“मगरिबी बंगाल में चुनाव के बाद भाजपा के हिमायती कार्यकर्ता और वोटर्स पर TMC के कार्यकर्ताओं ने ढाया ज़ुल्म”
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“मगरिबी बंगाल में चुनाव के बाद भाजपा के हिमायती कार्यकर्ता और वोटर्स पर TMC के कार्यकर्ताओं ने ढाया ज़ुल्म”

दिल्ली की ग्रुप ऑफ इंटिलेक्चुअल्स नामी एक सिविल सोसाइटी की ‘खेला इन बंगाल-2021 शॉकिंग ग्राउंड स्टोरीज’नाम की एक रिपोर्ट में किया गया खुलासा, गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी को सौंपी रिपोर्ट

अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः दिल्ली की एक सिविल सोसाइटी और बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों के ग्रुप (जीआईए) ने पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद वहां जारी राजनीतिक हिंसा का अध्ययन कर इसकी रिपोर्ट पेश की है. जीआईए ने यह रिपोर्ट गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी को सौंपी है जिसमें बंगाल में बड़े पैमाने पर सियासी तहफ्फुज में होने वाले तशददुद का जिक्र किया है. रिपोर्ट ‘खेला इन बंगाल- 2021, शॉकिंग ग्राउंड स्टोरीज’ में कहा गया है कि बंगाल में हिंसा को केवल “सियासी तशद्दुद” के तौर पर देखना हिंदू मुआशरे के पसमांदा तबके के जरिए सामना किए जाने वाले जुर्म और हिंसा की भयावहता को कम करना है, जिन्होंने बीजेपी की हिमायत की है या उसे वोट किया था.

हिंसा में सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल
रिपोर्ट में कहा गया कि टीएमसी ने अपने सियासी हरीफ के खिलाफ हिंसा के लिए रियासती हुकूमत की मशीनरी का इस्तेमाल किया. औरतों के साथ असमतदरी की गई और उन्हें मारा-पीटा गया. कच्चे बमों का इस्तेमाल कर भाजपा के हिमायती और पार्टी कारकून का कत्ल किया गया. उनकी दुकानें और मकानें लूट ली गई. इस तरह यह एक नरसंहार जैसा था. 

मामले में एसआईटी जांच की सिफारिश
रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज और एनआईए जांच के तहत एसआईटी जांच की सिफारिश की गई है. इस मामले पर रिसर्च करने वाली ग्रुप के मुखिया ने कहा है कि उन्होंने मगरिबी बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के शिकार 20 मजलूमो का इंटरव्यू लिया था. ये इंटरव्यू जूम और गूगल मीट जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्मों के साथ फोन पर किए गए हैं.  

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