Coronavirus: 45 दिनों में 12 लाख करोड़ रुपये का हुआ नुकसान! CAIT ने मांगी सरकार से वित्तीय मदद
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Coronavirus: 45 दिनों में 12 लाख करोड़ रुपये का हुआ नुकसान! CAIT ने मांगी सरकार से वित्तीय मदद

Coronavirus Impact: कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर में लोग जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं, तो दूसरी ओर देश का व्यापार भी दम तोड़ रहा है. कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) का कहना है कि देश का व्यापार बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा है.

Coronavirus: 45 दिनों में 12 लाख करोड़ रुपये का हुआ नुकसान! CAIT ने मांगी सरकार से वित्तीय मदद

नई दिल्ली: Coronavirus Impact: कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर में लोग जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं, तो दूसरी ओर देश का व्यापार भी दम तोड़ रहा है. कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) का कहना है कि देश का व्यापार बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा है. कोरोना की दूसरी लहर ने व्यापारियों की कमर ही तोड़ दी है. 

45 दिनों में 12 लाख करोड़ का नुकसान 

CAIT के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि कोरोनावायरस के प्रकोप से पिछले 45 दिनों में भारत के घरेलू व्यापार को 12 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ है, जो एक बड़ा नुकसान है और निश्चित रूप से ऐसे समय में जब लॉकडाउन वापस लिए जाएगा तब व्यापारियों को अपने व्यापार को दोबारा खड़ा करना बेहद मुश्किल होगा. प्रति वर्ष देश भर में  में लगभग 1 लाख 15 हजार करोड़ रुपये का व्यापार होता है. देश में लगभग 8 करोड़ छोटे बड़े व्यापारी हैं जो देश के घरेलू व्यापार को चलाते है.

किस राज्य में कितना नुकसान 

CAIT ने कहा कि कारोबार के लगभग 12 लाख करोड़ रुपये के व्यापारिक नुकसान में रीटेल व्यापार में लगभग 7.50 लाख करोड़ रुपये और थोक व्यापार में लगभग 4.50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. एक अनुमान के अनुसार महाराष्ट्र को करीब 1.10 लाख करोड़, दिल्ली को करीब 30 हजार करोड़, गुजरात को करीब 60 हजार करोड़, उत्तर प्रदेश को करीब 65 हजार करोड़, मध्य प्रदेश को करीब 30 हजार करोड़, राजस्थान को करीब 25 हजार करोड़, छत्तीसगढ़ को लगभग 23 हजार करोड़, कर्नाटक को  लगभग 50 हजार करोड़ का व्यापार का नुकसान हुआ है. 

व्यापारियों को भी मिले वित्तीय पैकेज 

भरतिया और खंडेलवाल ने वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया कि लॉकडाउन हटने पर व्यापारियों को उनकी व्यावसायिक गतिविधियों को बहाल करने के लिए एक वित्तीय पैकेज दिया जाए. व्यापारियों की जिम्मेदारी केवल केंद्र सरकार की नहीं है बल्कि राज्य सरकारें भी अपने-अपने राज्यों के व्यापारियों के लिए उत्तरदायी हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले साल लॉकडाउन के दौरान व्यापारियों को सरकार की ओर से घोषित पैकेजों में कोई जगह नहीं मिली थी, जबकि बाकी सेक्टर्स के हितों का पूरा ध्यान रखा गया था. 

आसान और सस्ता कर्ज दिया जाए

उन्होंने कहा कि पहले उपाय के रूप में सरकार को GST, इनकम टैक्स और टीडीएस के तहत सभी कंप्लायंस की वैधानिक तिथियों को कम से कम 31 अगस्त, 2021 तक के लिए स्थगित कर देना चाहिए. बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को व्यापारियों को आसान तरीके से और रियायती ब्याज दर पर कर्ज देने का निर्देश दिया जाए. डिजिटल भुगतान करने पर बैंक शुल्क माफ किया जाना चाहिए और सरकार बैंक शुल्क सीधे बैंकों को सब्सिडी दे सकती है. 

ई-कॉमर्स कंपनियां कर रहीं कानून का उल्लंघन

CAIT का कहना है कि जिन राज्यों में बाजार शुरुआती दिनों में खुले थे और बाद में कुछ घंटों के लिए आंशिक रूप से खुले थे, वहां ग्राहकों की बहुत कम भीड़ थी क्योंकि लोग डर की चपेट में हैं और आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी को छोड़कर बाजारों में जाने से बच रहे है. उन्होंने कहा कि इससे ई-कॉमर्स कारोबार में बढ़ोतरी हो सकती है. हालांकि, यह देखा गया है कि कोविड दिशा-निर्देशों में प्रतिबंधों के बावजूद ई-कॉमर्स कंपनियां गैर-जरूरी वस्तुओं की बिक्री में लगी हुई हैं और किसी भी राज्य ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है. CAIT का कहना है कि ऐसा लगता है कि इन कंपनियों को कानून और नीति का उल्लंघन करने की अनुमति दी हुई है और उन्हें अब कानून का कोई डर नहीं है. 

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