Ashwini Nakshatra: इस नक्षत्र के लोगों में जहां इतनी खूबियां हैं. दूसरों की सहायता के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. वहीं, ज्योतिष शास्त्र में इन लोगों को कुछ कामों के लिए सावधान भी किया गया है.
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Ashwini Nakshatra Born Characteristics: 27 नक्षत्रों में पहला नक्षत्र है अश्विनी और इसका प्रतीक है घोड़ा. जिस तरह घोड़ा शक्ति की पहचान है, उसी तरह से अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले भी साहसी और न थकने वाले होते हैं. घोड़ा गति के लिए भी जाना जाता है और गति की आवश्यकता यात्रा में जरूर पड़ती है. इस नक्षत्र के लोग विलक्षण गुणों से संपन्न होते हैं. मेष राशि में पड़ने के कारण मेष राशि वालों का यह नक्षत्र हो सकता है. घोड़े की तरह यह यात्रा करने में कभी नहीं हिचकते और भाग दौड़ के काम आसानी से कर लेते हैं, दूसरों की सहायता के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. परेशानी किसी भी तरह की हो, यह घबराने के बजाय धैर्य के साथ उसका निदान तलाशते हैं. इन्हें जो भी कार्य सौंपा जाता है, उसे यह तेजी से पूरा करते हैं और इन नक्षत्र के लोग किसी भी कार्य को कल के लिए नहीं छोड़ते हैं.
इन मामलों में रहना चाहिए सावधान
अश्विनी नक्षत्र के लोगों में जहां इतनी खूबियां हैं, वहीं ज्योतिष शास्त्र में इन लोगों को कुछ कामों के लिए सावधान भी किया गया है. इन्हें यात्रा करते समय वाहन दुर्घटना से सचेत रहना चाहिए. इन्हें करंट लगने और आग के प्रति सावधान रहना चाहिए. यदि इस नक्षत्र के लोग आग, बिजली से संबंधित कार्य ही करते हों तो सुरक्षा मानकों में कोई ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए. इस नक्षत्र के लोगों को किचन में काम करते समय भी सावधान रहना चाहिए और खाना बनाने के बाद गैस की नॉब को ठीक बंद कर देना चाहिए. खाना बनाते समय कॉटन कपड़े पहनें तो सबसे अच्छा रहेगा. नशेबाजी से दूर ही रहें तो अच्छा है, ऐसा कोई भी कार्य न करें जिससे स्वास्थ्य को हानि हो. कभी भी वाहन को उतनी ही स्पीड पर चलाएं, जितने पर उसे कंट्रोल कर सकें.
इस तरह बढ़ा सकते हैं पावर
अश्विनी नक्षत्र के लोगों को अपनी पावर बढ़ाने के लिए प्रकृति की मदद लेनी चाहिए. यदि यह कुचिला या कुचला पेड़ की सेवा करें तो सबसे अच्छा रहेगा. इसे कारस्कर भी कहा जाता है. कुचिला मध्यम ऊंचाई का वृक्ष होता है जो अधिकतर मध्य एवं दक्षिण भारत में पाया जाता है. टिकियानुमा बीजों का औषधि में बहुत अधिक महत्व है. अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोगों को कुचिला के पौधे लगाने के बाद उसे नियमित खाद पानी भी देना चाहिए. लगाने के बाद भी इन पेड़ों के संपर्क में रहें, दर्शन एवं पूजन करते रहें. कुचिला के पौधे लगाने से आपका जीवन विषमुक्त और सुखमय रहेगा.
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