पिता के पैर टूटने के बाद ऐसे घर चला रही हैं 11 वीं की छात्रा , काफी संघर्षों से भरी हुई है खुशबू की कहानी
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पिता के पैर टूटने के बाद ऐसे घर चला रही हैं 11 वीं की छात्रा , काफी संघर्षों से भरी हुई है खुशबू की कहानी

भरतपुर शहर के सराफा गली की रहने वाली 17 साल की खुशबू कक्षा 11वीं में पढ़ती है. कुछ दिनों पहले खुशबू के पिता का एक्सीडेंट हो गया था. एक्सीडेंट में उनके पैर में गंभीर चोट लग गया था. चोट की वजह से उनकी नौकरी भी छूट गई.

खुशबू डीलर से अखबार लेती हुई

भरतपुर: राजस्थान के भरतपुर शहर की गलियों में सुबह एक लड़की अखबार बांटती दिख जाएगी. यूं तो 17 साल की खुशबू भी और बच्चों की तरह देर तक सोने और खेलने-कूदने की शौकीन है, लेकिन घर की जिम्मेदारियां खुशबू पर कुछ ऐसी आई कि अब उसको सुबह 4 बजे उठना पड़ता है और अपने पिता की जगह अखबार बांटने जाना पड़ता है. इसके बाद वह स्कूल चली जाती है. 

कक्षा 11 वीं की छात्रा है खुशबू
भरतपुर शहर के सराफा गली की रहने वाली 17 साल की खुशबू कक्षा 11वीं में पढ़ती है. कुछ दिनों पहले खुशबू के पिता का एक्सीडेंट हो गया था. एक्सीडेंट में उनके पैर में गंभीर चोट लग गया था. चोट की वजह से उनकी नौकरी भी छूट गई. नौकरी नहीं होने के कारण धीरे-धीरे घर की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी. जिसके बाद उनकी बेटी परिवार चलाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली. उसने तया किया कि वह अपने पिता की जगह काम करेगी और वह अपनी पढ़ाई भी पूरा करेगी.

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इतने घरों में बांटती है अखबार
इसके बाद से खुशबू सुबह 4 बजे उठने लगी और अपने पिता की जगह अखबार बांटने जाने लगी. जब लोग सो कर भी नहीं उठ पाते, उस समय खुशबू सुनसान गलियों में जाकर 140 घरों में अखबार बांट कर आती है और उसके बाद स्कूल जाती है. स्कूल से आकर ट्यूशन जाती है. इसके बाद बाकी बचे में समय में वह पढ़ाई करती है और अपनी मां के साथ घर के काम में हाथ बंटाती है. 

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क्या बोली खुशबू 
खुशबू कहना है कि उसके पिता के पैर में चोट आने के बाद अखबार बांटना उसके लिए मजबूरी बन गई है. मैं रोज सुबह 4 बजे उठती हूं, सबसे पहले डीलर से अखबार लेकर आती हूं. इसके बाद अखबार को घर-घर जाकर बांटती हूं.खुशबू के पिता  मनोज कहते हैं कि उनके दो बच्चे हैं, खुशबू 17 साल की है और एक 5 साल का लड़का है. कुछ दिनों पहले उनका एक्सीडेंट हो गया था, जिसके बाद उनके पैर में गंभीर चोट आई थी. 

बड़ा होकर बनना चाहती है ऑफिसर
खुशबू के पिता मनोज का कहना है कि खुशबू सुबह 4 बजे उठती है और अखबार बांट कर आती है और स्कूल जाती है. इसके अलावा खाली समय मे वह अपनी मां का भी हाथ बंटाती है. खुशबू इन दिनों जिले के सभी लड़कियों के लिए एक मिसाल बानी हुई है. इसके अलावा वह पढ़ाई में काफी होशियार है और बड़े होकर सरकारी नौकरी करना चाहती है.

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