मानवीय रिश्तों की जटिलता पर है सबरना रॉय की नई किताब 'एचिंग्स ऑफ द फर्स्ट क्वार्टर ऑफ 2020'
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मानवीय रिश्तों की जटिलता पर है सबरना रॉय की नई किताब 'एचिंग्स ऑफ द फर्स्ट क्वार्टर ऑफ 2020'

इस किताब में सौतेले पिता और बेटी के संबंधों का चित्रण है, जिसके जरिए यह किताब मानव संबंधों की जटिलता और डूअलिज़्म जैसे गंभीर विषयों को भी छूती है.

मानवीय रिश्तों की जटिलता पर है सबरना रॉय की नई किताब 'एचिंग्स ऑफ द फर्स्ट क्वार्टर ऑफ 2020'

नई दिल्ली: सबरना रॉय (Sabarna Roy) की नई किताब 'एचिंग्स ऑफ द फर्स्ट क्वार्टर ऑफ 2020 (Etchings of the First Quarter of 2020)' मानवीय रिश्तों की जटिलता और डूअलिज्म के बारे में बात करती है. श्री रॉय ने हाल ही में अपनी 6 ठी किताब 'एचिंग्स ऑफ द फर्स्ट क्वार्टर ऑफ 2020' लॉन्च की, जिसमें उपन्यास के साथ ही कविताएं भी शामिल है. इस किताब में सौतेले पिता और बेटी के संबंधों का चित्रण है, जिसके जरिए यह किताब मानव संबंधों की जटिलता और डूअलिज़्म जैसे गंभीर विषयों को भी छूती है.

क्या है इसकी कहानी
कहानी हमें सौतेले पिता बाबाजुला और सौतेली बेटी ट्यूलिप की दुनिया में ले जाती है, जहाँ वे कॉफ़ी पीते हुए हेगेल, मार्क्सवाद, एक विचार के रूप में प्रेम, टीएस इलियट की सीक्रेट लव स्टोरी जैसे कई रोचक विषयों से लेकर समुद्र के संरक्षण जैसे इकोलॉजिकल मुद्दों तक पर बात करते हैं. यह किताब इतने रोचक तरीके से लिखी गई है कि यह आपको अपने पात्रों कि दुनिया में ले जाती है. 

लेखक सबरना रॉय इस किताब की पृष्ठभूमि के बारे में बताते हैं कि 'एचिंग्स ऑफ द फर्स्ट क्वार्टर ऑफ 2020' एक सौतेले पिता के अपनी युवावस्था की दहलीज पर खड़ी सौतेली बेटी तक पहुंचने की कहानी है, जो समुद्र के संरक्षण जैसे मुद्दों पर भी बात करती है. लेखक कहते हैं कि इस कहानी का विचार उन्हें आंशिक तौर पर तब आया जब उन्हें कोलकाता लिटरेरी मीट के उद्घाटन पर 'डार्क साइड ऑफ द माइंड' और आंशिक रूप से उन विषयों पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया है, जो उन्हें पसंद हैं. इस किताब का बैकग्राउंड मेरे ज़ेहन में तब आया जब मुझे कोलकाता लिटरेरी मीट के उद्घाटन के दिन 'डार्क साइड ऑफ माइंड' विषय पर पैनल चर्चा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया गया था.'

जैसा कि फ़िलहाल दुनिया में बहुत कुछ हो रहा है. महामारी ने लोगों में असीम भावनाओं को जन्म दे दिया है. ऐसे में लॉकडाउन को उपयोगी बनाने के अपने तरीके के बारे में लेखक से पूछने पर उन्होंने जवाब दिया, 'लॉकडाउन के दौरान मेरे समय का एक बड़ा हिस्सा घर के काम करते हुए बीता. इससे मैं उपयोगी और आमतौर पर खुश महसूस करता था. दूसरी चीजें जो मैंने की थीं, किताबें पढ़ना; विश्व सिनेमा और इंटरनेशनल टीवी सीरीज देखना. वीकेंड के दौरान हमने सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल को मानते हुए खूब पार्टी की. इस सोशलाइसेशन ने हमें बचा लिया. मैं नियमित रूप से अपनी पैन्डेमिक जर्नल पर भी काम कर रहा था. इन बातों ने मुझे सकारात्मक रखा. लेखकों के लिए महामारी ने हमारे सामने उन विषयों और विचारों का ढेर लगा दिया है, जिन पर लिखते हुए हम नए रास्ते खोज सकते हैं. महामारी ने हमें खुद को मजबूत करने का मौका दिया है.'

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