Budget Expectations : बढ़ती बेरोजगारी के बीच युवाओं की है बस एक ही आस...
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Budget Expectations : बढ़ती बेरोजगारी के बीच युवाओं की है बस एक ही आस...

सरकार देश की पहली नेशनल एंप्लॉयमेंट पॉलिसी लाने पर विचार कर रही है. इस पॉलिसी के तहत सभी क्षेत्रो में अच्छी नौकरियां पैदा करने का खाका तैयार किया जाएगा और उम्मीद है कि बजट 2018 में वित्त मंत्री इसकी घोषणा भी करें.

Budget Expectations : बढ़ती बेरोजगारी के बीच युवाओं की है बस एक ही आस...

हाल चाल ठीक ठाक है, सबकुछ ठीक ठाक है, बीए किया,
एमए किया, लगता है वो भी एवेंई किया...
काम नहीं है करने को वरना आपकी दुआ से सब ठीक ठाक है...

1971 में आई फिल्म 'मेरे अपने' का ये गाना इतने सालों के बाद भी ऐसा लगता है जैसे आज के लिए ही लिखा गया हो. दरअसल बेरोजगारी भारत के लिए एक विकराल समस्या बनकर उभरती जा रही है. आने वाले बजट में युवाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम से सबसे ज्यादा इसी बात की अपेक्षा रहेगी कि वो बेरोजगारी को दूर करने के लिए क्या कदम उठाते हैं. इसके अलावा मोदी शासन की स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया जैसी युवाओं में उद्यमिता को बढ़ाने की और रोजगार पैदा करने की पहल को लेकर भी सरकार क्या घोषणा करती है इस पर युवाओं की खास नज़र रहेगी.

यूएन लेबर रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में भारत में बेरोजगारों की संख्या बढ़कर 180 लाख तक पहुंच जाएगी. ऐसे में सरकार के लिए ये एक चिंताजनक बात हो सकती है, क्योंकि सरकार ने पावर में आने पर एक करोड़ नौकरियों के सृजन का वादा किया था. ऐसे में सरकार पर पीएम मोदी के चुनावी वादे को पूरा करने का दायित्व भी बढ़ गया है क्योंकि आने वाले साल में फिर सरकार जनता के कठघरे में खड़ी होगी. अगर उससे पहले कोई बड़ा फैसला नहीं लिया जाता है तो ये सरकार के लिए नुकसानदायक हो सकता है.

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इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक इसे लेकर सरकार देश की पहली नेशनल एंप्लॉयमेंट पॉलिसी लाने पर विचार कर रही है. इस पॉलिसी के तहत सभी क्षेत्रो में अच्छी नौकरियां पैदा करने का खाका तैयार किया जाएगा और उम्मीद है कि बजट 2018 में वित्त मंत्री इसकी घोषणा भी करें. इन नीतियों के तहत जहां नियोक्ता को ज्यादा जॉब पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और कई तरह की छूट दी जा सकती है. वहीं मंझोले और छोटे उद्योग, जो नौकरियां उत्पन्न करने में अहम भूमिका निभाते हैं, के विकास के लिए भी कई घोषणाए की जा सकती हैं.

इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक वहीं इस बात की उम्मीद भी जताई जा रही है कि सरकार आयकर अधिनियम के सेक्शन 80जेजेजेएए में कुछ बदलाव कर सकती है. इससे नौकरियों के अवसर पैदा करने को गति मिल सकती है. इस सेक्शन के मुताबिक अतिरिक्त कर्मचारी पर जो खर्च होता है उसके 30 फीसद पर तीन साल तक टैक्स से छूट हासिल की जा सकती है. लेकिन इसमें एक शर्त ये है कि अगर किसी व्यक्ति को एक साल में 240 दिनों से कम काम मिलता है तो उसे अतिरिक्त कर्मचारी नहीं दिखाया जा सकता है. टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए ये सीमा 150 दिन की होती है. अतिरिक्त कर्मचारियों की इस शर्त में बदलाव को लेकर मांग उठती रही है. इसे लेकर सरकार कोई फैसला ले सकती है.

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जानकारों का मानना है कि 2018 में, बैंकिंग और फाइनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, टेलीकॉम, आईटी इंडस्ट्री, डेटा सर्विसेज, साइबरसिक्योरिटी, रिटेल कंपनियां, पेमेंट गेटवे, ई-कॉमर्स, फूड प्रोसेसिंग, ट्रैवल एंड ट्रांसपोर्ट में नौकरियों के ढेरों अवसर होंगे. 2018 मेंसरकारी नौकरियों के भी अच्छे अवसर देखे जा सकते हैं. इस साल करीब 1.20 लाख पद भरने के लिए आवेदन जारी होंगे. केंद्र सरकार के विभागों में 4 लाख से ज्यादा पद खाली हैं. रेलवे में 1 लाख से ज्यादा पद खाली हैं. सांस्कृतिक संगठनों में प्रमुख के पद भी खाली हैं. ऐसे में युवाओं को इस बार बजट से सबसे बड़ी उम्मीद रोज़गार के अवसर को लेकर ही रहने वाली है. खासकर पिछले साल जिस तरह से नौकरियों के मामले में माहौल पूरी तरह ठंडा रहा ऐसे में युवाओं को पूरा भरोसा है कि इस बार उनके लिए कुछ अच्छा हो सकता है.

जिंदगी एक सफर है सुहाना
आज का युवा जिंदगी को भरपूर जीने पर भरोसा रखता है. वह भविष्य के लिए जितना चिंतित नज़र आता है उतना ही वो वर्तमान को जीने पर भी भरोसा रखता है. वह बचाने के साथ साथ उड़ाने पर विश्वास रखता है. ऐसे में घूमना-फिरना, मौज-मस्ती जैसी चीज़ों की मांग भी बढ़ती जा रही है. चूंकि रेल बजट भी पिछली बार से आम बजट मे शामिल कर लिया गया है. इसलिए युवाओं की खास नज़र इस बात पर भी होगी कि बजट के बाद उनकी यात्रा करने की फितरत और मौज मस्ती की आदत पर इसका क्या असर पड़ेगा.

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जीएसटी लागू हो जाने के बाद अप्रत्यक्ष कर की कहानी तो खत्म हो गई है ऐसे में युवा बजट से इस बात की उम्मीद जरूर लगा सकता है कि उसकी घूमने-फिरने और मौज-मस्ती पर कोई लगाम न लगे और इसके लिए उसे ज्यादा जेब ना ढीली करनी पड़े.

शिक्षा पर क्या होगा रुख
जो शिक्षा खुद को बेहतर बनाने में देश के आम नागरिकों की मदद नहीं कर सकती उसे बेहतर शिक्षा नहीं माना जा सकता है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार से युवाओं की उम्मीद होगी कि वह शिक्षा क्षेत्र में मौजूदा दौर के हिसाब से जरूरी बदलाव लाए. साथ ही बजट में सरकार से उम्मीद लगाई जाएगी कि वह शिक्षा के क्षेत्र की बेहतरी और उन्नति के लिए सही आबंटन करें, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम बनाए जा सकें. साथ ही एजुकेशन लोन के ब्याज पर छूट को लेकर भी युवा उम्मीद लगा सकते  हैं.

स्किल इंडिया का क्या होगा
2015 में शुरू हुए स्किल इंडिया को मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर देखा गया था. अब सरकार इस आंकलन की स्थिति में आ चुकी है कि इतने वक्त में इंडिया कितना स्किल हुआ है. और युवा ये उम्मीद लगा रहा है कि सरकार उनके कौशल विकास को लेकर और उसे लेकर चलाई जा रही योजना का सख्ती से पालन करने को लेकर ठोस कदम उठाए. जिससे युवाओं को रोजगार और स्टार्ट अप में फायदा मिल सके.

एक फरवरी आने में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है उसके बाद सबकुछ सामने आ जाएगा. सरकार के पिछले फैसले बताते हैं कि वो कदम उठाने में हिचकने वाली नहीं है. जीएसटी और नोटबंदी जैसे फैसलों के साथ उन्होंने ये साफ कर दिया है. ऐसे में युवा जो मोदी की हर बात में शामिल होते हैं उनकी उम्मीद ज्यादा बढ़ जाती है. साथ ही चुनाव नज़दीक हैं ये बात भी सरकार के दिमाग में होगी इसलिए वो अपने रोजगार से जुड़े वादे को निभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी.

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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