कैबिनेट ने तेलंगाना विधेयक को दी मंजूरी, हैदराबाद होगी संयुक्त राजधानी
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कैबिनेट ने तेलंगाना विधेयक को दी मंजूरी, हैदराबाद होगी संयुक्त राजधानी

केंद्रीय मंत्रिमंडल की शुक्रवार को हुई एक विशेष बैठक में तेलंगाना विधेयक को मंजूरी दे दी गई। सूत्रों की मानें तो तेलंगाना विधेयक को 12 फरवरी को राज्यसभा में पेश किया जा सकता है।

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नई दिल्ली : पृथक तेलंगाना राज्य के गठन की दिशा में एक और कदम उठाते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी। यह जानकारी अधिकृत सूत्रों ने दी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सरकारी आवास 7, रेस कोर्स पर दो घंटे चली बैठक में विधेयक को मंजूरी दी गई।
यह विधेयक देश के 29वें राज्य के रूप में तेलंगाना के गठन से संबंधित है। तेलंगाना में आंध्र प्रदेश के 10 जिले शामिल होंगे और हैदराबाद इसकी राजधानी होगी।
सीमांध्र (रायलसीमा और तटीय आंध्र) से आने वाले केंद्रीय मंत्रियों के विरोध के बावजूद मंत्रिमंडल ने विधेयक को मंजूरी दी है। इसके अलावा मंत्रिमंडल ने कथित रूप से हैदराबाद को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने या रायलसीमा के दो जिलों को तेलंगाना में शामिल कर रायल-तेलंगाना प्रदेश गठित करने के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया।
मौजूदा विधेयक में किए गए प्रावधान के मुताबिक, राज्य के बंटवारे के बाद अगले 10 वर्षो तक हैदराबाद तेलंगाना और मूल आंध्र प्रदेश की राजधानी बना रहेगा।
मंत्रिमंडल ने हालांकि कथित रूप से रायलसीमा और उत्तरी तटीय आंध्र के लिए एक वित्तीय पैकेज की सिफारिश की है। इसके अलावा शेष आंध्र प्रदेश को अपनी राजधानी विकसित करने के लिए वित्तीय सहायता देने पर भी मंत्रिमंडल ने सहमति जताई है।
मंत्रिमंडल ने कथित तौर पर विधानसभा में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2013 पर चर्चा के दौरान पेश किए गए संशोधन प्रस्तावों पर संसद में चर्चा कराने का फैसला लिया है।
मंत्रिमंडल की बैठक से पहले तेलंगाना पर ताजा घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई।
उधर, सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को तेलंगाना राज्य के गठन से संबंधित केंद्र सरकार की पहल में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने तेलंगाना विधेयक संसद में पेश करने के केंद्र सरकार के कदम पर रोक लगाने के लिए दायर कई याचिकाओं को खारिज कर दिया।
अदालत ने अपनी व्यवस्था में कहा कि इस मुद्दे में हस्तक्षेप करने के लिए यह उपयुक्त स्तर नहीं है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत राय व्यक्त करने के लिए विधेयक को विधानसभा के पास भेजा था। आंध्र विधानमंडल के दोनों सदनों ने विधेयक को बहुमत से खारिज कर दिया था।
इसके बावजूद केंद्र सरकार ने पृथक राज्य के गठन की दिशा में आगे बढ़ने का फैसला लिया।
अब विधेयक को संसद को अग्रसारित करने का आग्रह करते हुए फिर से राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। सूत्रों ने कहा कि विधेयक संभवत: 12 फरवरी को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
उधर 5 फरवरी से शुरू संसद के सत्र में तेलंगाना मुद्दे पर व्यवधान जारी है। सीमांध्र (रायल सीमा और तटीय आंध्र) व तेलंगाना के सदस्यों के हंगामे के कारण सदन के कामकाज पर बुरा असर पड़ रहा है। शुक्रवार को भी संसद में तेलंगाना मुद्दे पर व्यवधान पड़ा। दोनों सदनों का कामकाज बार-बार स्थगित किया गया।
तेलंगाना का विरोध करते हुए लोकसभा में आंध्र प्रदेश के एक सांसद सहित तीन अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए। लोकसभा में प्रश्नकाल सीमांध्र के सदस्यों की नारेबाजी और हंगामे की भेंट चढ़ गया।
यही स्थिति दोपहर 12 बजे भी रही जिससे लोकसभा अध्यक्ष ने बाध्य होकर पूरे दिन के कामकाज स्थगित कर दिया। (एजेंसी)

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