Illegal Trade of US Army Left weapon in Afghanistan: इन अवैध हथियारों से खुद अफगानिस्तान और पाकिस्तान को खतरा होने के साथ ही भारत विरोधी पाकिस्तानी आतंकवादियों के हाथ में पहुंचने के बाद बड़े पैमाने पर भारत के खिलाफ इन हथियारों का इस्तेमाल होने का खतरा भी मंडरा रहा है.
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नई दिल्लीः अफगानिस्तान से अमेरिकन और नैटो (NATO) सेना की वापसी और तालिबान के कब्जे के बाद अवैध हथियारों का कारोबार पाकिस्तान में खूब फल-फूल रहा है. अमेरिकन फौज की छोड़े हुए अत्याधुनिक हथियार की खरीद-बिक्री जहां कई लोगों के लिए रोजी-रोटी कमाने का जरिया हो सकती है, वहीं इन अवैध हथियारों के भारत विरोधी पाकिस्तानी आतंकवादियों के हाथ में पहुंचने के बाद बड़े पैमाने पर भारत के खिलाफ इन हथियारों का इस्तेमाल करने का खतरा भी मंडरा रहा है. अवैध हथियारों की इस खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध के लिए अगर तालिबान सरकार रोक नहीं लगाती है तो इससे भारत के सरहदी इलाकों की शांति-व्यवस्था खतरे में पड़ सकती है.
सस्ते दामों पर मिल रहा है यूएस मेड ये अत्याधुनिक हथियार
अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा डूरंड रेखा के पास पड़ने वाले कबाईली खैबर पखतूनवा जिले में इन दिनों अमेरिकन आर्मी के हथियार आलू-प्याज की तरह रोड साइड में लगी दुकानों में खुल तौर पर बेची और खरीदी जा रही है. इन हथियारों में यूएस मेड पिस्टल, लाॅन्ग रेंज स्नाइपर राइफल्स, बंदूक, हैंड ग्रेनड, बम डिसपोजल यंत्र, नाइट विजन गगल्स, मिलिट्री यूनिफाॅर्म और होल्स्टर के साथ यूएस आर्मी के कई रक्षा उपकरण यहां औने-पौने दामों पर खरीद-बिक्री की जा रही है.
कितने में मिल रहा है कौन-सा हथियार ?
इस खुले बाजार में 9 से दस हजार यूएस डाॅलर का मिलने वाला एम4 श्रेणी का ए2 और ए4 राइफल्स 2.5 से 3 हजार डाॅलर में मिल रहा है. एम 16 राइफल्स का ए2 और ए4 वर्जन भी यहां 1800 से 2000 डाॅलर में आसानी से मिल जाता है. प्रसिद्ध अमेरिकन M ग्लाॅक, ब्रेटा, स्मिथ, वेसन 9एमएम पिस्टल यहां 350 से 500 डाॅलर में मिल जाता है. यह हथियार कोई आम हथियार नहीं होता है. एक लोकल विक्रेता का कहना है कि अमेरिका में अपने आर्मी के लिए और दूसरे देशों को बेचने के लिए अलग-अलग क्वालिटी के हथियार बनते हैं और ये हथियार आर्मी वाले हथियार हैं. इसे खास तौर पर अच्छे गुणवत्ता वाली धातुओं के साथ बनाया जाता है. दुनिया भर में इसकी खूब डिमांड रहती है.
इन रास्तों से पाकिस्तान में हो रही अवैध हथियारों की सप्लाई
लैंडीकोटल इलाके में अवैध हथियार बेचने वाले एक व्यापारी की माने तो अफसरों की मिलीभगत से अफगानिस्तान से फल और सब्जियां लदे ट्रकों में अवैध हथियार भरकर पाकिस्तान भेजा जा रहा है. खैबर पखतूनवा में तोरखुम, बलोचिस्तान में चमन, नाॅर्थ वजीरिस्तान में गुलाम खान और नवा पास इलाके से हथयारों की सप्लाई हो रही है. ट्रकों के पाकिस्तान की सीमा में घुसने के पहले तीन स्तरों में सुरक्षा जांच होती है, इसके बावजूद अफसरों के सहयोग से हथियारों की अवैध सप्लाई जारी है. पाकिस्तान का कस्टम विभाग भी इसे एक बड़ी चूक और खतरे की घंटी मान रहा है.
कौन बेच रहा है यूएस आर्मी का हथियार
अमेरिकन और नैटो सेना द्वारा अफगानिस्तान में आर्मी बेस कैंप में छोड़े गए हथियारों को ज्यादातार तालिबान के लड़ाकों ने लूटा था और बाद में उन्होंने ही उसे हथियारों के अवैध डीलरों को बेच दिया था. इसके अलावा अमेरिकन फौज और नैटो की सेना ने अफगान आर्मी को बड़े पैमाने पर मिलिट्री टेªनिंग के साथ यूएस मेड हथियार भी दिए थे, जो तालिबान के कब्जे के बाद अफगान आर्मी के पास रह गए थे. इन हथियारों को अफगान आर्मी के लड़ाके भी अब बेच रहे हैं. कई प्रांतो में आर्मी बेस से आम लोगों ने भी कुछ हथियार लूटे थे जिसे बाद में वह हथियारों के ओपन मार्केट में बेच रहे हैं.
सरकार ने यूएस मेड हथियारों की खरीद-बिक्री पर लगा रखा है रोक
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के सरहदी इलाकों में तालिबान और पाकिस्तान दोनों सरकारों ने यूएस मेड हथियारों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगा रहा है. तालिबान सरकार ने साफ तौर पर निर्देश जारी किया है कि किसी भी तालिबानी लड़ाके, अफगान आर्मी या अफगानिस्तान के आम नागरिकों द्वारा अमेरिकन या नैटो सैनिकों के प्रयोग वाले हथियार की खरीद-बिक्री न करें. ऐसे करने वालों से जुर्माना और जेल का प्रावधान रखा गया है. पाकिस्तान में भी यही नियम लागू है. लेकिन इसके बावजूद हथियारांे की अवैध सप्लाई बदस्तूर जारी है.
इन हथियारों से सभी को है खतरा
यूएस आर्मी की उन्नत किस्म के अवैध हथियारों से किसे खतरा है, इस बात पर रक्षा विशेषज्ञों और पाकिस्तान मामलों के जानकारों का कहना है कि इससे सभी को समान रूप से खतरा है. तालिबान को डर है कि अगर भारी मात्रा में ये हथियार अफगान आर्मी, आईएसआईएस या फिर उसके विरोधी धरों के पास पहुंचता है तो उसके लिए खतरा पैदा हो सकता है. इन हथियारों से पाकिस्तान को भी खतरा है. उसे डर है कि अगर यह बलोचिस्तान आर्मी के हाथ लग जाता है तो पाकिस्तान के शांति-व्यवस्था के लिए खतरा पैदा हो सकता है. वहीं दूसरी तरफ अगर ये हथियार भारत विरोधी पाकिस्तानी आतंकवादियों के पास पहुंचता है तो वह कश्मीर में भारत विरोधी अभियानों में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इसलिए इन हथियारों से तीनों देशों का समान रूप से खतरा है.
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