Aashiq Mashooq Mazar: हर साल 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाया जाता है. इस दिन प्रेमी जोड़े काशी के सिगरा इलाक़े में मौजूद आशिक़- माशूक़ के मज़ार पर अपनी मुरादें को पूरा करने के लिए मन्नत लेकर आते हैं. काशी में आशिक़-माशूक़ का मजार बहुत मशहूर है.
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Kashi Mazar: हर साल 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाया जाता है. इस दिन को प्रेमी अपने-अपने अंदाज़ से मनाते हैं. वैलेंटाइन-डे आने से काफ़ी पहले ही प्रेमी जोड़े इस को ख़ास बनाने की तैयारियों में लग जातें हैं, लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि वैलेंटाइन डे पर लोग बड़ी तादाद में काशी के एक मज़ार पर जाते हैं, जहां पर लवर अर्ज़ी लगाते हैं. सिगरा इलाक़े में मौजूद आशिक़- माशूक़ के मज़ार पर प्रेमी जोड़े अपनी मुरादें को पूरा करने के लिए मन्नत लेकर आते हैं. यूपी के काशी में आशिक़-माशूक़ की क़ब्र पर आज भी जोड़े अपनी मोहब्बत की फरियाद लेकर आते है. ये एक ऐसी लव स्टोरी है, जिसमें दोनों ज़िंदा रहते हुए तो मिल नहीं पाए, लेकिन मरकर एक दूजे के हो गए.
सच्ची मोहब्बत की मिसाल
काशी शहर के औरंगाबाद इलाक़े में आशिक़-माशूक़ का मज़ार बना हुआ है. दोनों लवर ज़िंदगी में तो एक दूसरे से नहीं मिल पाए, लेकिन मौत ने उनको एक कर दिया. ये वाक़्या तक़रीबन 400 साल से भी ज़्यादा पुराना है. उस वक़्त वाराणसी में अब्दुल समद नाम के एक कारोबारी थे. एक बार वो काम के सिलसिले में कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर गए. इसी दौरान उनके बेटे मोहम्मद यूसुफ को एक लड़की से इश्क़ हो गया. लड़की के घरवालों को जब इसका इल्म हुआ तो उन्होंने लड़की को अपने एक रिश्तेदार के घर भेज दिया.अपने प्यार को ख़ुद से दूर होता देखकर यूसुफ भी नाव पर सवार होकर उसके पीछे चला गया. लड़की के साथ दूसरी किश्ती पर बैठी एक बुज़ुर्ग महिला ने लड़की का जूता पानी में फेंक दिया. उसने यूसुफ से कहा कि अगर तुम्हारी मोहब्बत में थोड़ी सी भी सच्चाई है तो जाओ जूता लेकर आओ. इतना सुनते ही यूसुफ नदी में कूद गया, लेकिन फिर कभी वापस नहीं लौटा.
वैलेंटाइन-डे पर आते हैं प्रेमी जोड़े
इस वाक़्य के कुछ दिनों बाद लड़की अपने घर आने के लिए निकली. घर वापस जाते वक़्त लड़की ने भी उसी जगह पानी में कूदकर अपनी जान दे दी. नदी में उसकी तलाश की गई. हैरानी की बात थी कि जब लड़की की नदी में तलाश की गई, तो दोनों एक-दूसरे का हाथ थामे हुए थे. दोनों को शहर के औरंगाबाद इलाक़े में सुपुर्दे ख़ाक किया गया. जिसे मौजूदा समय में आशिक़-माशूक़ का मक़बरा कहा जाता है. तब से लेकर आज तक ये मज़ार इश्क़ में डूबे लोगों के लिए अहम जगह के तौर पर जाना जाता है. यही वजह है कि सच्ची मोहब्बत की मिसाल आशिक़-माशूक़ के मज़ार पर वैलेंटाइन-डे पर लड़के और लड़कियों की बड़ी तादाद देखने को मिलती है.
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