महाराष्ट्र: 38 साल पुरानी है प्रथा, सांगली की गोटखिंड मस्जिद में विराजे गणपति
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महाराष्ट्र: 38 साल पुरानी है प्रथा, सांगली की गोटखिंड मस्जिद में विराजे गणपति

पिछले 38 सालों से सांगली के गोटखिंड मस्जिद में गणेशोत्सव मनाया जाता है. गोटखिंड मस्जिद में गणेश चतुर्थी के दिन गणेशजी विराजमान किए जाते हैं. 

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: पिछले 38 सालों से सांगली के गोटखिंड मस्जिद में गणेशोत्सव मनाया जाता है. गोटखिंड मस्जिद में गणेश चतुर्थी के दिन गणेशजी विराजमान किए जाते हैं. हिंदू-मुस्लिम मिलकर गणेशोत्सव मनाते हैं. इस साल गणेश चतुर्थी और मोहरम एक साथ आया है तो गोटखिंड में ये दोनों त्यौहार हिंदू-मुस्लिम साथ मिलकर मना रहे हैं. 

सांगली जिले के वालवा तहसील में गोटखिंड ये बारा हजार लोकवस्ती का गांव है. इस गांव में सभी धर्म के लोग एकसाथ मिलकर हर धर्म का त्यौहार मनाते हैं. मुस्लिम हिंदुओं के त्यौहार में शामिल होते है तो हिंदू मुस्लिम त्यौहारों में धूमधाम से हिस्सा लेते हैं. 

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गोटखिंड गांव की मस्जिद में पिछले 38 साल से गणेश चतुर्थी के दिन न्यू गणेश युवक मंडल गणपति विराजमान करते हैं. मुस्लिम समाज के लोग गणपति की पूजा करते हैं. 10 दिन गोटखिंड में गणोशोत्सव मनाया जाता है. इस साल वालवा तहसील के प्रांत अधिकारी नागेट पाटील ने गणेश पूजा करके गणपती की प्राण-प्रतिष्ठा की. गणोशोत्सव के इस मौके पर  ऑफिसर भी मौजूद थे. 

पिछले साल जब बकरीद और गणेशोत्सव एकसाथ आया था तो यहां कें मुस्लिम समाज के लोगों ने सिर्फ नमाज अदा करके ईद मनायी थी और गणेश विसर्जन के बाद बकरीद मनाई गई थी. 

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