West Bengal Elections: योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार से BJP को कितना फायदा पहुंचेगा?
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West Bengal Elections: योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार से BJP को कितना फायदा पहुंचेगा?

पश्चिम बंगाल में 8 मरहलों में चुनाव होंगे. इसके लिए तमाम सियासी पार्टियों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में 8 मरहलों में चुनाव होंगे. इसके लिए तमाम सियासी पार्टियों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है. सियासत की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी को नेताओं के बीच ज़ोरदार आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है.पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections) के पेश-ए-नज़र बीजेपी ने अपने फायर ब्रांड हिंदूवादी नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को चुनावी दंगल में उतार दिया है. बीजेपी हिंदू मतदाताओं के बीच योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता और उनकी आक्रामक प्रचार शैली को पूरी तरह से भुनाना चाहती है.

इसी कड़ी में मंगलवार को योगी आदित्यनाथ ने पश्चिम बंगाल के मालदा से अपने चुनावी अभियान का आग़ाज़ किया. मालदा से चुनावी अभियान के शुरू करने पीछे की रणनीति भी यही है कि वहां बीजेपी योगी की हिंदू वादी छवि का भरपूर फ़ायदा उठाना चाहती है. मालदा वह ज़िला है जहां मुस्लिम आबादी 50 फ़ीसदी से ज़्यादा है. ये ज़िला घुसपैठ और रिफ्यूजी की समस्याओं से भी जूझ रहा है और नक़ली नोट के कारोबार के लिए भी जाना जाता है. यहां बड़े पैमाने पर ग़ैरक़ानूनी हथियारों की तस्करी भी एक बड़ी समस्या है. ऐसे में बीजेपी को लगता है कि मालदा में योगी अपने हिंदू वादी और कठोर प्रशासनिक छवि से हिंदू वोटरों को ध्रुवीकरण करके उन्हें एस साथ लाने में कामयाब हो जाएंगे.

पिछले चुनावों में भाजपा मिली थीं सिर्फ तीन सीट
पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टी ने रियासत में सिर्फ़ तीन सीटें हासिल की थीं. उनमें एक सीट मालदा के वैष्णवनगर की भी सीट थी, जहां बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, जबकि 2019 के लोकसभा इंतख़ाबात में बीजेपी ने मालदा उत्तर लोकसभा सीट पर जीत का परचम हलराया था. उसके अलावा 2019 में हुए उपचनाव में भी हबीबपुर की सीट बीजेपी के खाते में गई थी. ऐसा माना जा रहा है कि इन सीटों पर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के कारण ही बीजेपी को कामयाबी नसीब हुई थी. ऐसे में मालदा जैसे मुस्लिम बहुल इलाक़ों में योगी आदित्यनाथ को चुनाव प्रचार का भरपूर मौक़ा फ़राहम किया जाएगा ताकि हिंदू वोटों को ज़्यादा से ज़्यादा ध्रुवीकरण किया जा सके और बीजेपी की सीटों में इज़ाफ़ा हो.

हैदराबाद बिहार में योगी दिखा चुके हैं अपना असर
इससे पहले योगी आदित्यनाथ हैदराबाद नगर निगम चुनाव और बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के लिए प्रचार कर चुके हैं और इन चुनाव प्रचारों का असर परिणामों में देखा जा चुका है. अब यही सफलता पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी दोहराने की उम्मीद जताई जा रही है. हैदराबाद नगर निगम चुनाव में योगी ने वहां रोड शो किया था. इस दौरान योगी ने ओवैसी की सरबराही वाली एआईएमआईएम को निशाना बनाकर वहां को हिंदू वोटरों को साधने की कोशिश की थी.

अख्तर-उल-ईमान पर साधा था निशाना
दरअसल, बिहार में जीते एआईएमआईएम के विधायक अख़्तर-उल-ईमान ने बिहार विधानसभा में शपथ ग्रहण के दौरान उर्दू में हिंदुस्तान के बजाए भारत कहने पर अड़ गए थे, इस पर योगी ने कहा था कि लोग हिंदुस्तान में रहते हैं, वह हिंदुस्तान का नाम शपथ में नहीं लेते. ये घटना दिखाती है कि ओवैसी की एआईएमआईएम का असली चेहरा क्या है.

हैदराबाद का नाम बदले की उठाई थी मांग
रोड शो के दौरान योगी ने हैदराबाद का नाम बदलने की बात कही थी और कश्मीर में ज़मीन खरीदने का ज़िक्र भी किया था. हैदराबाद में योगी के चुनाव प्रचार का असर चुनाव के परिणामों में भी दिखा. भाजपा ने 12 गुना लंबी छलांग लगाते हुए 48 सीट पर कब्जा कर लिया था और ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजसिल ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन को तीसरे नंबर पर धकेल दिया था.

बिहार में 17 जिलों में की थीं 19 सभाएं
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान योगी आदित्यनाथ ने 17 ज़िलों में तकरीबन 19 सभाएं करके 75 से ज़्यादा सीटों के परिणाम प्रभावित किए थे और इनमें से 50 सीटों पर एनडीए के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी. सीएम योगी का फोकस उन्हीं इलाक़ों पर था जहां बीजेपी को 2015 के विधान चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.  सीएम योगी ने पालीगंज, तरारी, जमूई, काराकाट, अरवल, रामगढ़, पूर्णिया, भागलपुर, सिवान, दरभंगा, सहरसा, झंझारपुर जैसे इलाक़ों में प्रचार किया था. इस दौरान योगी ने आरजेडी सरकार में हुए आतंक, अपराध और भ्रष्टाचार के मामलों को बड़े आक्रामक अंदाज में उठाए थे.

यूपी मॉडल की करते हैं बात
मंगलवार को योगी ने अपने चुनावी भाषणों में बार बार यूपी के विकास मॉडल का ज़िक्र किया और माफियाओं और अपराधियों से पाक होते उत्तर प्रदेश को बंगाल की अवाम के सामने मॉडल के तौर पर रखने की कोशिश की और बंगाल की बदह़ाली और वहां बढ़ती बेरोजगारी के लिए  ममता बनर्जी को जम कर निशाना साधा. बीजेपी की ह़िमकत-ए-अमली भी यही है कि उत्तर प्रदेश मॉडल के ज़रिए भी ममता बनर्जी को घेरा जाए.

पश्चिम बंगाल में बीजेपी को सीएम योगी के चुनाव प्रचार से कितना फायदा पहुंचता है, ये तो चुनाव नताीजों से ही साफ़ हो पाएगा, लेकिन अगर हम बिहार और हैदराबाद को सामने रख कर सोचें तो पश्चिम बंगाल में भी रणनीति कामयाब होती नज़र आ रही है. ग़ौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में इस बार विधानसभा चुनाव 8 चरणों में होंगे. पहले चरण के लिए 27 मार्च को मतदान होगा, जबकि आखिरी चरण की वोटिंग 29 अप्रैल को होगी और 2 मई को रिजल्ट आएगा.

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