Mothers are selling their children to deal with hunger in Bulkh Province of Afghanistan: अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद वहां के आर्थिक हालात बद से बदतर बनते जा रहे हैं. लोग भूख और गरीबी से उबरने के लिए अपने बच्चों को बेच रहे हैं. इस संकट से निपटने के लिए वैश्विक सहायता नाकाफी साबित हो रहे हैं.
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काबुलः अफगानिस्तान के बल्ख प्रांत में गरीबी और भुखमरी अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई है. यहां तक कि लोग अपनी भूख मिटाने के लिए अपने बच्चों तक को बेचने लगे हैं. ऐसा ही हैरान कर देने वाला मामला गुजिश्ता दिनों सामने आया था. टोलो न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गरीबी और भूखमरी की वजह से शनिवार को जब एक परिवार अपने बच्चे को बेचने की कोशिश कर रहा था, तो उसे बचा लिया गया. न्यूज चैनल ने रिपोर्ट किया है कि प्रांत के कुछ मकामी लोगों द्वारा परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने, भोजन और अन्य सहायता के बाद दो साल के बच्चे को बेचने से प्रशासन ने बचा लिया था.
मेरे घर में खाने या ईंधन के लिए कुछ भी नहीं है
बल्ख के डिप्टी गवर्नर नूरुल हादी अबू इदरीस ने कहा, “हमने कुछ दिनों पहले रेड क्रॉस के साथ एक बैठक की है. हम इन संस्थानों के सदस्यों को हमारी सहायता करने के तरीके से रूबरू कराएंगे.“ टोलो न्यूज के मुताबिक, बच्चे की मां ने कहा कि गरीबी और भूखमरी की वजह से उन्हें अपने बच्चे को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा था. बच्चे की मां ने कहा, “मैं हकीकत में एक मुश्किल दौर से गुजर रही हूं. मेरे घर में खाने या ईंधन के लिए कुछ भी नहीं है. मैंने सर्दियों के लिए कोई तैयारी नहीं की है. मुझे अपनी बेटी को बेचना है और सर्दियों के लिए कुछ सामान लाना है.“
मुझे कोई मदद नहीं मिली
नसरीन नाम की इस औरत ने बताया कि बच्चे की उसने अधिकारियों को प्रांत की स्थिति और वहां रहने वाले निवासियों को गंभीर रूप से खराब परिस्थितियों के बारे में बताया था, लेकिन न तो स्थानीय सरकार और न ही मानवीय एजेंसियों ने उन्हें एक साल से ज्यादा वक्त से कोई सहायता की पेशकश की. नसरीन ने कहा, “मैं खुद दो या तीन बार अफसरों के पास गई और मदद के लिए गुजारिश की. मेरा नाम सहायता सूची में डालने के लिए उनसे गुजारिश की. उन्होंने जवाब दिया कि हमने आपका नाम डाल दिया है, लेकिन अभी तक मुझे कोई मदद नहीं मिली है.“
विदेशी एजेंसियों से मिल रही मदद नाकाफी
गौरतलब है कि जब से तालिबान ने अफगानिस्तान के शासन पर नियंत्रण किया है, देश में लोग बुनियादी सुविधाओं और गंभीर मानवीय संकटों के बिना दयनीय हालत में पहुंच गए हैं. विश्व खाद्य कार्यक्रम ने अफगानिस्तान में आर्थिक संकट और बढ़ती बेरोजगारी के बारे में भी चिंता जताई है. अफगानिस्तान में खाद्य असुरक्षा में इजाफे के मद्देनजर, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने 38 फीसदी अफगानों को संकट के प्रभाव से बचने में मदद करने के लिए मदद की है.
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