Mahamrityunjay Mantra: कहा जाता है कि सावन के महीने में जो भी मनुष्य पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करता है. वह सभी प्रकार के दुखों और चिंताओं से मुक्ति प्राप्त करता है. भगवान मृत्युंजय यानी शिवजी मनुष्य के सारे दुखों, परेशानियों और अहंकार को हर लेते हैं.
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Mahamrityunjay Mantra Hindi: भोलेनाथ की आराधना का पवित्र माह सावन चल रहा है. हर तरफ शिवालयों में हर हर महादेव और बम बम की गूंज सुनाई दे रही है. यूं तो भोलेनाथ हमेशा ही अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं, लेकिन इस माह में विधिपूर्वक पूजा करने वाले को शुभ फल प्राप्त होता है. सावन में भी सोमवार के दिन महादेव का अभिषेक, स्तुति, मंत्र जाप आदि करने से शिव और शक्ति दोनों प्रसन्न होते हैं और इनकी कृपा से दैविक, दैहिक तथा भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है.
पौराणिक कथा के अनुसार, जब सनत कुमारों ने भगवान शिव से सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो वह बोले के इसी माह में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया और पति के रूप में उन्हें पाने के लिए सावन महीने में ही आहार त्याग का कठोर व्रत किया. यह भी मान्यता है कि इसी महीने में भोलेनाथ पहली बार अपनी ससुराल पहुंचे थे, जहां पर उनका स्वागत जलाभिषेक किया गया था, तभी से उनके जलाभिषेक की प्रथा चल रही है.
कहा जाता है कि सावन के महीने में जो भी मनुष्य पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करता है. वह सभी प्रकार के दुखों और चिंताओं से मुक्ति प्राप्त करता है. भगवान मृत्युंजय यानी शिवजी मनुष्य के सारे दुखों, परेशानियों और अहंकार को हर लेते हैं. महामृत्युंजय नामक भगवान शिव का महामंत्र का जाप करने से आयु वृद्धि, रोग और भय से मुक्ति मिलती है. यह मंत्र भगवान शिव के प्रति एक प्रार्थना है, जिसके वाइब्रेशन अर्थात कंपन से हीन शक्तियों का नाश होता है.
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
हीन शक्तियां दो प्रकार की होती हैं, एक वह जो मनुष्य स्वयं अपने भीतर विपरीत विचारधाराओं से तैयार करता है और दूसरी वह जो दूसरों द्वारा निर्मित की जाती हैं. महामृत्युंजय मंत्र के वाइब्रेशन दोनों ही तरह की हीन शक्तियों का प्रभाव खत्म कर देते हैं.
दरअसल, विचार ऊर्जा का ही स्वरूप हैं और हीन विचार या हीन शक्तियां नकारात्मक ऊर्जा पैदा करती हैं. जबकि, उच्च विचार सकारात्मक ऊर्जा की उत्पत्ति करते हैं. हमारा मन एक प्रसारण केंद्र है, जिसमें उत्पन्न होने वाले विचारों के साथ ऊर्जा जुड़ी होती है. महामृत्युंजय मंत्र का वाइब्रेशन इन हीन ऊर्जाओं से रक्षा करने के लिए कवच के रूप में कार्य करता है.