Mission DART: पृथ्वी की तरफ बढ़ रहे एस्टेरॉयड को नासा ने अपने स्पेसक्राफ्ट से स्पेस में ही टक्कर मारकर बड़े खतरे से बचा लिया है. जिसके बाद इसको एक बड़ी उपल्बधी के तौर पर माना जा रहा है. अब आप सोच रहे होंगे की ऐसा कैसे मुमकिन है, तो बता दें कि ये मिशन डार्ट से मुमकिन हो पाया है. आइए जानते हैं कि आख़िर मिशन डार्ट क्या है?
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Mission DART: सुपर विलेन कहे जाने वाले एस्टेरॉयड डिडिमोस (Didymos) को पृथ्वी से टकराने से रोकने में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) को कामयाबी मिली है. यह नासा ने अपने डार्ट (DART) मिशन के तहत किया है. रिपोर्ट् के मुताबिक, एस्टेरॉयड डिडिमोस 160 मीटर चौड़ा और करीब 22,500 किलोमीटर की स्पीड से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा था तभी नासा का डार्ट स्पेसक्राफ्ट इंडियन ओशन के ऊपर लगभग 96 लाख किलोमीटर दूर एस्टेरॉयड से टकराया. साइंटिस्ट्स को उम्मीद थी कि स्पेसक्राफ्ट के टकराने से एस्टेरॉयड पर गड्ढा बनेगा और उसमें कुछ बदलाव होगा. लेकिन टक्कर से रेडियो सिग्नल लॉस्ट होने की वजह से इस बारे में पता नहीं चल पाया हैं.
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नासा की रिपोर्ट्स के मुताबिक स्पेस में लगभग 26,000 एस्टेरॉयड घूम रहे हैं जिनके पृथ्वी से टकराने का खतरा बना रहता है. पृथ्वी को इस तरह के खतरे से बचाने के लिए नासा ने नवंबर 2021 में डार्ट मिशन की शुरूआत की. इस मिशन के तहत एक स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी की तरफ आ रहे एस्टेरॉयड को करीब 24000 किलोमीटर की स्पीड से टक्कर मारता है. नासा ने इस इवेंट को प्लेनेट्री डिफेंस का नाम दिया है. नासा के मुताबिक इस मिशन पर करीब 2500 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.
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नासा के प्लेनेट्री डिफेंस ऑफिसर लिंडले जॉनसन ने बताया कि, “हमारी कोशिश रही है कि ऐसी टेक्नोल़ॉजी डेवलप की जाए जो पृथ्वी पर आने वाले खतरों को रोक सके. कोई एस्टेरॉयड पृथ्वी को नुकसान न पहुंचा सके, इसकी पूरी कोशिश है. इसके अलावा हम ज़्यादा से ज़्यादा अपनी क्षमताओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. जॉनसन के मुताबिक, “ऐसी घटना को रोकने के लिए जो स्पेसक्राफ्ट भेजा जाता है उसमें मिनिएचर कैमरा लगा होता जो इवेंट की कई तस्वीरें कैप्चर करता है. यह साइंटिस्ट्स को टक्कर से पहले तक वहां के माहौल के बारे में रूबरू कराएगा”.
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