अगले साल से महंगे हो सकते हैं कपड़े और जूते, GST काउंसिल के इस फैसले की वजह से होगा ऐसा
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अगले साल से महंगे हो सकते हैं कपड़े और जूते, GST काउंसिल के इस फैसले की वजह से होगा ऐसा

अगले साल 1 जनवरी 2022 से जूते और कपड़े महंगे हो सकते हैं. ऐसा जीएसटी काउंसिल के एक फैसले की वजह से होगा. इस खबर में हम आपको इस फैसले से जुड़ी सभी बातें बताने जा रहे हैं.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. अगर आप नए-नए कपड़े और जूते खरीदने और पहनने के शौकीन हैं तो ये खबर आपके लिए ही है. अगले साल की शुरुआत में यानी 1 जनवरी, 2022 से कपड़े और जूते की कीमतों में इजाफा हो सकता है. दरअसल, GST Council ने कपड़े और जूते उद्योग के इनवर्टेड शुल्क ढांचे में बदलाव की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार कर लिया है. जीएसटी काउंसिल ने एक जनवरी, 2022 से नया शुल्क ढांचा लागू करने की बात कही है. इसके बाद इस बात की कयास लगाए जा रहे हैं की इससे कपड़े और जूते महंगे हो जाएंगे.

  1. 1 जनवरी 2022 से महंगे हो सकते हैं कपड़े और जूते
  2. फाइबर और यार्न पर लगता है 18% जीएसटी
  3. लंबे समय से हो रही थी इनवर्टेड शुल्क में बदलाव की मांग

कपड़ा और जूता उद्योग से जुड़े लोग कर रहे थे मांग

पिछले महीने हुई जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में कपड़े और जूते उद्योग के इनवर्टेड शुल्क ढांचे में बदलाव का फैसला किया गया. गौरतलब है कि कपड़ा और जूता उद्योग बिजनेस से जुड़े लोग लंबे समय से ढांचे में बदलाव की मांग कर रहे थे. उनका कहना था कि जूता बनाने के कच्चे माल पर 12 फीसदी जीएसटी है, जबकि तैयार उत्पादों पर जीएसटी केवल 5% है. इस नुकसान की भरपाई के लिए कच्चे माल पर चुकाए शुल्क को वापस किया जाना चाहिए.

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1 जनवरी से बढ़ जाएंगी कीमतें

बता दें, अभी कपड़े और जूते उत्पादों पर 5% GST लागू है, जबकि ज्यादा महंगे जूतों पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है. सरकार के इस निर्णय के बाद जनवरी से कपड़े की कीमतें बढ़ाई जा सकती हैं. जीएसटी बढ़ने के बाद कपड़े- जूते के दाम बढ़ेंगे जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा.

इस वजह से बढ़ेगी कीमतें

दरअसल, अभी एमएमएफ फैब्रिक सेगमेंट (फाइबर और यार्न) में इनपुट पर 18 फीसदी और 12 फीसदी की जीएसटी दर लगती है, जबकि एमएमएफ फैब्रिक पर जीएसटी की दर 5 फीसदी और तैयार माल के परिधान के लिए 5 फीसदी और 12 फीसदी है. इस तरह इनपुट पर जीएसटी आउटपुट से ज्यादा होती है और इससे एमएमएफ कपड़े और कपड़ों के टैक्सेशन की प्रभावी दर बढ़ जाती है और फाइबर न्यूट्रैलिटी के सिद्धांत का उल्लंघन होता है.

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इस वजह से यार्न और फैब्रिक्स निर्माता लंबे समय से कपड़े और जूते उद्योग के इनवर्टेड शुल्क ढांचे में बदलाव की मांग कर रहे थे. इसलिए इनकी समस्या का समाधान करने के नाम पर सरकार ने मैनमैड यार्न-फैब्रिक्स पर जीएसटी घटाकर 5% करने की बजाय गारमेंट पर भी टैक्स बढ़ा दिया है. इससे कपड़े और महंगे हो जाएंगे.

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