मौत के 40 दिन बाद घर पर पढ़ा जा रहा था फातिहा-दरूद; तभी जिंदा वापस आ गया नौजवान
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मौत के 40 दिन बाद घर पर पढ़ा जा रहा था फातिहा-दरूद; तभी जिंदा वापस आ गया नौजवान

यह घटना उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले का है. यहां ट्रेन से कटकर मरे एक युवक का घर वालों ने अंतिम संस्कार कर दिया, लेकिन वह 40 दिन बाद जब जिंदा घर वापस आ गया, तो पता चला कि वो लाश किसी और की थी. 

रमजान और साथ में उसका परिवार

कौशांबीः उत्तर प्रदेश के कौशांबी ज़िले से एक बेहद ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक मुस्लिम परिवार ने अपने बेटे की मौत के बाद 40 दिन पहले उसे दफना दिया था, वही शख्स अपनी मौत के 40वें दिन जिंदा घर लौट आया है. घर वाले उसकी मौत के 40वें पर घर में दुआ, फातिहा और कुरानखानी का आयोजन करने में लगे थे, तभी मृतक घर आ गया. उसे जिंदा देखकर जहां घर, मोहल्ले और गांव के लौग चौंक गए और उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, वहीं जिंदा लौटा शख्स अपनी मौत की खबर जानकर हैरत में पड़ गया. इस घटना की पूरे इलाके में चर्चा हो रही है. 

ट्रेन से कटकर हुई थी युवक की मौत 
पुलिस ने बताया कि दरअसल, 11 जून को सैनी कोतवाली क्षेत्र के मारधार रेलवे स्टेशन के पास एक युवक ने ट्रेन के आगे कूदकर खुदकशी कर ली थी. सूचना पर पहुंची पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. उसके बाद पुलिस ने इलाके में जितने लोग गायब हुए थे, उनके खानदान को बुला कर लाश की शिनाख़्त करवाई. तभी बिजलीपुर गाँव की रहने वाली शफीकुन्निशा ने अपने बेटे रमज़ान के तौर पर उस लाश की पहचाना की. शव की शिनाख़्त होने के बाद पोस्टमार्टम हुआ, और शव को परिजनों को सौप दिया गया. पिता शब्बीर ने शव को गाँव के ही करब्रिस्तान में दफ़न कर दिया, लेकिन शुक्रवार को अचानक बेटे के ज़िंदा लौटने पर माँ, बाप के खुशी का ठिकाना नहीं रहा. 

चार माह से घर से गायब था युवक 
शफीकुन्निशा का कहना है कि 4 माह से हमारे बेटे से बात नहीं हुई थी. उसका कोई अता-पता नहीं चल पा रहा था. घर के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल था और वे पागल हो गए थे. जब पुलिस ने लाश को दिखाया तो हमने समझा के यह हमारे बेटे की ही लाश है. लाश की शक्ल सूरत हमारे बेटे से मिलती-जुलती थी, तो घर के लोगों को लगा कि यह हमारा ही बेटा है. अब बेटे को ज़िंदा देख शब्बीर और शफीकुन्निशा दोनों खुश हैं.

बेरोजगारी के ताने से तंग आकर घर से भाग गया था रमजान 
उधर, जिंदा लौटे शख्स रमज़ान ने कहा, ’’ उसके पास कोई रोज़गार नही होने पर उसको माँ-बाप दोनों ही उसे अक्सर ताना मारा करते थे. रोज़-रोज़ के तानों से तंग आ कर वह 4 माह पहले ही प्रयागराज चला गया था और वहां मजदूरी करने लगा. मोबाइल फोन नही होने की वजह से घर वालों से उसका संपर्क टूट गया. जब उसके गांव के ही एक आदमी ने उसे प्रयाग राज में जिंदा देखा तो वह चांक गया. उसने बताया कि तुम्हरा तो गांव में जनाजा पढ़ा दिया गया है और कल 40वां भी है. इस बात की जनाकारी होने पर हम घर पहुंचे. 

लाश का डीएनए करने का आदेश 
पुलिस के मुताबिक, जिस लाश को रमज़ान समझ कर दफनाया गया था, वह दरअसल फतेपुर जिले के निवासी संतराज के बेटे सूरज की थी. संतराज ने सैनी कोतवाली पहुंचकर ये दावा किया था. पुलिस और ज़िला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने लाश को कब्र से निकाल कर डीएनए कराने का हुक्म दिया है. डीएम के आदेश के बाद 3 जुलाई को दोनों परिवारों को बुलाया गया, और कब्र से लाश निकाल कर जांच के लिए सैम्पल लिया गया है. लेकिन डीएनए रिपोर्ट आने से पहले ही रमज़ान घर वापस आ गया. हालांकि डीएनए रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा की शव सूरज का है या फिर किसी और का है.

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