बता दें कि मीन राशि के स्वामी गुरु बृहस्पति हैं और जल तत्व राशि है. वहीं, शनि और गुरु संबंध जातकों को शुभ फल प्रदान करता है. ऐसे में इस राशि के जातकों के ऊपर भी शनि देव की विशेष कृपा बनी रहती है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कन्या राशि का स्वामी बुध है. बता दें कि इस राशि के तीन द्रेषकोणों के स्वामी बुध, शुक्र और शनि हैं. ऐसे में जब शनि और चंद्रमा त्रिकोण भाव में आते हैं, तो इन जातकों पर शनि की साढ़े साती का अशुभ प्रभाव पड़ना कम हो जाता है या फिर समाप्त हो जाता है.
तुला राशि के स्वामी शुक्र ग्रह को माना गया है. बता दें कि शनि देव इस राशि में उच्च के होते हैं. इस दौरान शनि की साढ़े साती पड़ने पर भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता.
कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा हैं, जिसे जल तत्व का स्वामी माना जाता है. ऐसे में इन राशियों पर शनि के दुष्प्रभाव का असर नहीं होता. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर कुंडली के किसी भाव में महादशा चल रही है और शनि की साढ़े साती शुरू हो जाए, तो जातकों को थोड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस राशि के जातकों पर शनि देव की विशेष कृपा रहती है. इस के स्वामी शुक्र ग्रह हैं. साथ ही, मन का कारक चंद्रमा, वृषभ राशि में उच्च के होते हैं. ऐसे में शनि देव भाग्य स्थान और कर्म स्थान के स्वामी माने जाते हैं. ऐसे में शनिदेव इन राशि वालों पर बुरा प्रभाव नहीं डालते. इस दौरान अगर इन पर शनि की साढ़े साती आती है, तो भी ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता.
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