Pakistan: कश्मीर समस्या के समाधान पर पूर्व विदेश मंत्री का बड़ा दावा; 8 साल पहले कही ये बात
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam1559561

Pakistan: कश्मीर समस्या के समाधान पर पूर्व विदेश मंत्री का बड़ा दावा; 8 साल पहले कही ये बात

India-Pakistan: पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री ख़ुर्शीद महमूद कसूरी ने अपनी किताब 'Neither A Hawk Nor A Dove' में बड़ा दावा किया है.उन्होंने इस किताब में बताया कि परवेज़ मुशर्रफ़ के दौर में भारत और पाकिस्तान कश्मीर मुद्दा सुलझाने की कगार पर था. 

पूर्व विदेश मंत्री ख़ुर्शीद महमूद कसूरी

India-Pakistan: पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री ख़ुर्शीद महमूद कसूरी ने अपनी किताब 'Neither A Hawk Nor A Dove' में बड़ा दावा किया है . उन्होंने इस किताब में बताया कि परवेज़ मुशर्रफ़ के दौर में भारत और पाकिस्तान कश्मीर मुद्दा सुलझाने की कगार पर था. कसूरी ने बताया कि कश्मीर मसले को हल करने के लिए भारत पाकिस्तान के दरमियान चार पॉइंट फ्रेमवर्क पर तक़रीबन रज़ामंदी बन गई थी. इसके लिए दोनों देशों के बीच पर्दे के पीछे से चर्चा का दौर चल रहा था. पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री ने दावा किया कि हालांकि कुछ सियासी तब्दीली होने की वजह से इस समझौते को मूर्त रूप नहीं दिया जा सका.

भारत- पाकिस्तान के बीच कई सतहों पर बातचीत
लगभग 8 साल पहले यानि  2015 में प्रकाशित हुई अपनी किताब में खुर्शीद अहमद कसूरी ने बताया कि भारत पाकिस्तान के बीच कई सतहों पर बातचीत चल रही थी और दोनों मुल्कों की तरफ से जो कदम उठाए जाते वो अलग हटकर होते, जिसका मक़सद लंबे वक़्त से अधर में लटकी कश्मीर की समस्या का हल करना था. मुशर्रफ के राष्ट्रपति रहने के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री रहे कसूरी ने लिखा, हमने सितंबर 2004 में भारत के पीएम मनमोहन सिंह के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जे.एन. दीक्षित से कश्मीर के लिए "ऑउट ऑफ बॉक्स" (नये और अलग तरह का) समाधान का जिक्र करते हुए सुना". 

पूर्व विदेश मंत्री का दावा
पूर्व पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने मुशर्रफ की किताब '"इन द लाइन ऑफ फायर" का ज़िक्र किया जिसमें उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर अलग नज़रिया वाले समाधान की ज़रूरत के बारे में लिखा है. कसूरी ने कहा कि मुशर्रफ का चार सूत्रीय एजेंडा था, जिसमें बातचीत की शुरुआत, कश्मीर की केंद्रीयता को स्वीकार किया जाए, पाकिस्तान, भारत और कश्मीरियों को जो स्वीकार नहीं हो उसे हटा दिया जाए, सभी तीनों पक्षों के लिए मान्य समाधान पर पहुंचा जाए. साल 2015 में दिल्ली में एक प्रोग्राम में अपने ख़िताब में कसूरी ने दोहराया था कि संप्रग के पहले शासनकाल में भारत और पाकिस्तान कश्मीर पर 'फ्रेमवर्क' के नज़दीक पहुंच गये थे और दोनों पक्षों ने ऐलान के बाद 'जीत' का दावा नहीं करने का भी फैसला किया था. बता दें कि साल 2002 से 2007 तक खुर्शीद अहमद कसूरी  पाकिस्तान के विदेश मंत्री के पद पर रहे थे.

Watch Live TV

Trending news