चुनाव के दौरान 1600 नहीं बल्कि 3 टीचर्स की हुई कोरोना से मौत: उत्तर प्रदेश सरकार
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चुनाव के दौरान 1600 नहीं बल्कि 3 टीचर्स की हुई कोरोना से मौत: उत्तर प्रदेश सरकार

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रमुख दिनेश चंद्र शर्मा ने सरकार के दावे का खंडन करते हुए कहा,"सरकारी स्कूल के कर्मचारियों के प्रति बुनियादी शिक्षा विभाग का ऐसा उदासीन रवैया देखना दुर्भाग्यपूर्ण है."

फाइल फोटो

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि हाल ही में हुए पंचायत चुनावों के दौरान सिर्फ तीन सरकारी टीचर्स की कोरोना के चलते मौत हुई है. यह अलग-अलग अहम शिक्षक निकायों के ज़रिए किए गए दावों के बिल्कुल उलट है. क्योंकि निकायों ने बताया था कि ड्यूटी के दौरान वायरस के चलते कम से कम 1,600 कर्मचारियों की मौत हो गई.

बेसिक शिक्षा विभाग ने कहा कि इसकी तादाद राज्य भर के डीएम के ज़रिए अब तक पेश की गई रिपोर्टों पर आधारित है. बेसिक शिक्षा विभाग के अपर सचिव सत्य प्रकाश ने कहा कि विभाग ने तीन शिक्षकों की मौत पर गहरा दुख जाहिर किया और उनके परिवार वालों को ग्रांट की रकम पेश करने का अमल शुरू कर दिया है. 

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रमुख दिनेश चंद्र शर्मा ने सरकार के दावे का खंडन करते हुए कहा,"सरकारी स्कूल के कर्मचारियों के प्रति बुनियादी शिक्षा विभाग का ऐसा उदासीन रवैया देखना दुर्भाग्यपूर्ण है."

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विभाग ने कहा कि राज्य चुनाव कमीशन के नियमों के मुताबिक एक सरकारी अफसर को उस समय से चुनाव ड्यूटी पर माना जाता है, जब कर्मचारी चुनाव संबंधी ट्रेनिंग में हिस्सा लेने के लिए अपना आवास छोड़ता है, जिसमें वोटिंग और काउंटिंग का समय शामिल होता है. जब वह घर पहुंचता है तो ड्यूटी खत्म होती है.

पंचायती राज के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार सिंह ने कहा,"भारतीय चुनाव कमीशन के नियमों के मुताबिक अगर 10 अप्रैल को वोटिंग होनी है, तो टीचर्स की ड्यूटी 9 अप्रैल से शुरु होकर 11 अप्रैल तक होती है." उन्होंने समझाया,"अगर इन तीन दिनों के दौरान कुछ भी अनहोनी होती है, तो इसे मतदान ड्यूटी पर मौत माना जाएगा लेकिन अगर टीचर ने 10 अप्रैल को चुनाव ड्यूटी की, 20 अप्रैल को पॉज़िटिव टेस्ट आया और 24 अप्रैल को मौत हो गई, तो इसे ड्यूटी के दौरान मौत नहीं माना जाएगा."

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चुनाव ड्यूटी पर सरकारी शिक्षकों की मौत के मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 मई को उठाया था और जजों ने राज्य सरकार को सुझाव दिया था कि शिक्षकों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि दी जाए. हालांकि, बुनियादी शिक्षा विभाग ने कहा कि मुआवजे का भुगतान राज्य चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार किया जाएगा.

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