वायरल हुई दिव्यांग अध्यापक की फोटो, जुनून देखकर आनंद महिंद्रा बोले- 'संडे बन गया'
Advertisement
trendingNow1447329

वायरल हुई दिव्यांग अध्यापक की फोटो, जुनून देखकर आनंद महिंद्रा बोले- 'संडे बन गया'

गीतकार शैलेंद्र की पंक्ति 'तू जिंन्दा है तो जिंदगी की जीत में यकीन कर' राजस्थान के दिव्यांग अध्यापक संजय सेन के जीवन पर पूरी तरह खरी उतरती है.

राजस्थान के दिव्यांग अध्यापक संजय सेन

नई दिल्ली: गीतकार शैलेंद्र की पंक्ति 'तू जिंन्दा है तो जिंदगी की जीत में यकीन कर' राजस्थान के दिव्यांग अध्यापक संजय सेन के जीवन पर पूरी तरह खरी उतरती है और यही वजह है कि उनके जुनून को देखकर देश के जानेमाने उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने कहा कि उनकी तस्वीर देखकर 'संडे बन गया.' आनंद महिंद्रा ने संजय सेन के जीवन को सुगम बनाने के लिए मदद की पेशकश भी की है.

संजय सेन पैरों से फिजिकली चैलेंज्ड हैं, लेकिन इसके बावजूद बच्चों को पढ़ाने की उनकी लगन देखने लायक है. कक्षा में पढ़ाने की उनकी एक फोटो इस समय सोशल मीडिया में वायरल हो गई है जिसमें वो राजस्थान के एक सरकारी स्कूल में शिक्षा संबल योजना के तहत 2009 से पढ़ा रहे हैं. तस्वीर में दिख रहा है कि साधनों के अभाव और शारीरिक सीमाओं के बावजूद वो पूरी मेहनत से बच्चों को पढ़ा रहे हैं. 

मदद की पेशकश

 

जब ये फोटो सोशल मीडिया पर आनंद महिंद्रा ने देखी तो उन्होंने ट्वीट किया, 'कैसी अविश्वसनीय फोटो है, जिसने मेरा संडे बना दिया. ये पढ़ाई की ताकत के बारे में जोरदार संदेश देती है. मुझे नहीं पता कि उन्हें किसी डिवाइस की जरूरत है, लेकिन यदि है तो हम मदद करेंगे.' आनंद महिंद्रा ने केसी महिंद्रा फाउंडेशन ट्रस्ट के प्रोजेक्ट नन्ही कली की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर शीतल मेहता से संजय सेन की मदद करने के लिए भी कहा. महिंद्रा ने शीतल मेहता से कहा, 'हम मोबिलिटी के बिजनेस में हैं. क्या हम इन प्रेरणादायक अध्यापक को अधिक गतिशील बनाने में मदद कर सकते हैं.'

शिक्षा संबल योजना राजस्थान के अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद और उदयपुर जिलो में लागू है, हालांकि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पोस्ट से ये पता नहीं लग पा रहा है कि संजय सेन की पोस्टिंग कहां है. तस्वीर से साफ हो रहा है कि संजय सेन के पास कोई व्हील चेयर तक नहीं है और वो क्लास की फर्श पर ही किसी तरह ऊपर उठकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं, हालांकि उनके पैर मुड़े होने कारण उन्हें बहुत दिक्कत हो रही है. इसके बावजूद बच्चों को पढ़ाने के लिए उनकी मेहनत और लगन में कोई कमी नहीं है.

Trending news