जो हाथ कभी गढ़ते थे ताजमहल के ‘माॅडल’ अब ‘शिवलिंग’ बनकार कर रहे हैं परिवार का गुजारा
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जो हाथ कभी गढ़ते थे ताजमहल के ‘माॅडल’ अब ‘शिवलिंग’ बनकार कर रहे हैं परिवार का गुजारा

पर्यटकों की कमी की वजह से न सिर्फ सरकार को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है बल्कि यहां आगरा में पर्यटन कारोबार से जुड़े दूसरे कारोबारी और कारीगरों के सामने में भूखे मरने की नौबत आ गई है. 

अलामती तस्वीर

आगराः कोविड-19 वबा की वजह से न सिर्फ टूरिजम इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचा है बल्कि इससे जुड़े छोटेे-मोटे कोरोबारी और कारीगरों के सामने भी रोजी-रोटी की दिक्कतें खड़ी हो गई है. देश-विदेश के पर्यटकों से कभी गुलजार रहने वाला ताज नगरी आगरा महामारी के बाद पर्यटकों की कमी की समस्या से जूझ रहा है. पर्यटकों की कमी की वजह से न सिर्फ सरकार को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है बल्कि यहां आगरा में पर्यटन कारोबार से जुड़े दूसरे कारोबारी और कारीगरों के सामने में भूखे मरने की नौबत आ गई है. 

देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने लगे कलाकार 
ताजमहल आने वाले पर्यटक अक्सर यहां से लौटते वक्त अपने सफर को यादगार बनाने के लिए ताजमहल की रेप्लिका खरीदकर अपने साथ ले जाते हैं. इस कारोबार से यहां ढेर सारे लोग जुड़े हुए थे, जो पत्थरों और लकड़ी के छोटे-छोटे ताजमहल बनाकर पर्यटकों को फरोख्त करते थे. पर्यटकों की तादाद में कमी होने के बाद यहां के कलाकार अब अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने का काम करने लगे हैं. कोविड-19 महामारी के दस्तक देने के बाद से ये कलाकार सीमित कामगारों के साथ मुश्किल हालात में काम कर रहे हैं. 

70 फीसदी तक कम हो गई ताजमह के रेप्लिका की ब्रिकी 
आगरा शहर के पंचकूइयां नाला के एक कारखाने के मालिक चंद्रभान ने कहा कि कोविड-19 काल से पहले की बनिस्बत अब बिक्री करीब 70 फीसदी तक कम हो गई. उन्होंने कहा कि कोविड-19 से पहले, एक महीने में ताजमहल के 600 मॉडल की बिक्री हो जाती थी लेकिन महामारी के बाद यह करीब 200 पीस हो गई. भान ने कहा कि ये मॉडल विदेशी पर्यटक अपने सफर के यादगार के तौर पर ले जाते थे लेकिन अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के बंद होने के बाद से इसमें कमी आ गई.

दुकानदार विदेशी पर्यटकों के लिए भगवान से करते हैं प्रार्थना 
रजत (28) पिछले 10 सालों से ताजमहल के लघु रूप मॉडल को बनाकर अपना घर-परिवार चलाया करते थे लेकिन अब वह ‘नंदी’ और ‘शिवलिंग’ के लिए पत्थर तराशने का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि अब ताजमहल के छोटे मॉडल की मांग बेहद कम हो गई. नाम न बताने की शर्त पर ताजमहल के पास वाके एक एम्पोरियम के मालिक ने कहा कि वह रोजाना भगवान से प्रार्थना करते हैं कि आगरा में देसी और विदेशी पर्यटकों की आवाजाही बढ़े, जिससे कलाकारों, होटल संचालकों, एम्पोरियम मालिकों और पर्यटन उद्योग से जुड़े अन्य लोगों के दिन पटरी पर लौट आए. 

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