National Pollution Control Day: क्यों जरूरी हैं इलेक्ट्रिक व्हीकल? प्रदूषण कम करने में ऐसे मिलेगी मदद
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National Pollution Control Day: क्यों जरूरी हैं इलेक्ट्रिक व्हीकल? प्रदूषण कम करने में ऐसे मिलेगी मदद

Clean Mobility: पूरी दुनिया वायू प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चिंता मे हैं. इसी का नतीजा है कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस बढ़ रहा है क्योंकि वायू प्रदूषण बढ़ने और ग्लोबल वार्मिंग के पीछे ICE वाहनों की संख्या ज्यादा होना भी एक कारण है.

National Pollution Control Day: क्यों जरूरी हैं इलेक्ट्रिक व्हीकल? प्रदूषण कम करने में ऐसे मिलेगी मदद

Green Mobility: आज यानी दो दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस होता है. ऐसे में प्रदूषण को कंट्रोल करने के बारे में चर्चा जरूर होनी चाहिए क्योंकि पूरी दुनिया वायू प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चिंता मे है. इसी का नतीजा है कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस बढ़ रहा है क्योंकि वायू प्रदूषण बढ़ने और ग्लोबल वार्मिंग के पीछे ICE वाहनों की संख्या ज्यादा होना भी एक कारण है. इसी बीच भविष्य के लिए इलेक्ट्रिक वाहन एक विकल्प के तौर पर उभरे हैं. दरअसल, पेट्रोल-डीजल वाहनों के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहन न के बराबर प्रदूषण करते हैं. भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के पक्ष में है और इसके लिए प्रयास भी कर रही है, जो जरूरी है.

Exalta के फाउंडर आशुतोष वर्मा ने कहा, "भारत में ट्रान्स्पोर्टशन, प्रदूषण फैलाने में लगभग 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर है. ICE व्हिकल्स की तुलना में ई-वाहन ना के बराबर कार्बन एमिशन करते हैं, ऐसे में सड़क पर ई-वाहनों की बढ़ोतरी से प्रदूषण पर उल्लेखनीय रोक लग रही है." उन्होंने कहा, “भारत सरकार ने 2070 तक नेट 0 कार्बन एमिशन करने का लक्ष्य रखा है और EV इंडस्ट्री इसमें सबसे अहम भूमिका निभा रही है. हालांकि, EVs की बढ़ोतरी में सबसे बड़ी बाधा EVs की ज्यादा कीमत और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में कमी है."

वहीं, EVI Technologies के सीईओ रुपेश कुमार ने कहा, "भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिंग का अहम कारण है, जिसे इलेक्ट्रिक वाहन की मदद से नियंत्रित किया जा सकता है." उन्होंने कहा, "ICE वाहनों में ग्लोबल वार्मिंग पैदा करने की 51% अधिक क्षमता होती है, जो इलेक्ट्रिक वाहन में न के बरारबर पाई जाती है. एक EV हर साल लगभग 1.5 मिलियन ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड एमिशन को कम करता है. आधुनिक रिसर्च के अनुसार, भारत में 2025 तक ICE वाहनों से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 721 टन तक पहुंच जाएगा, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना समय की मांग बन चूका है."

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