कहते हैं बच्चे मन के सच्चे, लेकिन कई बार ये मन के सच्चे बच्चे अपने मन की बात नहीं कह पाते हैं. ज़्यादातर लोग कभी उनके मन की बात जानने की कोशिश भी ही नहीं करते हैं, जिसकी वजह से बच्चे डिप्रेशन का शिकार होने लगते हैं. सभी बस इसी ग़लतीफेहमी में रह जाते हैं कि डिप्रेशन जैसी परेशानी सिर्फ बड़े लोगों को होती है. बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण को कैसे पहचाने, और उनको इस परेशानी से कैसे बाहर निकालें. तो सबसे पहले आपको बताते हैं बच्चे इस डिप्रेशन का शिकार क्यों हो रहे हैं. आपको बता दे बच्चों को सबसे से ज़्यादा प्रेशर स्कूल का रहता है. स्कूल में पढ़ाई का प्रेशर, दोस्तों के बीच नंबर वन बने रहने का प्रेशर. सबसे अच्छा परफार्म करने का प्रेशर भी बच्चों की दिमाग़ी हालत को ख़राब कर देता है. स्कूल प्रेशर की वजह से बच्चे ख़ुद के बारे में ग़लत सोच बना लेते हैं और उन्हें तनाव से बाहर लाना मुश्किल हो सकता है. ऐसे में वालदैन होने के नाते आपको अपने बच्चों की परेशानी को समझना चाहिए. इन परेशानियों को हल करना आपकी ज़िम्मेदारी भी है. देखें वीडियों