डियर जिंदगी : 'सुकुमार' नज़रिए से बचें, कल से बाहर निकलें...
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डियर जिंदगी : 'सुकुमार' नज़रिए से बचें, कल से बाहर निकलें...

हमारी ज़िंदगी किसी एक निर्णय से नहीं, बल्कि छोटे-छोटे निर्णयों की कड़ी से बनती है.

हमारे आसपास जो लोग हैं, जैसी वह सलाह देते हैं. हमारी ज़िंदगी उसी सलाह के अनुसार दौड़ती है. देश, समाज के रूप में अभी भी हम वैज्ञानिक चेतना से बहुत दूर हैं. हमारी चिंतन, निर्णय प्रक्रिया में ख़तरनाक जालों का साफ़ होना बाक़ी है. हमारे निर्णय कुछ ज़्यादा ही अतीत आधारित रहते हैं. हम निर्णय आज कर रहे हैं, लेकिन उनके पीछे तर्क पचास बरस पहले वाले दे रहे हैं. हर कोई अपने अनुभव से सीखता है, लेकिन दुनिया तो हर दिन बदल रही है. ऐसे में अगर आप केवल अपने चश्‍मे से दुनिया को देखते रहेंगे तो ज़िंदगी आगे जाने की जगह पीछे खिसकने लगेगी. जो अपनी ग़लतियों से सीखते हैं, वह आगे बढ़ते हैं, लेकिन जो दूसरों की ग़लतियों, अनुभवों से सीखते हैं, वह शीर्ष पर होते हैं. 

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आइए, आज मिलते हैं, मिस्‍टर सुकुमार बड़गइयां से. सुकुमार कोई बीस बरस पहले पुरानी, जमी जमाई कंपनी की नौकरी छोड़, दूसरी कंपनी में चले गए. जहां कुछ साथियों का उनके साथ व्‍यवहार वैसा नहीं रहा, जैसा वह चाहते थे. इसके बाद सुकुमार पुरानी कंपनी में लौट आए. पूरी ज़िंदगी वहां बिता दी. और रिटायरमेंट के बाद नौकरी कंसल्‍टेंट बन गए. आजकल वह कुछ इस तरह की सलाह देते हैं... 

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- एक ही कंपनी में काम करते रहना चाहिए, वहीं तरक्‍क़ी के मौक़े बनाइए क्‍योंकि नए माहौल में जाकर काम करना, दूसरों के साथ तालमेल बैठाना बहुत मुश्किल है.
- दूसरा नियम. अपने ही शहर में रहें, जहां तक संभव हो, शहर न बदलें. हमेशा वहीं काम करने का प्रयास करें, जहां पहले से आपका कोई परिचित काम कर रहा हो. इससे महंगाई से लड़ना आसान है.
- महंगाई विकराल, महानगरों का जीवन कठिन. इसलिए वहां जाने की बातों का कोई अर्थ नहीं.
- नौकरी बदलने से पहले सौ बार सोचो. एक ग़लत निर्णय ज़िंदगी तबाह कर देता है. 

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सुकुमार बेहद पढ़े लिखे, विनम्र और लोकप्रिय हैं. सो उनकी सलाह युवाओं पर असर दिखाती है. जरा ठहरकर सोचिए, अगर सुकुमार का अनुभव नई कंपनी में शानदार होता तो उनकी सलाह एकदम पलट जाती. वह नए अवसर, जोखिमों की बात करते. स्‍टार्टअप का घोल पिलाते. जोखिम के गले में घंटी बांधने की योजना बनाते. कुल मिलाकर ज़िंदगी के रोमांच को जीने की बात करते, लेकिन उन्‍होंने अपने नज़रिए को केवल एक छोटी सी घटना से जोड़ लिया.  

इसलिए करियर से लेकर, स्‍कूल में विषय चुनने, बेटियों की शिक्षा, नौकरियों के बारे में निर्णय करते समय 'सुकुमार' नज़रिए से सबसे ज़्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है. किसी भी कंसल्‍टेंट, विशेषज्ञ से राय लेते समय इस बात का हमेशा ध्‍यान रखें कि सलाह देने वाला का निजी अनुभव तो इसमें अपना असर नहीं दिखा रहा. अगर ऐसा है तो अपने निर्णय में अपने दिल की आवाज़, रिसर्च और डटे रहने की आदत को प्राथमिकता दें. 

हमारी ज़िंदगी किसी एक निर्णय से नहीं, बल्कि छोटे-छोटे निर्णयों की कड़ी से बनती है. इसलिए हर निर्णय से पहले सोच विचार जरूरी तो है, लेकिन इतना भी नहीं कि आप सोचते ही रह जाएं. ज़िंदगी किसी भी नौकरी, रिश्‍ते से बहुत बड़ी है. ज़िंदगी अवसरों का अनंत आकाश है. बस, आपमें आकाश में ख़राब मौसम में भी डटे रहने, हार नहीं मानने का हौसला होना चाहिए. 

(लेखक ज़ी न्यूज़ में डिजिटल एडिटर हैं)

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