दारुल उलूम में भी पूरे जोश और अक़ीदत के साथ मनाया गया यौमे जम्हूरिया, तलबा को आईन पढ़ने की दी हिदायत
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दारुल उलूम में भी पूरे जोश और अक़ीदत के साथ मनाया गया यौमे जम्हूरिया, तलबा को आईन पढ़ने की दी हिदायत

दारुल उलूम के कई बड़े मौलानाओं समेत कई उलेमा ने भी शिरकत की वही मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने तलबा को मुल्क की आज़ादी में किरदार अदा करने, शहीदों की कुर्बानियों के बारे में बताया, साथ ही मुल्क से अंग्रेजो को किस तरह बाहर निकाला

दारुल उलूम में भी पूरे जोश और अक़ीदत के साथ मनाया गया यौमे जम्हूरिया, तलबा को आईन पढ़ने की दी हिदायत

देवबंद: दुनिया भर में मशहूर इस्लामिक तालीमी इदारा दारुल उलूम देवबंद में 71 वां यौमे जम्हूरिया क़ौमी परचम फहराकर और क़ौमी गीत गाकर बड़ी धूम-धाम से मनाया गया और मुल्क में अमनो-अमान, चैन-सुकून के लिए दुआएं दारूल उलूम के सदर मोहतमिम अबुल क़ासिम नोमानी के ज़रिए कराई गई.

दारुल उलूम देवबंद के सदर मोहतमिम अबुल क़ासिम नोमानी ने क़ौमी परचम फहराया, इस दौरान दारुल उलूम के कई बड़े मौलानाओं समेत कई उलेमा ने भी शिरकत की वही मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने तलबा को मुल्क की आज़ादी में किरदार अदा करने, शहीदों की कुर्बानियों के बारे में बताया, साथ ही मुल्क से अंग्रेजो को किस तरह बाहर निकाला, इस पर भी तलबा को जानकारी दी और मुल्क की आज़ादी में किरदार अदा करने वाले हर शहीद की कहानी को ध्यान से पढ़ने और उन्हें याद भी करने को कहा है.

अबुल कासिम नोमानी ने एक हाथ में आईन की किताब ली और कहा कि इस वक्त मुल्क के हालात ठीक नहीं है इसीलिए सभी को आईन कि यह किताब भी पढ़नी चाहिए और कहा कि हिंदुस्तान में हर शहरी को अपनी बात रखने का मुकम्मल हक है हमारे मुल्क को आज़ाद कराने में किसी एक मज़हब के लोगों का खून नहीं बहा है बल्कि हर मज़हब के लोगों ने अपनी-अपनी कुर्बानियां दी हैं और मुल्क आईन से चलता है इसलिए आईन की किताब भी तलबा को पढ़नी चाहिए.

इस मौके पर दारुल उलूम देवबंद के उस्ताद सलमान बिजनौरी ने कहा है की तलबा को हमेशा याद रखना चाहिए हमारे बुज़ुर्गों ने इस मुल्क को आज़ाद कराने में कितनी कुर्बानियां दी है, आज भारतीय तारीख का यादगार दिन है जिसे धूमधाम के साथ मनाना चाहिए, इससे पुरे मुल्क में अमन और भाईचारे का पैग़ाम जाता है उलमा-ए-कराम ने तलबा से बुजुर्गों के नक़्शे कदम पर चलकर उनकी तमाम तालीम को ज़िंदगी में उतारने की गुज़ारिश की है। आज के प्रोग्राम में बस यही बताया गया है की आज की 26 जनवरी का दिन जिसमें मुल्क को जम्हूरी करार दिया गया और उसके लिए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने जो क़ानून बनाया था उसी के मुताबिक मुल्क चलाया जाए और और उसी के मुताबिक रहे.

वहीं यह भी कहा कि ये दिन हमें याद दिलाता है कि हम इस जम्हूरियत को हर बार याद करें और उसकी हिफाज़त करें और इसका की ईज़्जत करें मुल्क की आज़ादी में जो हज़रात शहीद हुए उनको ख़िराजे अक़ीदत पेश किया जाए उन की कुर्बानी को बार बार याद किया जाए और इसमें मुसलमान हिंदू और सभी तबके के लोगों ने मिलकर यह कुर्बानियां दीं. तारीख के साथ छेड़छाड़ न किया जाए और यह याद रहे की जिनका जो हक है उसको दिया जाए.

वही तकरीब के नाज़िम ने कहा कि हमें खुशी है की हमारा मुल्क आज़ाद और हमारे पुरखों ने आजादी के लिए अपना खून बहाया है लेकिन इसके साथ साथ कुछ ताक़ते ऐसी है जिन्हें ये आइन पसन्द नहीं है वो अपनी पसंद का आइन इस मुल्क पर थोपना चाहते है। वो सोचते है कि कोई भी कानून बनाले कोई भी कानून खत्म कर दे उनकी कोई मुखालिफत नहीं करेगा। मुस्लिम खवातीन के लिए तीन तलाक़ का कानून ले आए उनके खिलाफ़ आवाज़ नही उठी तो वो सीएए ले आए। उन्होंने कहा कि मुल्क भर में जो मुखालिफत हो रही है इनकी कोशिशें नाकामयाब होंगी और हमारा तिरंगा यूँ ही लहराता रहेगा।

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