मालदीव की भारत से बेरुखी जारी, पाकिस्तान के साथ किया बिजली समझौता
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मालदीव की भारत से बेरुखी जारी, पाकिस्तान के साथ किया बिजली समझौता

भारत के साथ मालदीव के संबंधों में खटास की खबरें लगातार आ रही हैं और इस कड़ी में मालदीव की सरकारी बिजली कंपनी स्टेलको ने पाकिस्तान के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं.

राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन भारत की लगातार अनदेखी कर रहे हैं.

नई दिल्ली: मालदीव में राजनीतिक संकट आने के बाद से ही भारत के साथ उसके संबंध बिगड़ते जा रहे हैं और भारत की सुरक्षा चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं. बीते दिनों वर्क परमिट विवाद और भारत द्वारा उपहार में दिए हेलिकॉप्टर को लौटाकर झटका देने के बाद अब इस हफ्ते मालदीव ने पाकिस्तान के साथ बिजली समझौता करके भारत के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है. मालदीव ने पाकिस्तान के साथ बिजली क्षेत्र में करार किया है.

  1. मालदीव से भारत के लिए सुरक्षा चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं.
  2. मालदीव भारत के प्रोजेक्ट में जानबूझकर देरी कर रहा है. 
  3. मालदीव भारत के प्रभाव को पूरी तरह खत्म करना चाहता है.

मालदीव की सरकारी बिजली कंपनी स्टेलको के प्रतिनिधियों ने पिछले सप्ताह पाकिस्तान जाकर एमओयू पर हस्ताक्षर किए. इससे पहले खबर आई थी कि मालदीव ने भारतीयों के लिए वर्क परमिट देना बंद कर दिया है. इसके अलावा वहां भारत के सहयोग से चल रही परियोजनाओं पूरा करने में भी जानबूझकर देरी की जा रही है. ऐसे वक्त में पाकिस्तान के साथ बिजली समझौता भारत के लिए चिंता का सबब बन गया है. मालदीव में भारत के सहयोग से एक पुलिस अकाडमी का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन भारतीय अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में मालदीव जानबूझकर देरी कर रहा है.

मालदीव में मौजूद भारतीय अधिकारी मान रहे हैं कि ऐसे साफ संकेत हैं कि मालदीव अपने देश में भारत का प्रभाव पूरी तरह से कम करना चाहता है. भारतीय अधिकारी यह भी जानने की कोशिश कर रहे हैं कि जब स्टेलको के ज्यादातर परियोजनाएं चीन की सहायता से ही पूरी हो रही हैं, तो ऐसे वक्त में पाकिस्तान के साथ अलग करार कर मालदीव सरकार भारत को क्या बताने की कोशिश कर रही है.  

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एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान की आर्थिक हालत देखते हुए कहा जा सकता है कि वो मालदीव की मदद कर सकने में बहुत अधिक सक्षम नहीं है. दूसरी ओर मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन हर तरीके से कोशिश कर रहे हैं कि मालदीव में भारत के प्रभाव को कम से कम रखा जाए. शायद यही संकेत देने के लिए उन्होंने पाकिस्तान के साथ बिजली समझौता किया.

एक अन्य अधिकारी ने बताया, 'भारत से तोहफे में मिले दोनों हेलिकॉप्टर लौटाने का फैसला करने के बाद यामीन सरकार ने भारत को डेडलाइन खत्म होने की भी याद दिला दी है। इसके साथ ही मालदीव ने भारत से 2016 में हुई चर्चा के बाज डॉरनियर एयरक्राफ्ट लेने से भी इनकार कर दिया है। यामीन साफ तौर पर संकेत दे रहे हैं कि वह भारत के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहते हैं।' 

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मालदीव सार्क का सदस्य भी है. ऐसे में इस इलाके में भारत को अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए मालदीव को अपने साथ रखना जरूरी है. पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा उरी में किए गए आतंकी हमले के बाद जब भारत ने पाकिस्तान में होने शार्क सम्मेलन को रद्द करने की मांग की थी, तो सिर्फ मालदीव ही ऐसा देश था, जिसने इस पर सहमति नहीं जताई थी.

 

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