Bank Privatisation: केंद्र सरकार दो सरकारी बैंकों का निजीकरण करने वाली है, सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि इसके लिए सरकार कर्मचारियों के लिए एक आकर्षक वॉलिंटियरी रिटायरमेंट स्कीम्स (VRS) लेकर आ सकती है.
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नई दिल्ली: Bank Privatisation: केंद्र सरकार दो सरकारी बैंकों का निजीकरण करने वाली है, सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि इसके लिए सरकार कर्मचारियों के लिए एक आकर्षक वॉलिंटियरी रिटायरमेंट स्कीम्स (VRS) लेकर आ सकती है, यानी उन्हें एक अच्छे पैकेज के एवज में नौकरी छोड़ने का विकल्प दिया जा सकता है. सूत्रों का कहना है कि सरकार एक आकर्षक वीआरएस प्लान तैयार कर रही है जो उन निजी क्षेत्र की संस्थाओं के लिए अधिग्रहण ज्यादा बेहतर और उपयुक्त बना देगा, जो बैंकिंग सेक्टर में आने के लिए इच्छुक हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने 1 फरवरी को बजट 2021-22 को पेश करने के दौरान दो सरकारी बैंकों (PSBs) और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव पेश किया था. सूत्रों ने कहा कि वीआरएस जबरन बाहर निकलने का विकल्प नहीं है, बल्कि उन लोगों के लिए विकल्प है जो अच्छे वित्तीय पैकेज के साथ जल्दी सेवानिवृत्ति लेना चाहते हैं, सूत्रों ने कहा कि यह कुछ सरकारी बैंकों के कंसोलिडेशन के समय भी किया गया था.
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नीति आयोग को दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी का नाम चुनने की जिम्मेदारी सौंपी गई है जिनका निजीकरण किया जाना है, जिसका ऐलान वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में किया गया था. हालांकि किन बैंकों का निजीकरण होगा ये नाम अभी तक सामने नहीं आए हैं. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में कई नामों की चर्चा है. इसमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas bank), बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India), सेंट्रल बैंक (Central Bank) जैसे बैंकों के नाम शामिल हैं. पहले चरण में सरकार बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक के नामों पर मुहर लगा सकती है. सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों की लिस्ट में United India Insurance, Oriental Insurance के नाम सबसे ऊपर चल रहे हैं. हाल ही में केंद्र सरकार ने IDBI बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटाने के लिए कैबिनेट से मंजूर दी है.
इन नामों के बीच सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि सरकार सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas bank) में अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है. लेकिन इस बीच एक और नाम उभरकर सामने आ रहा है सूत्रों के मुताबिक सरकार बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) में भी अपनी हिस्सेदारी को घटा सकती है. सूत्रों के मुताबिक नीति आयोग के प्रस्तावों पर विनिवेश और वित्तीय मामलों का विभाग में विचार विमर्श चल रहा है.
इस बीच बैंक यूनियनों ने बैंकों के निजीकरण के फैसले का विरोध किया है, और यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के बैनर तले मार्च में दो दिनों की हड़ताल पर भी गए थे. यूनिय के जनरल सेक्रेटरी सुनील कुमार ने कहा कि हाल ही में फेडरेशन ऑफ बैंक ऑफ इंडिया ऑफिसर्स एसोसिएशन ने प्रस्तावित निजीकरण के कदम के खिलाफ एक सोशल मीडिया अभियान चलाया जिसमें काफी लोगों ने भागीदारी की.
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