क्या अब चुनाव लड़ेगा हाफिज सईद? इन 10 वजहों से है भारत का दुश्मन नंबर 1
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क्या अब चुनाव लड़ेगा हाफिज सईद? इन 10 वजहों से है भारत का दुश्मन नंबर 1

आज हम आपको हाफिज सईद के बारे में ऐसी 10 बातें बताने जा रहे हैं जो यह साबित करती हैं कि वह भारत का दुश्मन नंबर 1 क्यों है...

मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड आतंकी हाफिज सईद अब पाकिस्तान के सत्ता की बागडोर खुद अपने हाथों में लेने का ख्वाब सजा रहा है (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड आतंकी हाफिज सईद और लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक अब पाकिस्तान के सत्ता की बागडोर खुद अपने हाथों में लेने का ख्वाब सजा रहा है. हाफिज ने हाल ही में पाकिस्तान में 2018 में होने वाले आम चुनावों के मद्देनदर मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) का लाहौर में एक दफ्तर भी खोल लिया है. हाफिज अपनी नई पार्टी को चुनाव आयोग में रजिस्टर कराने की जुगत में लगा हुआ है. भारत का दुश्मन नंबर 1 कहे जाने वाला हाफिज सईद जब भी अपना मुंह खोलता है भारत के खिलाफ जहर ही उगलता है. आज हम आपको हाफिज सईद के बारे में ऐसी 10 बातें बताने जा रहे हैं जो यह साबित करती हैं कि वह भारत का दुश्मन नंबर 1 क्यों है...

  1. हाफिज सईद जब भी अपना मुंह खोलता है भारत के खिलाफ जहर ही उगलता है.
  2. लश्कर-ए-तैयबा की स्थापना हाफिज सईद ने 80 के दशक के अंत में की थी.
  3. लश्कर-ए-तैयबा पाक अधिकृत कश्मीर में अनेकों आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर चलाता है.

मिशन कश्मीर
हाफिज सईद की जिंदगी का सबसे बड़ा मकसद है भारत को नीचा दिखाना. इसके लिए वह किसी भी तरह पाक अधिकृत कश्मीर के साथ-साथ आजाद कश्मीर को भी भारत से अलग करना चाहता है. हाफिज सईद द्वारा बनाए गए दो आतंकी संगठन (लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा) फिलहाल इसी काम में लगे हुए हैं. माना जाता है कि 1990 के बाद जब सोवियत सैनिक अफगानिस्तान से निकल गए तो हाफिज सईद ने अपने मिशन को कश्मीर की तरफ मोड़ दिया. भारत प्रशासित कश्मीर में चरमपंथी गतिविधियां करने वाला सबसे बड़ा पाकिस्तानी संगठन लश्कर-ए-तैयबा है, लश्कर और आईएसआई के रिश्तों के सुराग अनेक बार मिल चुके हैं.

मुंबई हमले का मास्टरमाइंड
26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी समुद्री रास्ते से मुंबई में दाखिल हुए और उन्होंने अलग-अलग जगहों पर 164 बेगुनाह लोगों की जान ले ली. इस भीषण आतंकी हमले में 308 लोग जख्मी भी हुए. इस हमले में जिंदा पकड़े गए एकमात्र कसूरवार आतंकी अजमल कसाब को बाद में 21 नवंबर 2012 को सुबह 07:30 बजे फांसी दे दी गई. इस हमले में सबसे ज्यादा 58 लोग छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर मारे गए. आतंकियों ने 90 मिनट तक रुक-रुक कर गोलीबारी की जिसमें ये सारे लोग मारे गए. इसके अलावा 10 लोग स्टेशन के बाहर भी मारे गए थे.

भारत ने इस हमले का मास्टरमाइंड लश्कर के संस्थापक हाफिज सईद को ही बताया था. भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद पाकिस्तानी सरकार ने 29 जनवरी 2017 को हाफिज सईद को नजरबंद कर लिया था. जिसे बाद में 24 नवंबर 2017 को रिहा कर दिया गया. इससे पहले भी वह नवंबर 2008 में नजरबंद किया गया था लेकिन लाहौर हाई कोर्ट के आदेश के बाद उसे 2009 में करीब 6 महीने बाद रिहा कर दिया गया था.

आतंकी संगठनों का रहनुमा
आतंकी गतिविधियों से हाफिज सईद का रिश्ता आज का नहीं है बल्कि काफी पुराना है. लश्कर-ए-तैयबा की स्थापना हाफिज सईद ने 80 के दशक के अंत में की थी. यहां गौर करने वाली बात है कि लश्कर-ए-तैयबा दक्षिण एशिया के सबसे बड़े इस्लामी आतंकवादी संगठनों में से एक है. हाफिज सईद ने इसकी स्थापना अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में की थी लेकिन फिलहाल यह पाकिस्तान के लाहौर से अपनी गतिविधियां चलाता है. आरंभिक दिनों में इसका उद्देश्य अफगानिस्तान से सोवियत शासन हटाना था. लेकिन अब इसका असली मकसद कश्मीर से भारत का शासन हटाना है. 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने जब लश्कर-ए-तैयबा को आतंकवादी संगठन घोषित किया तो हाफिज ने जमात-उद-दावा का गठन किया ताकि इसकी कार्रवाइयां जारी रहें. 

टेरर फंडिंग
इसी साल भारत के खिलाफ पाकिस्तान से खेले जा रहे 'टेरर फंडिंग' के खेल का खुलासा हुआ. इस मामले में भी हाफिज सईद का नाम सामने आया था. ईडी ने इस मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता शब्बीर शाह के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की थी. चार्जशीट में बताया गया था कि पाकिस्तान के आतंकी जमात-उद दावा के चीफ हाफिज सईद के साथ भी शब्बीर शाह के कनेक्शन हैं. ईडी के मुताबिक शाह ने स्वीकार किया था कि वह कश्मीर मामलों को लेकर हाफिज सईद से फोन पर बात करता रहा है. चार्जशीट में कहा गया था कि शब्बीर शाह पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से पैसा लेकर जम्मू-कश्मीर समेत भारत के दूसरे हिस्सों में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देता है. यह भी दावा किया गया था कि शाह की पत्नी डॉ बिल्किस भी टेरर फंडिंग के लिए हवाले के रास्ते पैसा जुटाने में शामिल थी. चार्जशीट के मुताबिक शाह ने आखिरी बार जनवरी 2017 में वैश्विक आतंकी और भारत के दुश्मन नंबर 1 हाफिज सईद से फोन पर बात की थी.

आतंक की ट्रेनिंग
लश्कर-ए-तैयबा पाक अधिकृत कश्मीर में अनेकों आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर चलाता है. हाफिज सईद अक्सर इन आतंकी शिविरों में जाता है और वहां लड़ाकों को जिहाद के लिए प्रोत्साहित करता है. हाफिज अपने भाषणों में कश्मीर विवाद को 'धर्म के लिए जंग' साबित करने की कोशिश करता है और युवकों का ब्रेनवॉश करता है ताकि वो कश्मीर में कत्ल-ए-आम मचा सकें. हाल ही में नजरबंदी से रिहा होने के बाद भी हाफिज सईद के पीओके जाने की खबरें सामने आई थीं.

मुंबई ट्रेन सीरियल ब्लास्ट
दिल्ली के सीरियल ब्लास्ट की तरह ही लश्कर की मदद से इंडियन मुजाहिद्दीन ने 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में 7 सीरियल बम धमाके किए थे. यह 1993 के बाद मुंबई में हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला था. सभी धमाके लोकल ट्रेनों के फर्स्ट क्लास कोच में प्रेशर कुकर में प्लांट किए गए थे. इल आतंकी हमले में 209 निर्दोष लोगों ने अपनी जान गंवाई थी जबकि 714 लोग घायल हुए थे. इस सीरियल ब्लास्ट के तार भी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े माने गए हालांकि वह इस बात से इनकार करता रहा. इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-कहर ने ली थी जिसे लश्कर-ए-तैयबा का ही सहयोगी माना जाता है.

दिल्ली सीरियल ब्लास्ट
29 अक्टूबर 2005 को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों ने देश की राजधानी दिल्ली को पूरी तरह हिला कर रख दिया था. दिल्ली दहल गई थी. दिवाली से पहले आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने दिल्ली में तीन जगह धमाके किए थे और इससे सैंकड़ों परिवारों की दिवाली खराब हो गई थी. दिल्ली के पहाड़गंज मार्केट, सरोजनी नगर मार्केट और गोविंदपुरी में हुए इन सीरियल बम धमाकों में 62 लोग मारे गए थे और करीब 210 घायल हुए थे. इन धमाकों के लिए दिल्ली पुलिस ने हाफिज सईद की लश्कर-ए-तैयबा को जिम्मेदार ठहराया था.

अक्षरधाम हमला
24 सितंबर 2002 को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकियों ने गुजरात के गांधी नगर में अक्षरधाम मंदिर पर हमला किया था. इन आतंकियों ने मंदिर में हथियार और हथगोलों से हमला कर निर्दोष लोगों की जानें ले लीं थीं. रात में एनएसजी के कमांडों ने ऑपरेशन में सभी आतंकियों को मार गिराया था. इस हमले में 30 लोग मारे गए थे और 80 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. माना जाता है कि यह आतंकी हमला 2002 में हुए गुजरात दंगों का बदला लेने के लिए किया गया था.

संसद पर हमला
लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर माने जाने वाले भारत के संसद भवन पर लश्कर के आतंकियों ने 13 दिसंबर 2001 को हमला किया था. इस आतंकी हमले में कुल 14 लोग मारे गए थे. दिल्ली पुलिस के जवानों ने बहादुरी दिखाते हुए पांचों आतंकियों को ढेर कर दिया था. इस कार्रवाई में आठ पुलिसकर्मी भी शहीद हुए थे. इस हमले को पाकिस्तान में बैठे लश्कर और जैश-ए-मुहम्मद के आकाओं के इशारे पर अंजाम दिया गया था. इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे आसार पैदा हो गए थे. इसी मामले में मुख्य आरोपी मोहम्मद अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को सुबह दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया था.

लाल किले पर आतंकी हमला
22 दिसंबर 2000 की रात लश्कर-ए-तैयबा के छह आतंकियों ने दिल्ली स्थित ऐतिहासिक लालकिले पर हमला किया था. इन आतंकियों ने लाल किले के अंदर घुसकर रात करीब 9 बजे अंधाधुंध फायरिंग की थी. इस हमले में सेना दो जवान शहीद हो गए थे और एक अन्य नागरिक की मौत हो गई थी. इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के संबंधों में काफी कड़वाहट आ गई थी क्योंकि लाल किला भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है. स्वतंत्रता दिवस के दिन यहीं से देश के प्रधानमंत्री तिरंगा फहराना के बाद जनता को संबोधित करते हैं.

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