Relationship Special: वक्त के साथ कैसा बदल रहे प्यार और इज़हार के तरीके?
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Relationship Special: वक्त के साथ कैसा बदल रहे प्यार और इज़हार के तरीके?

जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा है वैसे-वैसे प्यार करने के तरीकों में भी बदलाव आता जा रहा है. इस खास खबर में हम आपको नए और पुराने प्यार के बारे में फर्क बताने जा रहे हैं. पढ़िए

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Relationship: यह वक्त जनरेशन ज़ी (Generation Z) का है. जरनेशन ज़ी मतलब वो लोग जो साल 1996 से 2012 के बीच पैदा हुए हैं. यह वो लोग हैं जिन्हें जिंदगी में कई ऐसी चीज़ें मिली हैं जो इससे पहले जनरेशन यानी जनरेशन एक्स के पास नहीं थी. नहीं थी का मतलब यह नहीं है कि बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन आज के दौर की तरह उनके पास वो सुविधाएं नहीं थीं जो आज हर शहर, गांव, मोहल्ले और गलियों में बहुत ही आसानी से मौजूद हैं. जैसे मोबाइल, कम्प्यूटर, इंटरनेट या टेक्नोलॉजी से जुड़ी हज़ारों ऐसी चीजें जो इंसान के काम को बहुत आसान बनाती जा रही हैं. इस सब के अलावा एक और चीज़ भी है जो टेक्नोलॉजी तो नहीं है लेकिन इस क्षेत्र में टेक्नोलॉजी से भी ज्यादा "तरक्की" होती दिखाई दी है. उसका नाम है "रिलेशनशिप". जी हां रिलेशनशिप, 

तो फिर सबसे पहले यही समझ लेते हैं कि आखिर रिलेशनशिप है किस बला का नाम? दरअसल दुनिया में कई रिश्ते ऐसे होते हैं जिन्हें हम बनाते नहीं हैं वो कुदरती तौर पर हमारे साथ होते हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी रिश्ते होते हैं जिन्हें हम इस दुनिया में आकर बनाते हैं. इनमें कारोबारी रिश्ते, एक दूसरे से दोस्ती करना या प्यार/लव शामिल है. हम आज जिस रिश्ते की बात करने जा रहे हैं वो है "प्यार". फिलहाल रिलेशनशिप शब्द का ज्यादातर इस्तेमाल प्यार के लिए ही किया जाता है. यूं तो प्यार भी कई तरह का होता है लेकिन यहां हम जिस प्यार की बात कर रहे हैं उसे इश्क, मुहब्बत जैसे अन्य शब्दों से भी पहचाना जाता है. मेरा ख्याल है अब तो आप समझ ही गए होंगे कि मैं कहना क्या चाह रहा हूं. तो चलिए फिर शुरू करते हैं. 

जनरेशन Z से पहले के लोगों को रिलेशनशिप/प्यार/मुहब्बत/इश्क तो होता था लेकिन उसका सड़कों, पार्कों और कई अन्य पब्लिक पैलेसेज़ पर नुमाइश  नहीं होता था. हालांकि अब भी कुछ लोग हद में रहकर अपने रिश्ते को आगे बढ़ाते हैं. लेकिन इस तरह को लोगों की तादाद बहुत कम है. जनरेशन Z और इससे पहले की जनरेशंस के बीच रिलेशनशिप का अंदाजा लगाने के लिए एक शायर ने बहुत खूबसूरत लाइनें लिखी हैं. जिन्हें पढ़ने के बाद आपको फर्क और साफ नजर आने लगेगा. शायर कहता है कि

रूबरू मिल के मुलाकात हुआ करती थी
उन दिनों चैट नहीं बात हुआ करती थी

एक दूजे की किताबों पे इशारे लिखना 
प्यार की यूंही शुरूआत हुआ करती थी

कौन हाथों में लिए हाथ फिरा करता था
आंख मिलना ही बड़ी बात हुआ करती थी

उसके दीदार को पहले तो दुआ करते थे 
देर तक बाद में खैरात हुआ करती थी

शायर ने बहुत ही शानदार तरीके से महज़ 4 शेरों यानी 8 लाइंस में मोहब्बत को लेकर दो जनरेशन के बीच आने वाले फर्क को सामने ला कर रख दिया. ये लाइंस लिखने वाले शायर का नाम है शमशीर ग़ाज़ी है. जो उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के रहने वाले हैं. खैर हम शायर से ज्यादा उनके होनहार कलम से लिखी गई धारदार गज़ल के शीर्षक पर बात करते हैं. जो बताती है कि उस जमाने किस तरह लोग मोहब्बत किया करते थे और आज के जमाने की मोहब्बत को हम और आप लोग अच्छी तरह से जानते हैं.

जनरेशन ज़ी के ज्यादातर लोगों की मोहब्बत अब मोहब्बत नहीं रह गई. या फिर यह कह सकते हैं कि अब मोहब्बत की परिभाषा ही बदल गई. आज के दौर में एक दूसरे से मोहब्बत करने वाले लोग की गिनती की आसानी की जा सकती है लेकिन ऐसे लोग जो मोहब्बत को एक खेल समझे हुए हैं उनकी गिनती कर पाना एक बड़ा चैलेंज भरा काम है. इन लोगों की मोहब्बत दिल से नहीं दिमाग से होती है. जबकि हकीकत तो यह है कि मोहब्बत जब इंसान को होती है तो उसका दिल, दिमाग पर हावी हो जाता है. वो ये नहीं जानते कि मोहब्बत एक दूसरे की चाहत में मर मिटने को कहा जाता है लेकिन अब एक दूसरे के साथ कुछ वक्त रहने और जब तक अपनी मर्जी के मुताबिक चीज़ें चल रही हैं, हमें उससे कुछ हासिल हो रहा है तब तक ही मोहब्बत रहती है.

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