Republic Day 2024: 1905 में इक़बाल के द्वारा गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर (अब पाकिस्तान में) में गाया गया, जब इक़बाल लाहौर के सरकारी कालेज में व्याख्याता थे. यह गीत जल्द ही भारत में ब्रिटिश शासन के विरोध का एक गीत बन गया था.
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Republic Day 2024: हर साल गणतंत्र दिवस और स्वतंत्र दिवस से पहले हमारे कानों में देशभक्ति गीत सुनाई देने लगते हैं. इन सभी देशभक्ति गीतों में सबसे ज़्यादा गुनगुनाए जाने वाले गीतों में से एक 'सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा' आपने सुना ही होगा. इस खूबसूरत गीत को मशहूर फिलॉस्फर, शायर और राजनीतिज्ञ अल्लामा मुहम्मद इकबाल ने 1904 में लिखा था. ये गीत भारत में अंग्रेज़ो के खिलाफ़ एक 'रेजिस्टेंस सांग' की तरह गाया जाने लगा और आज़ाद भारत में ये गीत कई स्कूल असेंबलीज़ में आज भी गाया जाता है.
1877 में भारत के सियालकोट (अब पाकिस्तान में) अल्लामा इकबाल का जन्म हुआ था. अल्लामा इकबाल को हिंदुस्तान में 'ताराना-ए-हिंद' लिखने के लिए जाना जाता है. सबसे पहले "सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा" इत्तेहाद जर्नल में छपा था, जिसके बाद ये गाना अंग्रेज़ों के खिलाफ़ विरोध-प्रदर्शनों में पढ़े जाने वाला गीत बन गया. यह इक़बाल की रचना बंग-ए-दारा में भी शामिल है. यह ग़ज़ल हिन्दुस्तान की तारीफ़ में लिखी गई है, और अलग-अलग सम्प्रदायों के लोगों के बीच आपसी भाई-चारे की भावना को प्रोत्साहित करती है.
'ताराना-ए-हिंद' के कुछ खास बातें'
कहा जाता है कि जब महात्मा गांधी को 1930 के दशक में पुणे की यरवदा जेल में बंद किया गया तब उन्होंने 100 से ज्यादा बार 'सारे जहां से अच्छा' गाया था.
'सारे जहां से अच्छा' की धुन 1945 में पंडित रविशंकर ने बनाई थी. पंडित रविशंकर जब बॉम्बे में IPTA (इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन) में काम करते थे, तब वहां शंकर को 'सारे जहां से अच्छा' के लिए संगीत तैयार करने के लिए कहा गया था.
बाद में इस गाने को लता मंगेशकर ने अलग म्यूज़िक में रिकॉर्ड किया. लता का गाया हुआ ये गाना लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ. 'सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा' के रविशंकर वर्जन को बाद में भारतीय आर्मी का मार्चिंग सांग भी बनाया गया.
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधान मंत्री बनने के बाद अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस गीत को पढ़ा था.
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इस गीत को कभी भारत में बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था CRY इंडिया ने अपना थीम सोंग बनाया था, और फिर इस गाने को करोड़ों भारतीय ने अपने मोबाइल का रिंगटोन बना लिया..
हाल के दिनों में भारत में दक्षिणपंथ के उभार के बाद कुछ हिंदूवादी तंजीमों ने इकबाल के इस गीत पर ऐतराज भी जताया है, और इसे पाकिस्तान का राष्ट्रीय गीत बताया है, जो सरासर झूठ और बेबुनियादी बातें हैं.. 'सारे जहां से अच्छा' को राष्ट्रीय गीत का आधिकारिक दर्ज़ा तो हासिल नहीं है, लेकिन इसे हिंदुस्तान के एक राष्ट्रीय गीत के तौर पर ही देखा जाता है. सच ये है कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय गीत को हफ़ीज़ जालंधरी ने लिखा है और इसका संगीत अकबर मुहम्मद ने बनाया है.
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"सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा।
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा॥"
"ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में।
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा॥ सारे..."
"परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का।
वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा॥ सारे..."
"गोदी में खेलती हैं, उसकी हज़ारों नदियाँ।
गुलशन है जिनके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा॥ सारे...."
"ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको।
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा॥ सारे..."
"मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना।
हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा॥ सारे..."
"यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से।
अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा॥ सारे..."
"कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी।
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा॥ सारे..."
"'इक़बाल' कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में।
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा॥ सारे..."