मृदुभाषी देवेंद्र फड़नवीस के विरोधी भी हैं प्रशंसक
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मृदुभाषी देवेंद्र फड़नवीस के विरोधी भी हैं प्रशंसक

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले देवेंद्र फड़नवीस कोई बड़ा नाम नहीं था। देवेंद्र बिना चर्चा में आए पार्टी के लिए काम करते रहे और जब समय आया तो पार्टी ने उनके सिर पर मुख्यमंत्री पद का ताज रखने में कोई देरी नहीं की।

आलोक कुमार राव

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले देवेंद्र फड़नवीस कोई बड़ा नाम नहीं था। देवेंद्र बिना चर्चा में आए पार्टी के लिए काम करते रहे और जब समय आया तो पार्टी ने उनके सिर पर मुख्यमंत्री पद का ताज रखने में कोई देरी नहीं की। 31 अक्टूबर को देवेंद्र महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री बन जाएंगे। 44 वर्षीय देवेंद्र कम समय में ही अपनी योग्यता एवं क्षमता से राज्य से लेकर केंद्र तक के नेताओं को चौंका दिया। देवेंद्र की राजनीतिक गतिविधियों की धुरी नागपुर रही है और नागपुर से ही देवेंद्र ने कॉरपोरेटर से लेकर मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया है।   

स्वभाव से शांत चित्त वाले फड़नवीस की पहचान राजनीतिक गलियारे में एक मृदुभाषी व्यक्ति के रूप में है। अपने इसी स्वभाव के कारण देवेंद्र अपने राजनीतिक विरोधियों के चहेते भी हैं। चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे कई मौके आए जब विरोधियों ने देवेंद्र पर तीखा हमला किया लेकिन इस नेता ने कभी भी अपना आपा नहीं खोया। चुनाव के बाद तक देवेंद्र की पहचान पूरे महाराष्ट्र में नहीं थी लेकिन मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नितिन गडकरी के साथ जब इनका नाम उछला तो देवेंद्र यकायक पूरे राज्य में चर्चित हो गए। देवेंद्र के राजनीतिक गुरु नितिन गडकरी हैं। देवेंद्र ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि मुख्यमंत्री पद की दौड़ में एक दिन उनका सामना उनकी राजनीतिक पारी को संवारने वाले गडकरी से होगा।       

एक समय ऐसा भी था जब देवेंद्र के पिता गंगाधरराव फड़नवीस ने नितिन गडकरी को एक आदर्श स्वयंसेवक के रूप में गढ़ने में काफी सहयोग किया। देवेंद्र के पिता जन संघ के एक वरिष्ठ नेता थे। गडकरी के जीवन पर देवेंद्र के पिता का काफी असर रहा और जब गंगाधरराव इस दुनिया में नही रहे तो गडकरी ने एक तरीके से देवेंद्र के जीवन को दिशा दी। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में गडकरी का नाम आने पर देवेंद्र ने उनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा। देवेंद्र की यह विनम्रता एवं सौम्यता उनके राजनीतिक करियर को परवान चढ़ाने में काफी मदद की है और कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यही खासियत उन्हें राज्य से लेकर केंद्र तक के नेताओं को अपना प्रिय बनाती आई है।  fallback

मराठा राजनीति और मराठा नेताओं के वर्चस्व वाले इस राज्य में 44 वर्षीय फड़नवीस की आरएसएस में गहरी जड़ें हैं। भाजपा से अलग हो चुके सहयोगी दल शिवसेना के मनोहर जोशी के बाद वह ऐसे दूसरे ब्राह्मण नेता हैं जो मुख्यमंत्री बनेंगे। विधानसभा चुनाव में भाजपा के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद मृदुभाषी और युवा नेता फड़नवीस इस शीर्ष पद के लिए स्पष्ट रूप से सबसे पसंदीदा नेता बने। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के भी विश्वस्त हैं। राजनीतिक गलियारे में फड़नवीस की पहचान एक साफ-सुथरी छवि वाले नेता की रही है। विधायक दल का निर्विवाद नेता चुने जाने में उनकी यह छवि काफी अहम रही। मराठा राजनीति और नेताओं के दबदबे वाले राज्य महाराष्ट्र में फड़नवीस दूसरे ब्राह्मण मुख्यमंत्री होंगे। इससे पहले शिवसेना के मनोहर जोशी ब्राह्मण मुख्यमंत्री बने थे।

लॉ में स्नातक देवेंद्र के पास व्यापार प्रबंधन में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री है। उन्होंने अर्थशास्त्र में दो पुस्तकें भी लिखी हैं। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में एकनाथ खडसे और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुधीर मुंगंतीवार के नाम पर भी चर्चा चल रही थी लेकिन फड़नवीस की सौम्यता, योग्यता, मृदूभाषिता इन सभी नेताओं पर भारी पड़ी। देवेंद्र कभी मंत्री नहीं रहे लेकिन वह विधानसभा के लिए लगातार चार बार चुने गए हैं। उनमें प्रशासनिक अनुभव का अभाव हो सकता है लेकिन उनकी क्षमताओं पर किसी को संदेह नहीं है।

एक मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र के समक्ष कई चुनौतियां होंगी। महाराष्ट्र में पिछली सरकार (कांग्रेस-राकांपा गठबंधन) के कार्यकाल के दौरान हुए घोटालों की जांच में देवेंद्र को अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा। आदर्श घोटाला और सिंचाई घोटाले में कांग्रेस और राकांपा के कई नेताओं की संलिप्तता उजागर हुई है। इन घोटालों में एक निष्पक्ष जांच की उम्मीद जनता लगाए बैठी है। इसके अलावा महाराष्ट्र में विदर्भ में किसानों की दयनीय दशा सुधारने और पानी की कमी दूर करने की चुनौती देवेंद्र के सामने होगी।

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