Sawan Month: सावन में ये पौधा लगाते ही दूर भागती है दरिद्रता, धन का होने लगता है आगमन
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Sawan Month: सावन में ये पौधा लगाते ही दूर भागती है दरिद्रता, धन का होने लगता है आगमन

Sawan 2023 Plants: सावन का महीना बेहद पवित्र माना जाता है. ऐसे में महादेव के साथ भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सावन के महीने में घर के आंगन या बगीचे में ये पौधा लगाना चाहिए. इससे जीवन में सफलता आने लगती है. 

सावन 2023

Tulsi Plant Significance: यूं तो तुलसी के पौधे का महत्व है ही, किन्तु यदि सावन के महीने में उसे अपने घर, आंगन या बगीचे में लगा लें तो पुण्य के भागीदार हो जाएंगे. सावन के महीने में बारिश का मौसम होने से पौधा आसानी से लग भी जाएगा. पद्म पुराण के अनुसार, तुलसी की जड़ में ब्रह्मा जी का वास माना गया है. पौधे के तने में स्वयं भगवान नारायण रहते हैं और मंजरी में रुद्र का वास बताया गया है. शायद यही कारण है कि रुद्रदेव को मंजरी चढ़ाई जाती है.

कहते हैं जिस घर गांव में तुलसी का पौधा लगाया जाता है, वहां पर भगवान जगदीश विराजमान रहते हैं और जहां पर जगदीश्वर भगवान हो, वहां पर दरिद्रता तो हो ही नहीं सकती है. तुलसी का पौधा लगाते ही दरिद्रता दूर भाग जाती है और धन का आगमन होने लगता है. जिस घर में तुलसी का पौधा रहता है वहां पर हवा चलने पर पूरा घर पवित्र उसकी सुगंध से पवित्र हो जाता है, उस घर की नकारात्मकता खत्म हो जाती है और घर से रोग दूर भाग कर आरोग्यता आती है.

तुलसी के जड़ की मिट्टी जिस घर में रखी जाती है वहां श्री विष्णु हरि सदैव ही रहते हैं. कहा जाता है कि शिव मंदिर में यदि तुलसी का  पौधा लगाया जाए तो उससे जितने भी बीज तैयार होते हैं उतने ही वर्षों तक पौधा लगाने वाला स्वर्गलोक में निवास करता है. 

तुलसी सदैव पवित्र है, बगीचे का दर्शन और स्पर्श करने मात्र से ब्रह्म हत्या जैसे पाप भी मिट जाते हैं. मृत शरीर यदि तुलसी की लकड़ी से जलाया जाए तो उन्हें सीधे विष्णु लोक की प्राप्ति होती है. मृत व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं, उस व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता है. अब तुलसी की इतनी मात्रा में लकड़ी लाना तो व्यवहारिक रूप से संभव नहीं हो सकता है इसलिए धर्मग्रंथों में लिखा गया है कि मृत शरीर के दाह संस्कार में चाहे किसी भी लकड़ी का प्रयोग किया जाए उसमें थोड़ी सी तुलसी की लकड़ी भी डाल दी जाए तो वह सारी ही लकड़ी तुलसी की हो जाती है. तुलसी काष्ठ से मृत शरीर का दाह होता देख विष्णु दूत ही उसे आकर विष्णु लोक में ले जाते हैं.

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