दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर एक बार फिर खतरनाक लेवल पर पहुंच गया है. पिछले 2 दिनों से राजस्थान में चल रही धूल भरी आंधी के चलते दिल्ली में यह हालत हुई है.
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नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर एक बार फिर खतरनाक लेवल पर पहुंच गया है. पिछले 2 दिनों से राजस्थान में चल रही धूल भरी आंधी के चलते दिल्ली में यह हालत हुई है. यहां लोगों को सांस लेने तक में तकलीफ हो रही है. मौसम विभाग के मुताबिक, दिल्ली में अगले तीन दिनों तक हवा में धूल के कण अपना जहरीला असर छोड़ते रहेंगे और लोगों को घुटन महसूस होगी. डॉक्टरों का कहना है कि जहरीली हवा से बचने के लिए लोगों के पास सबसे बेहतर विकल्प मास्क है, लेकिन दिल्ली की हवा में प्रदूषण के कण काफी छोटे-छोटे हैं. पीएम 2.5 के कण को रोक पाना हर मास्क के लिए संभव नहीं है.
दिल्ली में खतरे के स्तर पर PM-10
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (EPCA) के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में PM-10 का स्तर 823 के पार चला गया था. यह सामान्य स्तर से 8 गुना ज्यादा है, जो पुअर कैटेगरी में आता है. बता दें कि PM यानी पार्टिक्यूलेट मेटर, ठोस और लिक्विड के कण होते हैं जो हवा में तैरते रहते हैं. इनका डायामीटर 10 माइक्रोमीटर से भी कम होता है, जिसके चलते ये आसानी से फेफड़ों में पहुंचकर सांस लेने में दिक्कतें जैसी कई खतरनाक बीमारियां पैदा करते हैं.
Visuals of dust and haze from Delhi's Rajpath area, prominent pollutant PM 10 at 262 in 'poor' category. pic.twitter.com/cenNyuSeGo
— ANI (@ANI) June 14, 2018
दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स
दिल्ली में गुरुवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स बहुत खराब स्तर पर पहुंच गया. दिल्ली में कई जगहों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 के पार चला गया, जो कि बेहद खराब होता है. एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 के नीचे हो तो यह बेहद अच्छा होता है. जैसे-जैसे यह बढ़ता है वैसे-वैसे लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता जाता है.
Delhi: Air Quality Index at RK Puram, Mandir Marg, Dwarka, Punjabi Bagh, & ITO remain in 'Hazardous' category pic.twitter.com/YeQkRm63gg
— ANI (@ANI) June 14, 2018
क्या मास्क है प्रदूषण से बचने का इलाज?
अब बात करते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण से बचने के लिए क्या करें. आपको याद होगा कुछ समय पहले एक फिल्म पिंक आई थी. आपने गौर किया हो तो इस फिल्म में अमिताभ बच्चन हमेशा एक अजीब सा मास्क पहने रहते हैं. आपको बता दें कि उनका ये मास्क अजीब नहीं, बल्कि बहुत खास था. वास्तव में ये एक 'Elevation Training Mask' यानि कि 'ऊंचाई प्रशिक्षण मास्क' था. इस मास्क की खासियत है कि इसको पहनने के बाद लोगों को कम हवा का दवाब महसूस नहीं होता, जैसा कि ऊंचाई पर जाने पर लगता है.
Delhi: Air Quality of Lodhi Road area, prominent pollutant PM 10 in 'poor' category. pic.twitter.com/ZL6XPZ7oMZ
— ANI (@ANI) June 14, 2018
ऑक्सीजन की मात्रा में होता है सुधार?
यह मूल रूप से सामान्य की तुलना में जल्दी सांस लेने की परेशानी से लोगों को बाहर निकलने में मदद करता है. हालांकि, इसको पहनने के बाद भी हवा की कंपोजिशन वैसी ही रहती है, जैसी इसको बिना पहने होती है. यह फेफड़ों और डायफार्म को मजबूत बनाने में मदद करता है, जिससे फेफड़ों की क्षमता तो बढ़ती ही है साथ ही ऑक्सीजन की मात्रा में भी सुधार होता है. ऐसा दावा किया जाता है कि यह मास्क मेंटल फोकस को बढ़ाने और कसरत के समय को कम करने का भी काम करता है.
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कौन सा मास्क कैसे करता है काम?
सिंगल लेयर मास्क
यह कॉटन से बना साधारण मास्क है. डॉक्टरों के मुताबिक, यह मास्क प्रदूषण से लड़ने में बहुत प्रभावी नहीं है. हालांकि, सबसे अधिक लोग इसी का यूज करते हैं. यह पीएम 10 और पीएम 2.5 से नहीं बचाता. सिर्फ धूल के बड़े कणों को कुछ हद तक रोक पाता है. यह सिर्फ कॉस्मेटिक इस्तेमाल में लाया जा सकता है. यह 25 से 100 रुपए तक आता है और इसमें रीयूजेबल व डिस्पोजेबल दोनों किस्में उपलब्ध हैं.
ट्रिपल लेयर मास्क
हल्के प्रदूषण से बचने में यह मास्क कुछ कारगर है. हालांकि, इससे भी 20 से 30 पर्सेंट तक ही बचाव हो पाता है. तीन लेयर होने की वजह से यह पीएम 10 को कुछ हद तक रोकने में कामयाब रहता है. इसकी कीमत 100 से 800 रुपए तक है और आप इसे वॉश कर कई बार यूज कर सकते हैं.
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सिक्स लेयर मास्क
यह प्रदूषण से काफी हद तक बचाव करता है. हालांकि, इसमें भी 80 फीसदी ही बचाव हो सकता है. अधिक प्रदूषित क्षेत्र में यह भी कारगर नहीं है. यह काफी हद तक पीएम 10 के अलावा पीएम 2.5 से बचाता है. यह 200 से 1000 रुपए तक की रेंज में उपलब्ध है और इसे भी कई बार वॉश कर इस्तेमाल कर सकते हैं.
एन-95 मास्क
डॉक्टर्स के मुताबिक, यह अब तक का सबसे सुरक्षित मास्क माना जाता है. यह पीएम 2.5 को भी सांस में जाने से रोकता है. यह 500 से 1500 रुपए के बीच आता है. इस मास्क को काफी प्रदूषित एरिया में रहने वाले लोग इस्तेमाल करते हैं. इस मास्क के साथ दिक्कत यह है कि यह काफी टाइट होता है और इसे लंबे समय तक पहनना संभव नहीं है. केरल में निपाह वायरस फैलने के दौरान भी N-95 मास्क का इस्तेमाल किया गया था. डॉक्टर्स ने भी इससे पहनने की सलाह दी थी. निपाह वायरस के मरीजों के इलाज के वक्त भी डॉक्टर्स ने इसका इस्तेमाल किया था.