ऑटोमोटिव इंडस्ट्री देश की जीडीपी का 7 प्रतिशत है. पिछले साल जीएसटी के लागू होने और डीजल ऑटोमोटिव पॉलिसी में हुए बदलावों की वजह से ऑटोमोटिव इंडस्ट्री को इस साल के बजट का बेसब्री से इंतजार कर रहा है.
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ऑटोमोबाइल कंपनियां बजट 2018 का इंतजार कर रही हैं. ऑटोमोटिव इंडस्ट्री देश की जीडीपी का 7 प्रतिशत है. पिछले साल जीएसटी के लागू होने और डीजल ऑटोमोटिव पॉलिसी में हुए बदलावों की वजह से ऑटोमोटिव इंडस्ट्री इस साल के बजट का बेसब्री से इंतजार कर रही है. पिछले साल नोटबंदी की वजह से ऑटोमोटिव इंडिस्ट्री को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था और ज्यादातर निवेश रिसर्च, भारत स्टेज -iv और इलैक्ट्रिक व्हीकल मिशन 2030 (ई-मोबिलिटी) में किया गया.
जुलाई 2017 में लागू हुए जीएसटी की वजह से इस साल का बजट कई मायनों में अलग होगा. फिलहाल जीएसटी दरें जीएसटी काउंसिल द्वारा निर्धारित की जा रही है. ऑटोमोटिव इंडस्ट्री उम्मीद कर रही है कि जीएसटी टैक्स स्लैब में तर्कसंगत बदलाव किए जाएंगे और सेस को घटाया जाएगा.
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इसके आलावा इंडस्ट्री CKD’s की स्पष्ट परिभाषा चाहती है जिससे कि CKD’s यूनिट्स पर लगाया जाने वाला 10% आयात शुल्क और SKDs यूनिट्स पर लगाया जाने वाला 30% आयात शुल्क से जुड़ा भ्रम दूर हो सके. सरकार ने 28 फरवरी 2016 को पेश किए गए बजट में रिसर्च और विकास पर दिया जा रहा इंसेंटिव कम कर दिया था. इसके अलावा डायरेक्ट टैक्स लायबिलिटी में भी कटौती किए जाने का प्रस्ताव दिया था.
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ऑटोमोटिव इंडस्ट्री देश की ग्रोस डोमेस्टिक प्रोडक्ट के लिहाज से बेहद अहम इंडस्ट्री है. इंडस्ट्री चाहती है कि बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर में विशेष ध्यान दिया जाए जिसकी इंडस्ट्री को जरूरत है. सरकार के इलेक्ट्रिक व्हीक्ल मिशन 2030 को देखते हुए यह जरूरी हो जाता है कि 1 फरवरी को पेश किए जा रहे है बजट में सरकार ऑटोमोटिव इंडस्ट्री को कुछ राहत दी जाए.
(मनीष गुप्ता पेशे से चार्टड एकाउंटेंट हैं. वह ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में 10 साल तक काम कर चुके हैं)
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी हैं)