90 परसेंट पेट्रोल-डीजल की रिटेल बिक्री अभी सरकारी कंपनियों के हवाले है, लेकिन अब इसमें नई कंपनियां भी आने वाली हैं. ऐसे में कंपनियों के बीच कंपटीशन बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन क्या इससे कीमतों में कोई गिरावट आएगी, इसके लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा.
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नई दिल्ली: IOC, BPCL और HPCL के अलावा अब देश में 7 और कंपनियां भी पेट्रोल और डीजल बेचेंगी, इसमें प्राइवेट कंपनियां भी शामिल हैं. पेट्रोलियम और प्राकृति गैस मंत्रालय ने 7 कंपनियों को देश में ऑटों ईंधन बेचने का अधिकार दे दिया है.
Business Standard में छपी खबर के मुताबिक, ये अधिकार साल 2019 में संशोधित मार्केट ट्रांसपोर्टेशन फ्यूल्स नियमों के आधार पर दिए गए हैं. उम्मीद की जा रही है कि इससे पेट्रोलियम रिटेल बिजनेस में तगड़ा कंपटीशन पैदा होगा. मंत्रालय के एक टॉप अधिकारी के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) को इन नियमों के तहत अधिकार दिए गए हैं. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि RIL के मौजूदा रिटेल मार्केटिंग ऑथराइजेशन को उसकी सब्सिडियरी कंपनी Reliance BP Mobility (RBML) को ट्रांसफर किया गया है. ऐसा करना इसलिए जरूरी था क्योंकि मुकेश अंबानी ग्रुप ने अपने पेट्रोलियम से रसायन के कारोबार में पुनर्गठित किया है. इन नए नियमों के तहत RBML सॉल्यूशंस इंडिया को एक और अधिकार दिया गया है.
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चेन्नई की कंपनी IMC (जिसे Indian Molasses Company कहते थे), जो ऑयल टर्मिनल्स में स्पेशलाइज्ड है, इसे पर देश में ऑटो ईंधन बेचने की मंजूरी मिली है. इसने भारत से तेल और गैस का पता लगाने और उत्पादन करने के लिए दूसरे दौर की बिडिंग के लिए दांव लगाया था, लेकिन IMC कोई प्रोजेक्ट हासिल नहीं कर पाई थी. IMC को पेट्रोलियम प्रोडक्ट, लिक्विफाइड गैस, एसिड और वेजेटेबल ऑयल को को स्टोर करने के लिए जाना जाता है.
असम सरकार की अनुबंधित कंपनी असम गैस कंपनी (Assam Gas Company) को भी देश में ऑटों ईंधन की बिक्री का अधिकार मिला है, फिलहाल ये कंपनी गैस ट्रांसपोर्टेशन के बिजनेस में हैं. कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, इसके पास भूमिगत प्राकृतिक गैस ट्रंक और वितरण पाइपलाइनों का एक नेटवर्क है जो तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, शिवसागर, चराईदेव, असम में जोरहाट, गोलाघाट और कछार जिलों में लगभग 400 चाय कारखानों, 1,000 वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, लगभग 31,000 घरेलू उपभोक्ताओं और कई बड़े औद्योगिक उपभोक्ताओं को सर्विसेज मुहैया करवाता है.
नई नवेली कंपनी Onsite Energy को भी सरकार ने देश में पेट्रोलियम रिटेलिंग की मंजूरी दी है. ये कंपनी साल 2020 में ही अस्तित्वि में आई है. M K Agrotech और मानस एग्रो इंडस्ट्रीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर को भी नए नियमों के मुताबिक रिटेल में पेट्रोलियम उत्पाद बेचने की मंजूरी मिली है. मानस एग्रो इंडस्ट्रीज और इंफ्रास्ट्रक्चर का अपना खुद का LPG ब्रांड है, साथ है Essar Petroleum (अब Nayara Energy) के साथ एथनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल बेचने के लिए करार भी है.
ये नए ऑथराइजेशन या अधिकार उन कंपनियों को दिए गए थे जिनकी न्यूनतम नेटवर्थ 250 करोड़ रुपये थी. अगर रिटेल और थोक दोनों ही बिक्री के लिए अधिकार चाहिए तो न्यूनतम नेटवर्थ 500 करोड़ रुपये होनी चाहिए. साल 2019 के नियमों के मुताबिक ऑथराइजेशन मिलने के 5 साल के अंदर कंपनियों को कम से कम 100 रिटेल आउटलेट्स तैयार करने होंगे, जिसमें से 5 परसेंट दूर दराज के ग्रामीण इलाकों में होने चाहिए. देश में अभी 90 परसेंट फ्यूल रिटेलिंग के कारोबार पर सरकार कंपनियों का कब्जा है, बाकी RIL और Nayara Energy के पास है.
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