क्‍या जम्‍मू-कश्‍मीर में रमजान पर सीजफायर काम कर रहा है?
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क्‍या जम्‍मू-कश्‍मीर में रमजान पर सीजफायर काम कर रहा है?

इन सबके बीच यह बात समझने की है कि ऑपरेशन ब्‍लैकआउट को रोकने का मकसद किसी भी तरह से आतंकियों को राहत पहुंचाना नहीं था.

सुरक्षा बलों के अभियान के निलंबन के पहले पांच दिन में जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की सिर्फ पांच घटनाएं ही हुई हैं.(फाइल फोटो)

16 मई को भारत ने रमजान शुरू होने के साथ ही आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन ब्‍लैकआउट को एकतरफा रोकने को ऐलान कर दिया. केंद्र सरकार ने घोषणा करते हुए कहा कि रमजान के पाक महीने में सैन्‍य बल अपनी तरफ से कोई ऑपरेशन को अंजाम नहीं देंगे लेकिन यदि उन पर हमला हुआ तो जवाब दिया जाएगा. कमोबेश यही स्थिति सीमा पर भी है. लेकिन ऐसा लग रहा है कि भारत की इस नेक पहल का अराजक तत्‍व लाभ उठाने की फिराक में हैं. इसलिए कई रिपोर्टों के मुताबिक ऐसा लग रहा है कि आतंकी हमले, पत्‍थरबाजी और सीमा पार से पाकिस्‍तान की तरफ से गोलाबारी की घटनाओं में इजाफा हुआ है. इसलिए अब सरकार के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं?

  1. 16 मई को रमजान महीने में संघर्षविराम की घोषणा की गई
  2. पहले 5 दिनों में पिछले महीने की तुलना में पत्‍थरबाजी की 5 घटनाएं हुईं
  3. इस तरह की घोषणा का मकसद अवाम को राहत पहुंचाना है

मकसद
हालांकि इन सबके बीच यह बात समझने की है कि ऑपरेशन ब्‍लैकआउट को रोकने का मकसद किसी भी तरह से आतंकियों को राहत पहुंचाना नहीं था. दरअसल इस पाक महीने में जम्‍मू-कश्‍मीर की अवाम को राहत पहुंचाना था. सूत्रों के मुताबिक सशस्‍त्र बलों के ऑपरेशन के दौरान, गांव-क्षेत्र की घेरेबंदी हो जाती है और कई बार वहां रहने वाले लोगों को इन कारणों से तकलीफें उठानी पड़ती हैं. इसलिए इस तरह से ऑपरेशन को रोककर एक तरह से कश्‍मीर की आम रियाया को अपने धार्मिक क्रियाकलापों को करने की सहूलियत और उनको सुकून पहुंचाना मकसद था. इस लिहाज से भले ही आतंकी इस मौके का लाभ उठाने के मूड में हों लेकिन आम जन को सुविधा पहुंचाने के लिहाज से ये एक बड़ा कदम है. सूत्रों के मुताबिक घाटी में सशस्‍त्र बलों के इस फैसले का हर तरफ स्‍वागत हो रहा है.

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सुरक्षा बलों के अभियान के निलंबन के पहले पांच दिन में जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की सिर्फ पांच घटनाएं ही हुई हैं.(फाइल फोटो)

वहीं दूसरी तरफ सूत्रों के मुताबिक इस कदम से सेना को अपनी छवि दुरुस्‍त करने का भी मौका मिला है. इधर हालिया दौर में ऑपरेशन ब्‍लैकआउट के दौरान कई ऐसे आतंकी मारे गए, जो स्‍थानीय बाशिंदे थे. ऐसे लोगों के जनाजे में भीड़ देखने को भी मिली. लिहाजा इस तरह के कदम की घोषणा से सशस्‍त्र बल घाटी में अमन और शांति का सकारात्‍मक संदेश भी दे रहे हैं.

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सफल दिख रहा प्रयोग   
इसका असर भी दिखने लगा है. सुरक्षा एजेंसियों के आकलन के हवाले से एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बलों के अभियान के निलंबन के पहले पांच दिन में जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की सिर्फ पांच घटनाएं ही हुई हैं. अधिकारी ने बताया कि यह आंकड़ा 17 मई से 21 मई के बीच का है. इस वर्ष अप्रैल माह के पहले पांच दिन में इस तरह की 92 घटनाएं हुई थी. तब आतंकियों के खिलाफ सुरक्षा बलों के अभियान चल रहे थे. जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख एसपी वैद ने यह भी कहा कि ''रमजान संघर्षविराम'' अब तक सफल रहा है.

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उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ''माननीय प्रधानमंत्री की इस पहल ने कानून-व्यवस्था में बेहतरी में मदद दी है. हालात, खासकर दक्षिण कश्मीर में बेहतर हुए हैं और यह उन परिवारों के लिए भरोसा कायम करने के उपाय के तौर पर काम आ रहे हैं जो चाहते हैं कि उनके बच्चे वापस आ जाएं.'' गृह मंत्रालय ने 16 मई को घोषणा की थी कि रमजान के महीने में सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर में कोई अभियान शुरू नहीं करेंगे.

(इनपुट: एजेंसी से भी)

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