धड़ाधड़ लोन बांटने में जुटे प्राइवेट और सरकारी बैंक, आने वाले समय में हो सकती है यह द‍िक्‍कत
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धड़ाधड़ लोन बांटने में जुटे प्राइवेट और सरकारी बैंक, आने वाले समय में हो सकती है यह द‍िक्‍कत

Liquidity Challenges: सरकारी बैंकों में से 80% ने बताया कि साल 2024 के पहले छह महीने में सेव‍िंग अकाउंट और करंट अकाउंट में जमा पैसे का हिस्सा कम हो गया है. प्राइवेट बैंकों में से आधे से भी ज्यादा ने यही बात बताई.

धड़ाधड़ लोन बांटने में जुटे प्राइवेट और सरकारी बैंक, आने वाले समय में हो सकती है यह द‍िक्‍कत

Public Sector Banks: बैंकों की तरफ से ज्‍यादा से ज्‍यादा लोन द‍िया जा रहा है. लेकिन लोगों के जमा किए हुए पैसे उतनी तेजी से नहीं बढ़ रहे हैं. इससे बैंकों के लिए आने वाले समय में पैसा जुटाना मुश्किल हो सकता है. एक रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी दी गई है. र‍िपोर्ट में कहा गया बैंकों के लिए जरूरी है क‍ि वे लोन देने की रफ्तार को कम करके लोगों से ज्‍यादा से ज्‍यादा पैसा जमा कराएं. इसके अलावा बैंकों को यह भी ध्यान रखना होगा कि लोन पर ब्याज दर कम ही रखें. ये फैक्‍ट फ‍िक्‍की-IBA की तरफ से तैयार ज्‍वाइंट र‍िपोर्ट में कही गईं.

ज्‍यादातर बैंकों में पहले से जमा पैसे का रेश्‍यो घटा

एक सर्वे के अनुसार ज्यादातर बैंकों ने करीब 67% ने बताया है कि उनके पास जमा किए गए कुल पैसे में से सेव‍िंग अकाउंट और करंट अकाउंट में जमा पैसे का हिस्सा पहले के मुकाबले कम हो गया है. सर्वे में शामिल बैंकों ने बताया कि लोगों ने ज्यादा समय के लिए पैसा जमा करना शुरू कर दिया है क्योंकि बैंक उन्हें अच्छे ब्याज दे रहे हैं. सरकारी बैंकों में से 80% ने बताया कि साल 2024 के पहले छह महीने में सेव‍िंग अकाउंट और करंट अकाउंट में जमा पैसे का हिस्सा कम हो गया है. प्राइवेट बैंकों में से आधे से भी ज्यादा ने यही बात बताई.

सर्वे जनवरी से जून 2024 तक क‍िया गया
FICCI-IBA की तरफ से क‍िया गया सर्वे जनवरी से जून 2024 तक चला. इस सर्वे में कुल 22 बैंक शामिल हुए थे, जिनमें सरकारी बैंक, प्राइवेट और विदेशी बैंक शाम‍िल हुए थे. इन बैंकों के पास कुल बैंकिंग इंडस्‍ट्री का करीब 67% हिस्सा है. सर्वे में शामिल ज्यादातर बैंकों (करीब 71%) ने बताया कि पिछले छह महीनों में उनके पास ऐसे कर्जदारों की संख्या कम हुई है ज‍िन्‍होंने अपना लोन नहीं चुकाया है.

पब्‍ल‍िक सेक्‍टर के 90 प्रतिशत बैंकों का एनपीए इस दौरान घटा है जबकि प्राइवेट सेक्‍टर के बैंकों में से 67 प्रतिशत ने कमी का हवाला दिया है. सर्वे के आधार पर बताया गया क‍ि बेस‍िक इंफ्रा, धातु, लोहा और इस्पात जैसे क्षेत्रों के लिए लॉन्‍ग टर्म लोन की मांग में लगातार इजाफा हुआ है. इसके पीछे बुनियादी ढांचे क्षेत्र पर सरकार के पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देना एक कारण हो सकता है.

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