SP may break alliance from SBSP: भाजपा गठबंधन छोड़कर 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव लड़ने वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर सपा मुखिया अखिलेश यादव के कार्यप्रणाली से बेहद नाराज हैं.
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बलियाः उत्तर प्रदेश के सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और समाजवादी पार्टी के बीच विधानसभा चुनाव के बीच बना गठबंधन बहुत जल्द टूट सकता है. सुभासपा के राष्ट्रीय सद्र ओम प्रकाश राजभर ने शुक्रवार को सपा से बढ़ती तल्खी की खबरों के बीच कहा कि उन्हें अखिलेश यादव की तरफ से ‘तलाक’ मिलने का इंतजार है. वह खुद सपा से गठबंधन तोड़ने को लेकर अपने स्तर पर पहल नहीं करेंगे. सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजभर ने शुक्रवार को कहा कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अगर उन्हें अपने साथ नहीं रखना चाहेंगे तो वह सपा के साथ जबरदस्ती नहीं रहेंगे.
गौरतलब है कि सुभासपा और सपा ने 2022 का विधानसभा चुनाव एक साथ मिलकर लड़ा था. सुभासपा ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था और छह पर जीत हासिल की थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ थी और राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद सत्ता में शामिल भी हुई थी, लेकिन बाद में पार्टी सरकार से अलग हो गई थी.
सुभासपा 12 जुलाई को बताएगी कि किसे देगी वोट
सुभासपा और सपा के बीच तल्खी गुरुवार को राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की पत्रकार वार्ता में भी नजर आई थी. सपा ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में गठबंधन के एक अन्य सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल रालोद के प्रमुख जयंत सिंह को तो बुलाया था, लेकिन सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर नजर नहीं आए थे. राजभर ने एक सवाल के जबाव में कहा कि वह राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर हिमायत के मसले पर अपने फैसले की घोषणा 12 जुलाई को करेंगे. उन्होंने कहा कि वह शुक्रवार को मऊ और शनिवार को बलिया और गाजीपुर में पार्टी के कार्यकर्ताओं से बात करेंगे और इसके बाद अपना फैसला सार्वजनिक करेंगे.
सपा के खराब प्रदर्शन से नाराज हैं राजभर
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीटों के हाल में सम्पन्न उपचुनाव में सपा के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद से ओमप्रकाश राजभर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के रवैये के खिलाफ मुखर हैं. उन्होंने अखिलेश को एसी कमरे से बाहर निकलकर सड़क पर संघर्ष करने की सलाह दी थी. उन्होंने यह भी कहा था कि सपा और बसपा को वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ना चाहिए. उनकी दलील थी कि जब दोनों ही दल पिछड़ों और वंचितों की लड़ाई लड़ रहे हैं तो फिर चुनाव अलग-अलग क्यों लड़ते हैं. अखिलेश यादव ने सपा और बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने की राजभर की सलाह को खारिज करते हुए मंगलवार को कहा था कि सपा को किसी की सलाह की जरूरत नहीं है.
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