Chaitra Navratri: मां दुर्गा के उपासना का पर्व नवरात्रि चल रहा है. ऐसे में सब लोग मां की भक्ति में लीन हैं. नवरात्रि में अष्टमी व नवमी को बेहद शुभ माना गया है. इस दिन कुछ उपाय करने से मां की असीम कृपा प्राप्त होती है.
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Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के आरंभ होते ही सब अपने अनुसार पूजा पाठ करना स्टार्ट कर देते हैं. तन, मन से मां भगवती की सेवा और जप, तप कर देवी को प्रसन्न करते हैं. कोई कन्या भोज करता है तो कोई सिद्धपीठ जाता है. ज्योतिष के अनुसार, इन नव दिनों की पूजा बेहद ही लाभकारी बताई गई है. पूजा गुप्त हो या फिर दान या भोज करना हो, सभी स्थिति में सौभाग्य बढ़ता है. नवरात्रि में अष्टमी और नवमी का दिन सबसे शुभ माना जाता है. ज्योतिष के माध्य में यदि पूजा, पाठ या दान करें तो आपके लिए और भी लाभकारी साबित होगा. जानते हैं राशि के अनुसार क्या करना चाहिए.
मेष- देवी की आराधना के साथ अभिषेक करें. चंदन लगाएं और सुंदर और चमकीले वस्त्र पहनाएं. आरती और हवन आपके रोग और मानसिक शांति को बनाए रखेगा.
वृष- छोटी कन्याओं का आशीर्वाद कारगर साबित होगा. ऐसे में नवरात्रि के उपलक्ष्य पर उनको कुछ गिफ्ट देना चाहिए. रसीली और मीठी चीजें देना उत्तम रहेगा.
मिथुन- देवी मां को लाल, हल्के नीले रंग के वस्त्र भेंट करें. घर की सुख शांति के लिए संध्या आरती अवश्य करें.
कर्क- दुर्गा मां को सफेद रंग के फूलों से श्रृंगार करें. खीर का भोग लगाना बेहद उत्तम साबित होगा. मां की कृपा से आपको मानसिक शांति मिलेगी.
सिंह- पूजा घर के सभी देवी व देवताओं की मूर्ति और फोटो में रोली का तिलक अवश्य लगाना चाहिए. गुलहड़ का फूल मां को अर्पित करें.
कन्या- परिवार के साथ मिलकर देवी की आराधना करें, उन्हें लाल रंग का जोड़ा भेंट करें. सेब का भोग लगाएं.
तुला- मां को चुनरी चढ़ाएं, यह बहुत ही सुंदर होनी चाहिए. घर की सभी महिलाओं का सम्मान अनिवार्य होगा. कन्याओं को गिफ्ट में हेयर एक्सेसरीज देनी चाहिए.
वृश्चिक- देवी को सुगंधित चीजें अर्पित करें. जैसे- इत्र, चंदन का परफ्यूम लगाएं. यदि आप कन्या भोज कराते हैं तो कन्याओं को हलवा अवश्य खिलाना चाहिए.
धनु- देवी मां को पीला फूल चढ़ाएं और पूरे परिवार के सुखद स्वास्थ्य के लिए मंगल कामना करें. केसर से बनी खीर का भोग लगाएं.
मकर- इन दिनों से पूजा पाठ का प्रारंभ कर सकते हैं. जो लोग किसी कार्य का शुभारंभ करने की सोच रहें हैं, वह भी प्लान कर लें.
कुंभ- पूजा पाठ के साथ ही शिव-गौरी की भी आराधना करें. दोनों देवी-देवता को चंदन का तिलक अवश्य लगाएं.
मीन- अष्टमी या नवमी की पूजा करने के बाद संध्या आरती अवश्य करनी चाहिए. नवमी के दिन श्रीराम और देवी को पीले वस्त्र और हलवे का भोग लगाना चाहिए.