US Market की गिरावट से भारत में निवेशक डरे, Basant Maheshwari ने बताया कौन करेगा बाजार में सर्वाइव?
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US Market की गिरावट से भारत में निवेशक डरे, Basant Maheshwari ने बताया कौन करेगा बाजार में सर्वाइव?

Share Market Update: घरेलू शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली है. पिछले हफ्ते सेंसेक्स 952.35 अंक यानी 1.59 फीसदी टूटा, जबकि निफ्टी 302.50 अंक यानी 1.69 फीसदी टूटा. ऐसे में आने वाले वक्त में बाजार कैसा रहेगा?

शेयर बाजार

Basant Maheshwari Portfolio: शेयर बाजार (Share Market) में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है. कब मार्केट ऊपर जा रही है और कब मार्केट नीचे चली जा रही है, इसका सटीक आंकलन करना फिलहाल मुश्किल दिखाई दे रहा है. पिछले हफ्ते भारतीय बाजार में फिर से गिरावट देखी गई और सेंसेक्स-निफ्टी में बिकवाली हावी रही. हालांकि गिरते हुए मार्केट पर मार्केट एक्सपर्ट बसंत माहेश्वरी (Basant Maheshwari) का कहना है कि अगर आप इस मार्केट में सर्वाइव कर जाते हैं तो आप जीत जाएंगे.

टूट गया मार्केट

पिछले हफ्ते सेंसेक्स 952.35 अंक यानी 1.59 फीसदी टूटा, जबकि निफ्टी 302.50 अंक यानी 1.69 फीसदी टूटा. सेंसेक्स शुक्रवार को 1,093.22 अंक या 1.82 प्रतिशत की गिरावट के साथ 58,840.79 पर बंद हुआ था. इस बीच Basant Maheshwari Wealth Advisers LLP के को-फाउंडर बसंत माहेश्वरी ने अपने सबसे ताज़ा Newsletter 'क्या लगता है' सीरीज़ में कहा है कि एक ही खबर से बार-बार बाजार को नहीं गिराया जा सकता है.

अमेरीका में मंदी की आशंका

बसंत माहेश्वरी ने कहा है कि अमेरिका में मंदी की आशंका काफी वक्त से जताई जा रही है. जिसके कारण अमेरिकी बाजार में गिरावट भी देखने को मिलती है. हालांकि अमेरिकी मार्केट और ग्लोबल मार्केट के एक जैसे संकेतों से बार-बार भारतीय बाजार को गिराना ऐसा है जैसे एक ही गोली से दो बार किसी आदमी को मारा जाए.

पैनिक स्थिति

बसंत माहेश्वरी का कहना है कि लॉन्ग टर्म निवेशकों को शॉर्ट टर्म न्यूज हेडलाइन पर ध्यान नहीं देना चाहिए.  अमेरिकी बाजार में गिरावट से घरेलू बाजार में भी लोग पैनिक होंगे. हालांकि सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस पैनिक टाइम में कौन अपने शेयर को होल्ड करके रख सकता है. जो होल्ड करेगा और मार्केट में सर्वाइव करेगा, वो जीतेगा.

बेहतर हो सकता है मार्केट

बसंत माहेश्वरी का कहना है कि नैस्डैक और डाउ जोन्स सबसे खराब दौर देख चुके हैं. साथ ही मंदी की आशंका के कारण सिस्टम में जितनी ऊंची दरें दी जा सकती थी वो दी जा चुकी हैं. आने वाले वक्त में हो सकता है कि अमेरिका के लिए गुड न्यूज सुनें.

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