Delhi News: जेल में बंद यासीन मलिक की कोर्ट में व्यक्तिगत पेशी के खिलाफ CBI की अपील पर सुनवाई दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि हमारे देश में तो अजमल कसाब तक को निष्पक्ष सुनवाई दी गई. जानिए आखिर शीर्ष अदालत ने ऐसा क्यों कहा?
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Yasin Malik Case: यासीन मलिक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने अपहरण के एक मामले में जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक की सुनवाई के दौरान कहा कि हमारे देश में अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था.
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच जम्मू ट्रायल कोर्ट के 20 सितंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तिहाड़ जेल में बंद उम्रकैद की सजा काट रहे मलिक को जिरह के लिए शारीरिक रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था. अब इस में मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी. साथ ही केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) को एक हफ्ते में संशोधित याचिका दायर करने को कहा और केस से जुड़े सभी आरोपियों को पक्षकार बनाने की भी इजाजत दी.
पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, "जिरह ऑनलाइन कैसे की जाएगी? जम्मू में शायद ही कोई कनेक्टिविटी है... हमारे देश में, अजमल कसाब पर भी निष्पक्ष सुनवाई की गई और उसे हाई लेवल पर कानूनी सहायता दी गई." वहीं, बेंच ने सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मामले में गवाहों की कुल तादाद पर निर्देश लेने को कहा.
मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने सुरक्षा चिंताओं की तरफ इशारा किया और कहा कि मलिक को मुकदमे के लिए जम्मू नहीं ले जाया जा सकता. कानून अधिकारी ने मलिक पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहने और वकील की नियुक्ति न करने के लिए "चालबाजी" करने का आरोप लगाया. मेहता ने कहा कि मलिक कोई सामान्य अपराधी नहीं है. उन्होंने आतंकवादी हाफिज सईद के साथ मंच साझा करते हुए मलिक की एक कथित तस्वीर भी दिखाई.
क्या है पूरा मामला?
यह पूरा मामला 35 साल पुराना है. दरअसल, रुबैया मुफ्ती को 8 दिसंबर, 1989 को श्रीनगर के लाल डेड हॉस्पिटल के पास से अपहरण कर लिया गया था और केंद्र में तत्कालीन भाजपा समर्थित वीपी सिंह सरकार द्वारा बदले में पांच आतंकवादियों को रिहा करने के पांच दिन बाद रिहा कर दिया गया था. उस वक्त मुफ्ती अब तमिलनाडु में रहती थीं. इस मामले में सीबीआई के अभियोजन पक्ष के गवाह हैं, जिसने 1990 के दशक की शुरुआत में मामले को संभाला था. वहीं, मई 2023 में टेरर-फंडिंग मामले में विशेष एनआईए अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद से मलिक तिहाड़ जेल में बंद है.