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Azam Khan Politics: रामपुर का वह वकील जिसने आज़म ख़ान की बर्बादी की लिख दी दास्तान

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सीनियर लीडर आज़म ख़ान (SP Leader Azam Khan) को हेट स्पीच मामले में तीन साल की सज़ा होने के बाद असेंबली से उनकी रूक्नियत (सदस्यता) ख़त्म हो गई है. वह पहले से भी सौ से ज़्यादा मुक़दमों का सामना कर रहे हैं.

आकाश सक्सेना और आज़म ख़ान
आकाश सक्सेना और आज़म ख़ान

रामपुरः उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के क़द्दावर लीडर आज़म ख़ान (SP Leader Azam Khan) जिनकी कभी यूपी में तूती बोलती थी, आज सियासी तौर पर हाशिए पर आ गए हैं. वह एमपी रहते हुए भी धोखाधड़ी के कई मामलों में जेल में थे. यूपी में असेंबली इलेक्शन जीतने के बाद उन्होंने एमपी ओहदे से इस्तीफा दे दिया था. कुछ माह पहले उन्हें ज़मानत मिली थी, लेकिन एक दूसरे केस में उन्हें फिर से तीन साल की सज़ा हो गई और इस वजह से उन्हें असेंबली की रूक्नियत से हाथ धोना पड़ा. अक्सर अपोज़िशन की बीजेपी सरकार पर उन्हें बदले के जज़्बे से परेशान करने का इल्ज़ाम लगता रहा है. लेकिन क्या आपको पता है कि आज़म ख़ान की बर्बादी के पीछे कोई शख़्स है? वह शख़्स हैं बीजेपी के एक्स एमपी शिव बहादुर सक्सेना (Ex. BJP MP Shiv Bahadur Saxena) के बेटे आकाश सक्सेना (Akash Saxena). आकाश सक्सेना पेशे से वकील हैं और सियासत में भी आना चाहते हैं. यूपी के पिछले असेंबली इलेक्शन में बीजेपी ने आज़म ख़ान के अपोज़िट आकाश सक्सेना को इलेक्शन लड़ने के लिए रामपुर से टिकट भी दिया था.  
      
अब्दुल्ला आज़म के ख़िलाफ़ शिकायत की थी 
आकाश सक्सेना वही शख़्स हैं, जिन्होंने आज़म ख़ान के ख़िलाफ नाज़ेबा ज़बान इस्तेमाल करने की शिकायत दर्ज कराई थी और इस क़दम ने न सिर्फ ख़ान को क़सूरवार ठहराया और तीन साल की जेल की सज़ा सुनाई बल्कि उन्हें स्टेट असेंबली की मिम्बरशिप से भी हाथ धोना पड़ा. इससे पहले आकाश सक्सेना ने फर्ज़ी ऐज सर्टिफिकेट मामले में आज़म ख़ान के बेटे अब्दुल्ला आज़म के ख़िलाफ़ शिकायत की थी और अब्दुल्ला आज़म को भी 2020 में  स्टेट असेंबली की मिम्बरशिप से हाथ धोना पड़ा था. 

104 में 43 से ज़्यादा मामलों में आकाश सक्सेना ने की शिकायत  
इसके अलावा, पिछले तीन बरसों में आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ दर्ज कुल 104 मामलों में से 43 से ज़्यादा मामलों में आकाश सक्सेना ने शिकायत दर्ज कराई है. आज़म ख़ान के मुक़दमों में आकाश सक्सेना क़ानूनी मामलों में अपने मुख़ालिफ़ को पछाड़ने में तो कामयाब रहे हैं, लेकिन जब असेंबली इलेक्शन में उन्होंने रामपुर से आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ा तो उन्हें आज़म ख़ान से हार का सामना करना पड़ा. वह 55,000 वोटों से हार गए और आज़म ख़ान ने सीट जीत ली, लेकिन क़ानूनी मामलों में आज़म ख़ान को सक्सेना से फिर से मात दे दी.

क्या बस मोहरा भर हैं आकाश सक्सेना ?
आकाश सक्सेना ने आज़म ख़ान के साथ अपनी सियासी और क़ानूनी लड़ाई के बारे में बात करने से इनकार कर दिया है, लेकिन  रामपुर के अवाम का दावा है कि वकील और लीडर आकाश सक्सेना महज़ बीजेपी के हाथों का मोहरा भर हैं, जो आज़म ख़ान के साथ शह और मात का खेल खेलते हैं. सीनियर वकील के.के. सिंह कहते हैं, ’’इस लड़ाई में दुश्मनी की लेवल  ऐसा है, जो हमने रामपुर में पहले कभी नहीं देखा. शिव बहादुर सक्सेना और आज़म ख़ान भी सियासी मुख़ालिफ थे, लेकिन वे अपनी लड़ाई में कभी पर्सनल नहीं हुए. अगर आकाश सक्सेना इससे आगे बढ़ रहा है, तो यह साफ है कि वहां कुछ ताक़त है जो उसे आगे बढ़ा रही है.’’ केके सिंह कहते हैं, ’’यह मानना सरासर ग़लत होगा कि आकाश सक्सेना कोई धर्मयुद्ध लड़ रहे हैं और इसे रामपुर के अवाम की हिमायत हासिल है.’’ 

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