Guru Ast 2023: देवगुरु बृहस्पति पश्चिम दिशा में हो गए अस्त, एक महीने तक नहीं हो सकेंगे मांगलिक कार्य; जानें किस दिन से होंगे शुरू
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Guru Ast 2023: देवगुरु बृहस्पति पश्चिम दिशा में हो गए अस्त, एक महीने तक नहीं हो सकेंगे मांगलिक कार्य; जानें किस दिन से होंगे शुरू

Guru Ast Effect: देवताओं के गुरू कहे जाने वाले बृहस्पति पश्चिम दिशा में अस्त हो गए हैं. इसके साथ ही अगले एक महीने तक अब कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे. आइए जानते हैं कि दोबारा से मांगलिक कार्यों की शुरुआत कब होगी. 

 

Guru Ast 2023: देवगुरु बृहस्पति पश्चिम दिशा में हो गए अस्त, एक महीने तक नहीं हो सकेंगे मांगलिक कार्य; जानें किस दिन से होंगे शुरू

What Things Do Not Do In Guru Ast: रामनवमी गुजरने के साथ ही गुरुवार रात से ग्रहों की चाल भी बदल गई है. चैत्र शुक्ल नवमी पर गुरु का तारा पश्चिम दिशा में अस्त हो गया है, जिसके चलते अगले एक महीने यानी 28 अप्रैल तक सभी मांगलिक और शुभ कार्यों पर विराम लग गया है. इस दौरान शादी-विवाह जैसे मंगलकारज भी नहीं हो सकेंगे. हालांकि इसी दौरान वैशाख शुक्ल में 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया पड़ेगी, जिस दिन शुभ मुहूर्त बनेगा, जिस दिन मांगलिक कार्य किए जा सकेंगे. 

एक महीने तक मांगलिक कार्यों पर रोक

ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक चैत्र शुक्ल नवमी यानी गुरुवार की रात को 2 बजकर 51 मिनट पर गुरु का तारा पश्चिम दिशा की ओर अस्त (Guru Ast 2023) हो गया. अब यह तारा करीब एक महीने बाद 28 अप्रैल को वैशाख शुक्ल अष्टमी को दोपहर 12 बजकर 56 मिनट पर पूर्व दिशा में उदय होगा. इस दौरान अगले एक महीने तक शादी-विवाह जैसे सभी के शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी. 

ये शुभ कार्य भी नहीं हो सकेंगे

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब गुरु का तारा अस्त (Guru Ast 2023) हो जाता है तो ग्रह प्रवेश, ग्रह निर्माण, सगाई, विवाह, मुंडन संस्कार, चूड़ा कर्म और दीक्षा ग्रहण जैसे सभी शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं. अगर कोई व्यक्ति इस अवधि में शुभ कार्य करता भी है तो उसे इसका पुण्यफल नहीं मिलता और अनिष्ट होने का डर रहता है. हालांकि पहले से चले आ रहे मांगलिक या शुभ कार्य जारी रह सकते हैं. उन पर कोई रोक नहीं रहती है. 

अक्षय तृतीया को क्यों बनता है शुभ मुहूर्त?

धार्मिक विद्वानों के मुताबिक आखातीज या अक्षय तृतीया पर सूर्य और चंद्रमा उच्च कक्षा में होते है. सूर्य के मेष और चंद्रमा के वृषभ राशि में होने की वजह से अक्षय तृतीया का यह शुभ मुहूर्त बनता है. इस शुभ मुहूर्त में गुरु और शुक्र अस्त का दोष हावी नहीं होता और उस दिन कोई भी मांगलिक कार्य किया जा सकता है. यही वजह है कि अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त भी कहते है. इस दिन शादी-विवाह से लेकर सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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