Chhapra News: बिहार के छपरा के दो सगे भाई साहेब अली और मोहम्मद शाहिद कमाल आज हजारों नौजवानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. उन दोनों भाोईयों ने गरीबी से लड़कर वो कर दिखाया है जिसका सबको सपना होता है. दोनों ने बिहार दारोगा का एग्जाम पास कर लिया है. यानी अब ओडिशा के फूटपाथ पर रोजगार करने वाले अकबर अली के दोनों बेटे दारोगा बाबू कहलाएंगे.
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Chhapra News: कहते हैं न.."जहां हौंसले होते हैं वहां मुसीबतें हार जाती हैं." बिहार में 9 जुलाई को का रिजल्ट घोषित हुआ. इस परीक्षा में फुटपाथ पर दुकान लगाकर जीवन यापन करने वाले वाले एक दंपत्ति के दो बेटों ने अपनी कड़ी मेहनत से इतिहास रच दिया है.
इन दोनों सहदरों भाईयों ने ईमानदारी और कड़ी मेहनत से कमाल कर दिखाया है. दोनों भाइयों ने दरोगा का परीक्षा पास कर लिया है. इन दोनो भाइयों के रिजल्ट आते ही परिवार समेत गांव और पंचायत में खुशी की लहर दौड़ गई, ये दोनों भाई भेल्दी थाना क्षेत्र अंतर्गत भेल्दी गांव के अकबर अली के बेटे साहेब अली और मोहम्मद शाहिद कमाल है.
बिहार दरोगा परीक्षा का रिजल्ट आने की खुशी में ना सिर्फ परिवार में बल्कि पूरे मुहल्ले में जश्न का माहौल है. अकबर अली ने अपने दोनों बेटों को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की. वो और उनकी पत्नी ओडिशा में रहकर फूटपाथ पर रोजगार करके दोनों बेटों की हर जरूरत को पूरी करते थे. ताकि उन्हें पढ़ाई में किसी भी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े.
आर्थिक कमजोर होने के बाद भी बेटों का नहीं टूटने दिया हौसला
अकबर आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद भी अपने दोनों बेटों को संभालते रहे और हौसला देते रहे, ताकि वह एक दिन अच्छी सरकारी नौकरी कर सके. आज अकबर अली को जैसे ही दोनों बेटे के दारोगा बनने की खबर मिली तो उनके आंखों में खुशी केआंसू भर आए.
कई बार मिलिट्री के एग्जाम में रहे असफल, लेकिन नहीं मानी हार
हालांकि, इससे पहले दोनों भाइयों ने कई बार मिलिट्री में जाने के लिए परीक्षा दी, लेकिन हर बार वे असफल रहे, इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और वो कर दिखाया जिसकी हर मां-बाप को ख्वाहिश होती है. आज इन दोनों का जज्बा अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है.
बड़े भाई पहले से थे राजस्व कर्मचारी
हालांकि, इन दोनों भाइयों में बड़े भाई साहेब अली ने अपनी काबिलियत के दम पर राजस्व कर्मचारी की नौकरी ज्वाइन कर ली थी. लेकिन दोनों भाईयों पर वर्दी पहनने का जुनून कुछ ऐसा सवार था, की राजस्व कर्मचारी रहते हुए भी दफ्तर के काम के बाद रात में जो वक्त मिलता था तो उसमें दरोगा की तैयारी भी करने लगते थे, और नतीजा ऐसा हुआ की दोनों भाइयों ने एक साथ दरोगा की परीक्षा पास कर बिहार समेत इलाके के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए.