ईरान जैसी होगी अफगानिस्तान की शासन व्यवस्था, मुल्ला अखुंदजादा होंगे सर्वोच्च नेता
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ईरान जैसी होगी अफगानिस्तान की शासन व्यवस्था, मुल्ला अखुंदजादा होंगे सर्वोच्च नेता

सर्वोच्च नेता देश का सबसे बड़ा राजनीतिक और धार्मिक प्राधिकारी होता है. उसका पद राष्ट्रपति से ऊपर होता है और वह सेना, सरकार और न्याय व्यवस्था के प्रमुखों की नियुक्ति करता है.

मुल्ला हेबतुल्ला अखुंदजादा

पेशावरः तालिबान काबुल में ईरान की तर्ज पर नई सरकार के निर्माण की घोषणा करने के लिए पूरी तरह तैयार है. समूह के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा है कि तालिबान के सबसे बड़े धार्मिक नेता मुल्ला हेबतुल्ला अखुंदजादा को अफगानिस्तान का सर्वोच्च नेता बनाया जाएगा. तालिबान के ‘सूचना एवं संस्कृति आयोग’ के वरिष्ठ अधिकारी मुफ्ती इनामुल्ला समांगनी ने बुध को कहा, “नई सरकार बनाने पर बातचीत लगभग अंतिम दौर में है और मंत्रिमंडल को लेकर भी चर्चा हुई.” उन्होंने कहा कि अगले तीन दिन में काबुल में नई सरकार बनाने के लिए समूह पूरी तरह तैयार है. नई सरकार में 60 वर्षीय मुल्ला अखुंदजादा तालिबान सरकार के सर्वोच्च नेता होंगे.

ईरान जैसी सरकार का ये है मतलब 
ईरान में नेतृत्व की तर्ज पर यह व्यवस्था की जाएगी जहां सर्वोच्च नेता देश का सबसे बड़ा राजनीतिक और धार्मिक प्राधिकारी होता है. उसका पद राष्ट्रपति से ऊपर होता है और वह सेना, सरकार और न्याय व्यवस्था के प्रमुखों की नियुक्ति करता है. देश के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों में सर्वोच्च नेता का निर्णय अंतिम होता है. समांगनी ने कहा, “मुल्ला अखुंदजादा सरकार के सर्वोच्च नेता होंगे और इस पर कोई सवाल नहीं होना चाहिए.’’ उन्होंने संकेत दिया कि राष्ट्रपति अखुंदजादा के अधीन काम करेंगे.

प्रांतीय और जिला गर्वनरों की नियुक्ति कर चुका है तालिबान 
मुल्ला अखुंदजादा तालिबान के सबसे बड़े धार्मिक नेता हैं और पिछले 15 साल से बलूचिस्तान प्रांत के कचलाक क्षेत्र में स्थित एक मस्जिद में कार्यरत हैं. समांगनी ने कहा कि नई सरकार के तहत, गवर्नर प्रांतों के प्रमुख होंगे और ‘जिला गवर्नर’ अपने जिले के प्रभारी होंगे. तलिबान ने पहले ही प्रांतों और जिलों के लिए गवर्नरों, पुलिस प्रमुखों और पुलिस कमांडरों की नियुक्ति कर दी है. उन्होंने कहा कि नई प्रशासन प्रणाली का नाम, राष्ट्रीय झंडा और राष्ट्र गान पर अभी फैसल लिया जाना बाकी है.

सरकार में सभी कबीलों और महिलाओं को शामिल किया जाएगा
इस बीच दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय में उप नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने जुमेरात को विदेशी मीडिया चैनलों को बताया कि नई सरकार में अफगानिस्तान के सभी कबीलों के सदस्यों और महिलाओं को शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जो कोई भी पिछले 20 साल में अफगानिस्तान में पूर्ववर्ती सरकारों में शामिल था उसे नए तालिबान प्रशासन में जगह नहीं मिलेगी.” उन्होंने कहा कि मुल्ला अखुंदजादा कंधार से सरकार का कामकाज देखेंगे.

यूरोपीय संघ, अमेरिका और भारत से चाहता है दोस्ताना संबंध 
मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने कहा कि तालिबान यूरोपीय संघ, अमेरिका और भारत से दोस्ताना संबंध चाहता है और इसके लिए दोहा में तालिबान का राजनीतिक कार्यालय विभिन्न देशों के संपर्क में है. स्तानिकजई ने कहा कि अगले 48 घंटे में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर परिचालन शुरू हो जाएगा और वैध दस्तावेजों के साथ आए लोगों को देश छोड़ने की अनुमति दी जाएगी. उन्होंने कहा कि हवाई अड्डे की मरम्मत के लिए ढाई से तीन करोड़ अमेरिकी डॉलर का खर्च आयेगा. 

आतंकवाद से जुड़ी चिंताओं पर प्रमुख जोरः भारत 
इधर नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि भारत का तत्काल जोर यह सुनिश्चित करने पर है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल उसके खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाए. इसके दो दिन पहले ही कतर में भारतीय दूत ने तालिबान के एक शीर्ष नेता के साथ बातचीत की थी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत ने दोहा बैठक का इस्तेमाल भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए अफगान क्षेत्र के संभावित उपयोग को लेकर अपनी चिंताओं को व्यक्त करने तथा बाकी भारतीयों को अफगानिस्तान से वापस लाने के संबंध में किया. उन्होंने कतर में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल और तालिबान नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानकजई की मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि हमें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है.

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