती है. किसी भी धार्मिक मामलों की जानकारी के लिए मौलानाओं पर निर्भर रहना पड़ता और उनसे पूछना पड़ता है. रेहाना ने कहा कि अब वह असमीज में खुद कुरान और हदीस की बातें पढ़ सकती है. वहीं, कुरान खरीदने महिला और पेशे से एक कॉलेज की प्रोफेशर कंचन शर्मा ने कहा कि कुरान और इस्लाम को लेकर उनके मन में बहुत सारे सवाल थे, जिनका जवाब उन्हें किसी ने नहीं बताया. इसलिए उन्होंने तय किया कि वह खुद कुरान का अध्ययन कर इसके संदेश को समझने की कोशिश करेंगी.
गुवाहाटी में एक लॉ फर्म में काम करने वाले वकील सुधांशू मजूमदार ने कहा, उनके पास पहले से ही अंग्रेजी भाषा में लिखी कुरान है, लेकिन पुस्तक मेले में जब उन्हें असमीज में लिखी कुरान बिकने की सूचना मिली तो वह इस लेने आ गए. सुधांशू मजूमदार ने इस्लामी हदीस और कानूनों से संबंधित कुछ अन्य किताबें भी खरीदी हैं. सुधांशू मजूमदार सिविल मामलों के वकील हैं. वह कहते हैं, मुस्लिम पर्सनल लॉ की किताबें इंगलिश में होती है, लेकिन अगर इससे जुड़ी चीजें अपनी भाषा में मिल रही हो, तो इसे पढ़ना और समझना ज्यादा आसान हो जाता है.
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