अभी सस्ते में कर सकेंगे घरेलू हवाई सफर, सरकार ने किरायों पर कैपिंग 31 मई तक बढ़ाई
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अभी सस्ते में कर सकेंगे घरेलू हवाई सफर, सरकार ने किरायों पर कैपिंग 31 मई तक बढ़ाई

Domestic Airfare: घरेलू उड़ानों के किरायों के लिए लागू की गई कैपिंग व्यवस्था (Airfare capping system) अब 31 मई 2021 तक लागू रहेगी. Directorate General of Civil Aviation (DGCA) ने इसके लिए आदेश जारी किया है.

अभी सस्ते में कर सकेंगे घरेलू हवाई सफर, सरकार ने किरायों पर कैपिंग 31 मई तक बढ़ाई

नई दिल्ली: Domestic Airfare: घरेलू उड़ानों के किरायों के लिए लागू की गई कैपिंग व्यवस्था (Airfare capping system) अब 31 मई 2021 तक लागू रहेगी. Directorate General of Civil Aviation (DGCA) ने इसके लिए आदेश जारी किया है. इसके पहले ये किरायों पर कैपिंग का सिस्टम 31 मार्च 2021 तक लागू किया गया था, इसके पहले इसकी डेडलाइन कई बार बढ़ाई गई थी.  

बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए फैसला

आपको बता दें कि पिछले कोरोना महामारी के चलते घरेलू और विदेशी एयरलाइंस पर रोक लगा दी गई थी. फिर दो महीने बाद मई में उड़ानों को ऑपरेट करने की इजाजत दी गई, लेकिन सरकार ने किरायों पर कैपिंग कर दी थी. एक बार फिर कोरोना महामारी की दूसरी लहर को देखते हुए सरकार ने इस व्यवस्था को आगे बढ़ाने का फैसला किया है. 

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किरायों पर कैपिंग 31 मई तक 

DGCA की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि घरेलू विमान सेवाओं के लिए किराये की तय की गई सीमा 31 मई 2021 तक लागू रहेगी, जो कि पहले 31 मार्च, 2021 तक लागू थी, इसके पहले किराये की अधिकतम और न्यूननम सीमा 24 फरवरी तक बढ़ाई गई थी.

हवाई टिकट सस्ते ही मिलेंगे

किराये में कैपिंग का मतलब हुआ कि एयरलाइंस को अब 20 परसेंट टिकट ही न्यूनतम और अधिकतम किराये के मध्यबिंदु (Midpoint) के नीचे की दर पर बेचनी होंगी, जैसा कि अबतक वो करती आईं है. हालांकि 31 मार्च की डेडलाइन से पहले तक एयरलाइंस मिडपॉइंट के नीचे की दर पर 40 परसेंट टिकट बेच रहीं थी. आपको बता दें कि पिछले साल 25 मई 2020 से उड़ानें शुरू की गईं हैं. 

एयरलाइंस ने कैपिंग का विरोध भी किया था

एयरलाइंस ने सरकार के इस कदम का विरोध भी किया था, एयरलाइंस कुछ समय से कह रही थी कि मई में नियमों के लागू होने के बाद से जेट ईंधन (ATF) की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है और ऑपरेटिंग कॉस्ट बढ़ी है इसलिए टिकट किराये की सीमा को बढ़ाया या फिर इसे हटा दिया जाए. आपको बता दें कि जेट फ्यूल एयरलाइन की कुल परिचालन लागत का लगभग 40 परसेंट होता है. 

सरकार ने एयरलाइंस के लिए अपनी पूरी क्षमता का 80 परसेंट विमान उड़ानें का आदेश दिया हुआ, लेकिन यात्रियों की कम संख्या को देखते हुए एयरलाइंस के लिए ये घाटे का सौदा है. एयरलाइंस सरकार से ये अपील भी करती रही हैं वो इस कैप को हटा दें. 

किराये को 7 श्रेणियों में बांटा था 

उड्डयन मंत्रालय ने पिछले साल मई में घरेलू उड़ानों के उड़ान के समय के आधार पर सात श्रेणियों में बांटा था. इसमें 40 मिनट से कम की उड़ानों के लिए टिकट की दर 2,000 से 6,000 रुपये और 3 से साढ़े 3 घंटे के लिए 6,500 से 18,600 हजार रुपए तय की थी. 

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