Nijjar Killing: निज्जर हत्या के मामले पुलिस ने तीन भारतीयों को गिरफ्तार किया था. जिसमें से एक स्टडी वीजा पर पढ़ने आया था. पुलिस इस मामले की जांच कर रही है, हालांकि भारतीय सरकार को कोई भी सबूत देने में असफल रही है.
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Nijjar Killing: कनाडा में मौजूद ग्लोबल न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे संदिग्ध भारतीय नागरिकों में से एक ने स्टडी परमिट का इस्तेमाल करके कनाडा में एंट्री की थी. करण बराड़, जिन्हें 3 मई को दो अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था, उन्होंने 2019 में पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा कि उन्होंने पंजाब के बठिंडा में एथिकवर्क्स इमिग्रेशन सर्विसेज के जरिए से स्टूडेंट वीजा के लिए आवेदन किया था और कुछ ही दिनों में उन्हें यह मिल गया था. बता दें, कनाडा का स्टूडेंट वीजा लगने में 7-9 हफ्ते का वक्त लगता है.
एथिकवर्क्स इमिग्रेशन सर्विसेज ने अपने फेसबुक पेज पर बरार की एक तस्वीर शेयर की थी, जिसमें वह कनाडाई स्टडी परमिट के साथ पासपोर्ट पकड़े हुए दिखाई दे रहा है. हालाँकि, वीडियो अब हटा दिया गया है. इस पोस्ट पर लिखा था कनाडा के वीजा के लिए बधाई हो करण बरार. कोटकापुरा से एक और खुश क्लाइंट. ग्लोबल न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि बरार ने 30 अप्रैल, 2020 को कैलगरी के बो वैली कॉलेज में पढ़ाई शुरू की. वह 4 मई, 2020 को एडमॉन्टन चले गए.
वहीं स्कूल के स्पोकपर्सन ने कहा कि बरार ने आठ महीने के हॉस्पिटल यूनिट प्रोग्राम के लिए एनरोल किया था. हालांकि, स्पोकपर्सन ने यह नहीं बताया कि निज्जर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुआ शख्स वही था. हालांकि कॉलेज का कहना है कि वह एथिकवर्क इमिग्रेशन सर्विस से जुड़ा हुआ नहीं है.
तीन भारतीयों को 3 मई को अल्बर्टा के एडमोंटन में गिरफ्तार किया गया और उन पर प्रथम श्रेणी की हत्या का आरोप लगाया गया. बराड़ के अलावा अन्य दो की पहचान 28 साल के करणप्रीत सिंह और 22 साल के कमलप्रीत सिंह के तौर पर हुई है. हालांकि, कनाडा पुलिस इन तीनों के इस हत्या में शामिल होने का भारत सरकार को कोई सबूत नहीं दे पाई है.
हरदीप निज्जर की हत्या 18 जून, 2023 को सरे में एक गुरुद्वारे के सामने गोली मारकर की गई थी. कनाडाई पुलिस ने कहा था कि जिस दिन निज्जर की हत्या हुई थी, उस दिन तीनों ने कथित तौर पर शूटर, ड्राइवर और जासूस के तौर पर अलग-अलग रोल निभाया था. अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं कि क्या तीनों के तार भारत सरकार से जुड़े हुए हैं या नहीं.
पिछले साल, कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस घटना के पीछे "भारत सरकार के एजेंटों" को दोषी ठहराया था. भारत सरकार ने दावे को "बेतुका" बताया था. इस बयान के बाद भारत सरकार ने कनाडा से अपने 40 से अधिक राजनयिकों को देश से वापस बुलाने के लिए कहा था और कनाडाई नागरिकों को वीजा जारी करना भी बंद कर दिया था.